शिक्षा विभाग को सुधारने के बावजूद कैबिनेट मंत्री सोनी को नहीं मिला ईनाम

punjabkesari.in Tuesday, Jun 18, 2019 - 09:05 AM (IST)

जालंधर(पुनीत): पंजाब के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश सोनी ने पिछले एक वर्ष के दौरान शिक्षा विभाग को सुधारने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। उसकी का नतीजा था कि 10वीं व 12वीं कक्षाओं के नतीजे शानदार आए। पिछले कई वर्षों के रिकार्ड टूट गए। 10वीं कक्षा में पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड का नतीजा 86 प्रतिशत तथा 12वीं कक्षा का नतीजा 88 प्रतिशत रहा। पंजाब मंत्रिमंडल में नवजोत सिद्धू को लेकर हुए फेरबदल के दौरान सबसे अधिक घाटा सोनी को उठाना पड़ा क्योंकि अफसरशाही सोनी के खिलाफ थी। सोनी अफसरशाही द्वारा लिए जाने वाले फैसलों को पलट देते थे। 

सोनी ने शिक्षा मंत्री रहते हुए 8886 कच्चे अध्यापकों को शिक्षा विभाग में रैगुलर करने का ऐतिहासिक फैसला लिया। इसके अतिरिक्त 3178 मास्टर कैडर, 1337 ई.टी.टी. कैडर, 61 क्लर्क, 7 लाइब्रेरी रिस्टोरल, 3 एम.एल.ए. तथा 156 अध्यापकों की भर्ती भी की। 5178 अध्यापकों को शिक्षा विभाग में रैगुलर किया गया। सोनी ने शिक्षा विभाग में सीधी भर्ती के तहत प्रिंसीपल, मुख्य अध्यापक, ब्लाक प्राइमरी शिक्षा अफसरों की भर्तियों भी कीं। उन्होंने शिक्षा मंत्री रहते 2575 मास्टर कैडर, 101 ब्लाक प्राइमरी शिक्षा ऑफिसर, 296 सैंटर हैड-टीचरों, 781 हैड-टीचरों को पदोन्नतियां दीं।

12921 स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाओं की शुरूआत करवाई। पहली से 10वीं तक ई-कांटैक्ट तक पढ़ाई करवाने के लिए 21,000 स्मार्ट क्लासरूम बनाए गए। सीमावर्ती क्षेत्रों में 3582 अध्यापकों की भर्ती की गई, जिससे सीमावर्ती डिस्ट्रिक्ट अमृतसर, फिरोजपुर, गुरदासपुर, पठानकोट, फाजिल्का व तरनतारन जिलों में अध्यापकों के पदों को भरा गया। यही नहीं उन्होंने 15,628 सरकारी स्कूलों में लाइब्रेरी की किताबों के लिए 5.22 करोड़ की राशि भी जारी करवाई। सरकारी स्कूलों के 5000 मेहनती टीचरों को प्रशंसा पत्र दिए गए। 

शिक्षा मंत्री रहते सोनी ने मिड-डे मील के लिए 300 करोड़ रुपए की राशि जारी करवाई। सरकारी स्कूलों में अतिरिक्त कमरों के निर्माण के लिए 78 करोड़, 880 सरकारी सी.सै. स्कूलों में सोलर प्लांट लगाने के लिए 20 करोड़, बच्चों की वॢदयों के लिए 76.57 करोड़ व मुफ्त किताबों के लिए 23.48 करोड़ की राशि जारी करवाई गई। सरकारी स्कूलों में लड़कियों को सैनेटरी नैपकिन उपलब्ध करवाने के लिए 18 करोड़ की ग्रांट जारी की तथा स्कूलों में बायोमैट्रिक हाजिरी सिस्टम शुरू किया गया। 

इतना सब कुछ होने के बाद भी सोनी ने पब्लिक तौर पर स्टेटमैंट दे दी कि अफसरशाही का वह सीधे तौर पर निशाना बने हैं। उन्होंने यह मामला मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह तक भी पहुंचा दिया है। सोनी को यह समझ नहीं आया कि आखिर उनसे शिक्षा विभाग क्यों वापस लिया गया है। सोनी के शिक्षा विभाग के सचिव कृष्ण कुमार के साथ काफी महीनों से सीधी जंग चल रही थी। कृष्ण कुमार द्वारा पिछले समय में किए गए टीचरों के सभी तबादलों को सोनी ने रद्द कर दिया था। इससे दोनों के बीच लड़ाई खुलकर सामने आ गई थी इसलिए सोनी बार-बार कह रहे हैं कि उनका विभाग बदलवाने के पीछे कृष्ण कुमार व अन्य अधिकारियों का हाथ है। 

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