सर्वाइकल की समस्या से जूझ रहे हैं 85 प्रतिशत से अधिक लोग

punjabkesari.in Saturday, Sep 01, 2018 - 12:51 AM (IST)

गुरदासपुर (हरमनप्रीत): दिन-प्रतिदिन बदल रही जीवन शैली व खाने-पीने के तरीकों ने जहां मनुष्य को कई गंभीर बीमारियों का शिकार बना दिया है, वहीं उठने-बैठने, लेटने तथा अन्य कार्य करते समयकी जाती लापरवाही से आज के दौर में प्रत्येक आयु के लोग सर्वाइकल से पीड़ित होने लगे हैं। पहले आम तौर पर सिर्फ 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को सर्वाइकल की समस्या होती थी, परन्तु अब मोबाइल फोन, लैपटॉप, टी.वी. के बढ़ रहे उपयोग सहित कई कारणों से नौजवान तथा बच्चे भी सर्वाइकल की समस्या से पीड़ित होते जा रहे हैं। 

इस बीमारी का सब से बड़ा कारण सही ढंग से न बैठने व लेटने को माना जाता है। इस के बावजूद लोग इस बीमारी से सचेत नहीं हैं। ‘पंजाब केसरी’ द्वारा लोगों की सेहत संभाल संबंधी शुरू की गई मुहिम के अंतर्गत इस बीमारी संबंधी कुछ डाक्टरों से बातचीत करने पर यह बात सामने आई है कि बहुत से लोगों को इस बीमारी के असली कारणों का पता ही नहीं है, जो सिर्फ दर्द कम करने वाली दवाई खा कर ही समय बिता रहे हैं।

सर्वाइकल होने के मुख्य कारण
डाक्टरों के अनुसार 85 प्रतिशत से अधिक लोग सर्वाइकल से पीड़ित हैं। इन में से बहुत से लोग ऐसे हैं, जिन की गर्दन में हलका दर्द रहता है, परन्तु उनको यह नहीं पता होता कि वे सर्वाइकल से पीड़ित हैं। इसी तरह नौजवान तथा बच्चे भी इस समस्या से जूझ रहे हैं, जिस का सब से बड़ा कारण घंटों तक लैपटॉप पर काम करने के अलावा हर समय मोबाइल फोन पर व्यस्त रहना है। मोबाइल फोन का प्रयोग करते समय गर्दन नीचे की तरफ झुकी रहती है, जिस कारण गर्दन की मांस-पेशियां एक ही जगह पर सख्त होनी शुरू हो जाती हैं तथा उनका लचीलापन भी कम हो जाता है। इसी तरह टी.वी. देखते समय भी लोग बैड पर टेढ़ा होकर लेटते हैं तथा कई बार बैड का सहारा लेकर गलत भंगिमा में बैठते हैं, परिणामत: सर्वाइकल की दर्द शुरू हो जाती है। आयु बढऩे पर भी सर्वाइकल दर्द बढऩे लगती है। उक्त के अलावा कोई पुरानी चोट या अन्य भी कई कारण इस दर्द को जन्म देते हैं।

सर्वाइकल के लक्षण
सर्वाइकल होने पर गर्दन में अकडऩ पैदा हो जाती है। शुरू में हलका दर्द महसूस होता है, बाद में यह दर्द पीठ तथा बाजू की ओर बढऩा शुरू हो जाता है जो धीरे-धीरे हाथों तथा बाजुओं को सुन्न करना शुरू कर देता है। कई बार इस समस्या से पैर भी सुन्न होने शुरू हो जाते हैं तथा मरीज को चक्कर आने के अलावा उलटी वाला मन बनना शुरू हो जाता है। 

क्या है उपचार? 
गुरदासपुर से संबंधित हड्डियों के रोगों के माहिर डा. दीपक सहोत्रा ने बताया कि इस समस्या के उपचार के लिए सब से पहले बैठने तथा लेटने की भंंगिमा को सही करें। हमेशा सीधे बैठना तथा सीधे लेटना चाहिए। खास तौर पर दर्द खत्म करने वाली दवाई खाने की बजाए कसरत, योगा तथा फिजियोथैरेपी को प्रथमिकता देनी चाहिए। दवा से कुछ समय की राहत तो मिल सकती है परन्तु इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए अपनी जीवन शैली में सुधार करना सब से जरूरी है। 

Des raj