टिकटों की बांट को लकेर कांग्रेस में विरोध, बगावत की आशंका

punjabkesari.in Saturday, Apr 06, 2019 - 05:49 PM (IST)

चंडीगढ़: पंजाब में कांग्रेस ने अब तक 9 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और 9 में से कम-से-कम 4 सीटों पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी बढ़ती जा रही है। लुधियाना, होशियारपुर, जालंधर और अमृतसर सीट पर पार्टी प्रत्याशियों का विरोध हो रहा है क्योंकि टिकट के दावेदार तो कई थे जिनमें कुछ वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं जो पहले सांसद रह चुके हैं या चुनाव हार चुके हैं। राज्य में कांग्रेस ने निवर्तमान सांसदों पर भरोसा जताते हुए उन्हें ही चुनाव मैदान में उतारा है। केवल होशियारपुर सीट पर पहली बार विधायक बने राजकुमार चब्बेवाल को टिकट दिया है। 

जालंधर सीट पर निर्वतमान सांसद संतोख चौधरी, अमृतसर से गुरजीत औजला, लुधियाना से रवनीत बिट्टू और होशियारपुर से राजकुमार चब्बेवाल को टिकट मिलने से पार्टी नेताओं में नाराजगी है। जालंधर सीट से 2004 तक सांसद रहे पूर्व पार्टी अध्यक्ष मोहिंद्र केपी टिकट न मिलने से इतने नाराज हैं कि उन्होंने पार्टी पर सियासी हत्या का आरोप लगा दिया है। उनका कहना है कि पार्टी को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। वो विदेश में रह रहे अपने परिवार के सदस्यों के आने पर कुछ फैसला करेंगे। पार्टी का उन्हें नजरंदाज करना उचित नहीं। संतोख सिंह चौधरी परिवार के तीन-तीन सदस्य विधायक हैं। इसके बाद होशियारपुर से सांसद रहीं पूर्व केन्द्रीय मंत्री संतोष चौधरी के बगावती सुर थमने का नाम नहीं ले रहे। 

उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस को अब निष्ठावान तथा ईमानदार लोगों की जरूरत नहीं। उन्होंने कहा कि उनकी तीन पीढिय़ां कांग्रेस को समर्पित रहीं। उनके पति राम लुभाया का टिकट पिछले विधानसभा चुनाव में काट लिया गया और उसके बाद सदमे से उनकी मौत हो गई। वह अपने समर्थकों से विचार विमर्श करके कुछ फैसला लेंगी। लुधियाना सीट पर कांग्रेस ने रवनीत बिट्टू को फिर से मैदान में उतारा है लेकिन टिकट के दावेदार कुछ नेता इससे खफा हैं तथा उन्हें पार्टी का फैसला रास नहीं आ रहा है। बगावती सुर अभी खुलकर नहीं आ रहे हैं लेकिन कुछ नेताओं ने अपनी बात कह दी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री तथा मौजूदा विधायक राकेश पांडे इस बात से नाराज हैं। उनका कहना है कि कई बार विधायक बनने के बावजूद उन्हें न तो केबिनेट में शामिल किया और न ही लोकसभा का टिकट दिया।

 

अमृतसर के निवर्तमान सांसद को फिर से टिकट मिलने से कई विधायकों की नाराजगी सामने आई है। अमृतसर लोकसभा क्षेत्र की आठ सीटों पर कांग्रेस का दबदबा है। कुछ पूर्व विधायक टिकट की दावेदारी के लिए जोर आजमाइश कर रहे थे और जब उनकी नहीं चली तो उन्होंने अधिकृत उम्म्मीदवार का विरोध करना शुरू कर दिया। कांग्रेस के स्टार प्रचारक एवं निकाय मंत्री नवजोत सिद्धू की पत्नी डा. नवजोत कौर सिद्धू ने चंडीगढ़ सीट से अपनी दावेदारी जताई लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला और अब वो बठिंडा सीट से टिकट पाने की कोशिश में हैं। 

ज्ञातव्य है कि अकाली दल ने अब तक छह उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं तथा उसकी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी अभी दुविधा में दिखाई देती है क्योंकि न तो उसके पास अपनी तीन सीटों के लिए दमदार प्रत्याशी हैं और न ही वो अपना जनाधार मजबूत कर सकी है। पिछले चुनाव में गुरदासपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए विनोद खन्ना के निधन के बाद रिक्त हुई सीट को भी भाजपा बचा न सकी। इस सीट पर 2017 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भाजपा के स्वर्ण सलारिया को हराया था।

अकाली दल के लिए उसके अपने ही मुसीबत बन गए लगते हैं क्योंकि खडूर साहिब से निवर्तमान सांसद रंजीत सिंह ब्रहमपुरा तथा कुछ वरिष्ठ अकाली नेताओं ने पार्टी प्रधान सुखबीर बादल तथा बिक्रम मजीठिया के पार्टी में बढ़ते दखल से नाराज होकर अलग पार्टी अकाली दल (टकसाली) बना ली और उन्होंने अब तक तीन सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं। सांसद सुखदेव ढींढसा भी नाराज चल रहे हैं। अकाली दल को एक सांसद शेरसिंह घुबाया छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इसके अलावा लोग अकाली दल से 2015 में हुई बेअदबी की घटनाओं व बहबलकलां, कोटक

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