पंचायतों में दिखाई देगा महिला सशक्तिकरण, 60 प्रतिशत पर कब्जा

punjabkesari.in Tuesday, Jan 01, 2019 - 08:41 AM (IST)

जालंधर(रविंदर): पंचायती राज की जिस शक्ति के हमारे पूर्व राजनेताओं ने सपने संजोए थे, वह पंजाब से पूरे होने जा रहे हैं। निचले स्तर पर चुनावों की प्रक्रिया के साथ-साथ अब गांवों की शक्ति महिलाओं के हाथ में आने से एक नया माहौल बनेगा। गांवों की राजनीति भी बदलेगी और बदलाखोरी की राजनीति से भी काफी हद तक छुटकारा मिलेगा। पहली बार पंचायत चुनावों में 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित थीं। जो सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं थीं, वहां भी महिलाओं ने खूब लोकतंत्र की शक्ति को पहचाना और चुनावी मैदान में कूदीं। 60 प्रतिशत से भी ज्यादा पंचायतों पर  महिलाओं ने कब्जा जमाकर गांवों में असली महिला सशक्तिकरण का उदाहरण पेश किया।

जालंधर जिले के 11 ब्लॉकों भोगपुर, मेहतपुर, नूरमहल, लोहियां खास, शाहकोट, नकोदर, जालंधर वैस्ट, आदमपुर, जालंधर ईस्ट, फिल्लौर व रुड़कां कलां में रविवार को पंचायतों के चुनाव हुए। गांववासियों ने अपने गांव के सरपंच व पंच पद के लिए खुलकर वोटिंग की। पहली बार नजारा कुछ बदला हुआ था। महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटों का आरक्षण होने के कारण ज्यादा से ज्यादा महिलाओं ने चुनाव लडऩे में दिलचस्पी दिखाई। महिला वोटरों ने भी अपनी खूब ताकत दिखाई।

जिले में कुल 75.21 प्रतिशत मतदान हुआ जिसमें वोटिंग करने वाले पुरुषों व महिलाओं का अनुपात 48: 52 रहा।  675 पंचायतों में से 60 प्रतिशत पंचायतों पर महिलाओं का कब्जा हो गया। इनमें से अधिकांश महिलाएं युवा व पढ़ी-लिखी आगे आई हैं, जो विकास की बात को अपने ही ढंग से सोचती हैं। कुछ पंचायतों पर बुजुर्ग महिलाओं ने भी कब्जा जमाया। पढ़ी-लिखी व युवा महिलाओं के पंचायतों पर काबिज होने से आने वाले समय में पंचायतों का कामकाज भी बदला-बदला नजर आएगा।

दहेज उत्पीडऩ व भ्रूण हत्या के खिलाफ होगी विशेष लड़ाई
अधिकांश महिला सरपंचों का कहना है कि वह गांव के विकास के साथ-साथ सामाजिक बुराइयों पर भी खासा ध्यान देंगी। सबसे ज्यादा ध्यान दहेज उत्पीडऩ व भ्रूण हत्या के खिलाफ लड़ाई लडऩा होगा। गांवों में पंचायतें यह सुनिश्चित करेंगी कि गांव का कोई भी युवक शादी के वक्त दहेज न ले और लड़कियों के माता-पिता भी दहेज जैसी प्रथा से दूर रहें। गांवों के प्रत्येक मोड़ पर भ्रूण हत्या के प्रति जागरूक किया जाएगा।


यही नहीं राज्यभर में मौजूदा दौर में चल रही सबसे बड़ी सामाजिक बुराई नशे के खिलाफ सभी महिला सरपंच व पंच एकजुट नजर आईं। उनका कहना था कि प्रत्येक गांव में नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए जाएंगे और युवाओं को नशे के दलदल से निकालने के लिए गांवों में जिम, हैल्थ सैंटर व खेल के मैदान तैयार किए जाएंगे। यही नहीं, युवाओं को रोजगार के लिए गांव की पंचायत विशेष प्रयास करेगी और प्रस्ताव पास कर सरकार के पास युवाओं को रोजगार देने के लिए भेजा जाएगा।

swetha