पाकिस्तान का खतरनाक गेम प्लान,जालंधर में रची गई बड़ी वारदातों की साजिश

punjabkesari.in Thursday, Apr 26, 2018 - 08:53 AM (IST)

जालंधर(सोमनाथ, राकेश): खुफिया एजैंसियों को ऐसी जानकारी मिली है कि पाकिस्तान की युद्ध समिति के पैनल की इच्छा है कि भारत के खिलाफ हमले से पहले भारत की तरफ से वास्तविक नियंत्रण रेखा का नक्शा प्राप्त हो सके। भारत की बहादुर सेना के जवानों ने कई बार वास्तविक नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ के प्रयासों को विफल बनाया है और कश्मीर में सक्रिय आतंकियों को मार गिराया, जिससे भारी संख्या में युवाओं की महत्वाकांक्षा धीमी पड़ी है। भारत की तरफ से संदिग्धों पर कड़ी निगरानी के चलते उन युवाओं जो सीमा पार से ट्रेनिंग लेकर आए हैं को कुछ समय के लिए अपने मिशनों से पीछे हटने को कहा गया है।

वहीं बहुत से पाक प्रशिक्षित आतंकियों से कहा गया है कि वे भारतीय सेना में शामिल हो जाएं और ट्रेनिंग लें तथा महत्वपूर्ण सूचनाएं एकत्रित कर लें और कश्मीर में आजादी के आंदोलन को समर्थन के लिए सीमा पार जमा ताकतों को उनकी जानकारी दें। खुफिया एजैंसियां को यह भी जानकारी मिली है कि कुछ दिन पहले खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स और कश्मीरी अलगाववादी नेताओं की जालंधर में बैठक हुई जिसमें अगले कुछ दिनों में बड़ी घटनाओं को अंजाम देने के लिए रणनीति बनाई गई है। वहीं हाल ही में इस बात से भी पर्दा उठा है कि पाकिस्तान से कश्मीर और कश्मीर से पंजाब तक के मध्यस्थ युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं।

खालिस्तानी लहर को मजबूत करने की रणनीति 
अलगाववादियों ने सेना और भारत समर्थक राजनीतिज्ञों के बीच संबंधों के नियंत्रण के लिए ऐतिहासिक ग्रेट गेम को बदल दिया है। सबसे बड़ी बात यह है कि भारत विरोधी ताकतों की दौड़ पटरी से नीचे उतारने का खेल देखना अभी बाकी है। ये ताकतें भारत के अहम को तोडऩे के लिए काम कर रही हैं। केंद्र में मौजूद राजनीतिक सत्ता द्वारा अगर समय पर कदम नहीं उठाए गए तो यह देरी देश की क्षेत्रीय प्रभुसत्ता के लिए घातक साबित होगी। सिख चैनल दिल्ली यूनिट ने हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी की विश्वसनीयता को बढ़ावा दिया और अचानक दिल्ली आकर वहां इकट्ठा किया और उनसे विशेष मुलाकात की जिनका खालिस्तान लहर में विश्वास है। इसका मकसद खालिस्तानी लहर को और मजबूत करना है।

उल्लेखनीय है कि उसी दिन वरिष्ठ हुर्रियत नेता मोहम्मद अशरफ सिहारी ने सईद अली गिलानी को तहरीक-ए-हुर्रियत के चेयरमैन पद से हटा दिया जो एक बड़े खेल का हिस्सा था। अगर सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया तो निश्चित तौर पर इसका भारत पर प्रभाव पड़ेगा। 

भारत के खिलाफ रणनीति और योजना का विकेंद्रीकरण
विश्वसनीय रिपोर्टों में कहा गया है कि दिल्ली में सिख चैनल पर सिख नेताओं से मिलने से पहले सईद अली शाह गिलानी ने प्रमुख हुर्रियत फोरम के मीरवायज उमर फारूक के साथ विशेष मीटिंग की और 19 मार्च 2018 को कार्यकारिणी परिषद, जनरल कौंसिल और वर्किंग कमेटी की बैठकों को संबोधित किया था। अगर इन घटनाओं की पुष्टि हो जाती है तो आपको सदमा लगेगा कि एक तरफ अशरफ सिहारी को तहरीक-ए-हुर्रियत का चेयरमैन चुना जाता है तो दूसरी तरफ सईद अली शाह गिलानी का कहना है कि दक्षिण एशिया क्षेत्र में मौजूद राजनीतिक अस्थिरता और युद्ध जैसी स्थिति के लिए भारतीय नेतृत्व जिम्मेदार है। 

कब-किसने बयान देना है 
भारत के खिलाफ रणनीति और योजना का विकेंद्रीकरण किया गया है और तहरीक-ए-मूवमैंट के आयोजकों के लिए नीति आधारित कार्यक्रम अनुसार एक-दूसरे को बांटा गया है। यह तय है कि कब किसने राजनीतिक बयान देने हैं ताकि भारत समर्थक राजनेताओं और इसके विश्वासपात्र लोगों का ध्यान दूसरी तरफ मोड़ा जा सके। यही कारण है कि जम्मू और कश्मीर सॉलवेशन मूवमैंट के चेयरमैन जफर अकबर भट्ट ने उसी दिन प्रैस कांफ्रैंस में कह दिया कि हुर्रियत नेतृत्व में बदलाव किया गया है। उसी दिन जम्मू-कश्मीर पीपुल्स लीग के चेयरमैन मुख्तार अहमद वाजा ने श्रीनगर में पार्टी की बैठक की और कहा कि खून-खराबा रोकने के लिए कश्मीर विवाद के सभी दावेदारों के बीच अर्थपूर्ण वार्ता शुरू होनी चाहिए। इसी दौरान जम्मू-कश्मीर इतेहादुल मुसलमीन के प्रतिनिधिमंडल ने श्रीनगर का दौरा किया और उसी दिन श्रीनगर में विश्वसनीय बैठक कर लोगों को भावी खतरों से अवगत कराने के लिए उन तक पहुंच बनाई।

भारतीय नेतृत्व के लिए यह सीख वाली बात है कि हुॢरयत फोरम के चेयरमैन मीरवायज उमर फारूक एक तरफ भारत-पाकिस्तान को वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार हत्याओं को रोकने के लिए कश्मीर मामले पर मानवीय नजरिया अपनाने को कह रहे हैं तो दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर मुस्लिम कांफ्रैंस और जम्मू-कश्मीर इतेहादुल मुसलमीन के संरक्षक मौलाना अब्बास अंसारी और अध्यक्ष मंसूर अब्बास अंसारी के साथ संयुक्त अभियान में कश्मीर मामले के हल का आह्वान कर रहे हैं। इसी दौरान लंदन में एक सैमीनार में अमरीकी सरकार से मांग की गई कि वह कश्मीरियों द्वारा अपने अधिकारों के लिए किए जा रहे आंदोलन में अपनी भूमिका निभाए।

Anjna