कोरोना महामारी में स्कूलों को खोलना विद्यार्थियों के लिए बन सकता है मुसीबत

punjabkesari.in Thursday, Jan 07, 2021 - 11:31 AM (IST)

अमृतसर (दलजीत): शिक्षा विभाग द्वारा कोरोना महामारी के बीच सरकारी स्कूलों को खोलने के निर्देश विद्यार्थियों के लिए मुसीबत बन सकते हैं। प्रतिदिन सामने आ रहे मामले व पॉजिटिव मरीजों की बढ़ रही मृत्यु दर के बीच विभाग का फैसला घातक परिणाम सामने ला सकता है। विभाग के फैसले के खिलाफ अभिभावकों में भी रोष पाया जा रहा है व उनका कहना है कि जब तक वैक्सीनेशन बच्चों को नहीं लग जाती तब तक सरकार को स्कूल नहीं खोलने चाहिए।

जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग द्वारा 7 जनवरी से स्कूलों को खोलने के निर्देश दिए गए हैं, परंतु विभाग द्वारा वैक्सीनेशन आने से पहले लिया गया यह फैसला घातक साबित हो सकता है। जिला अमृतसर की बात करें तो कोरोना के मामले यहां तेजी से बढ़े थे व मरीजों की मृत्यु दर में भी काफी इजाफा हुआ था। जिले में अभी तक 14625 पहुंचती मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 561 की कोरोना से मौत हो चुकी है। सरकार द्वारा इससे पहले सैकेंडरी स्तर के स्कूलों को खोल दिया गया था, परंतु देखने में आया कि अधिकतर स्कूलों में न तो सोशल डिस्टैसिंग के नियमों की पालना हो रही थी व न ही विद्यार्थी मास्क लगाकर स्कूलों में जा रहे थे। इस दौरान कई सरकारी स्कूलों के अध्यापक भी कोरोना पॉजिटिव हो गए थे।

सरकार तथा शिक्षा विभाग द्वारा कागजों में नियमों की पालना करवाई जा रही थी, जबकि असलियत में पालना नहीं हो रही थी। विद्यार्थियों की इम्युनिटी पहले ही काफी कमजोर होती है व सर्दी होने के कारण कई विद्यार्थी खांसी, जुकाम व बुखार से पीड़ित भी होते हैं। इस व्यवस्था में यदि एक बच्चा पॉजिटिव आ गया तथा वह अन्य बच्चों के संपर्क में आ गया तो उनको भी वह कोरोना का शिकार बना देगा। सरकारी स्कूलों में पहले ही फंड न होने के कारण सैनीटाइजर तथा अन्य प्रबंध नहीं है। अध्यापक वर्ग खुद सैकेंडरी के विद्यार्थियों के लिए मास्क तथा सैनीटाइजर ला रहा था, परंतु अब विद्यार्थियों की संख्या बढऩे से वह भी बेबस हो जाएंगे। अमृतसर में सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल माल रोड, सरकारी स्कूल शिवाला, महाना सिंह स्कूल आदि ऐसे हैं, जिनमें विद्यार्थियों की संख्या हजारों में है। इस दौरान सोशल डिस्टैसिंग की पालना करवाना अध्यापकों के लिए एक चुनौती रहेगा, इसके अलावा कई स्कूलों में जगह काफी कम है तथा विद्यार्थी काफी ज्यादा है। उस स्कूलों में भी नियमों की धज्जियां उड़ा आम बात है। 

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