PAU ने होली के लिए सूखे फूलों से तैयार किये ''रंग'', जानिए फायदे

punjabkesari.in Thursday, Mar 05, 2020 - 02:15 PM (IST)

लुधियाना(नरिन्दर): 'होली' का त्योहार आने वाला है और हमारे देश में यह त्योहार बड़ी खुशी और धूमधाम से मनाया जाता है। होली को रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। इस दिन सब एक-दूसरे को रंग लगा कर यह त्योहार मनाते हैं। अकसर देखने को मिलता है कि जो रंग बाजारों से खरीदे जाते हैं, उनसे शरीर की चमड़ी को कई बार काफी नुकसान पहुंच जाता है क्योंकि यह रंग कैमीकल से बनाए जाते हैं परन्तु यदि लोग इको फ्रेंडली रंगों का इस्तेमाल करते हैं तो इसका कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। 'होली' के त्योहार को ध्यान में रखते हुए पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के अपैरल और टेक्स्टाईल विभाग द्वारा कुदरती स्त्रोतों से रंग तैयार किए जा रहे हैं, जो न सिर्फ हमारी स्किन के लिए बढ़िया हैं, बल्कि इको फ्रेंडली भी हैं।

ऐसे तैयार होते हैं ये रंग
यूनिवर्सिटी के अपैरल और टेक्स्टाईल विभाग की सहायक प्रोफैसर राजवीर कौर ने बताया कि उनकी यूनिवर्सिटी द्वारा कुदरती स्त्रोतों से होली के लिए रंग तैयार किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि जो फूल और पत्ते सूख कर नीचे गिर जाते हैं, उन्हें अच्छी तरह पीस कर सुखा लिया जाता है और इस का पाउडर बना लिया जाता है। इसके बाद इस पाउडर में अरारोट मिला दिया जाता है। यदि रंग को पक्का रखना है तो अरारोट कम मात्रा में मिलाया जाता है लेकिन यदि रंग ज्यादा फीका रखना है तो इसकी मात्रा बड़ा दी जाती है। राजवीर कौर ने बताया कि एक ही फूल या पत्ते से 4 से 5 तरह के रंग बनाए जा सकते हैं और रंग बनाने के लिए वे गेंदे, गुलाब और अन्य किस्मों के फूल और पत्ते इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी यूनिवर्सिटी होली के रंग बनाने का प्रशिक्षण भी दे रही है।

स्किन पर नहीं पड़ता बुरा प्रभाव
राजवीर कौर ने बताया कि कुदरती स्त्रोतों से तैयार किए गए यह रंग किसी भी तरह से हानिकारक नहीं हैं और यह रंग बच्चों के लिए बहुत लाभदायक हैं क्योंकि इन्हें अकसर खाने वाली चीजों से ही बनाया जाता है। यूनिवर्सिटी की एक छात्रा ने इको फ्रेंडली रंगों की प्रशंसा करते हुए कहा कि हम सबको होली के दौरान ऐसे ही रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे हमारे स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े।

जिक्रयोग्य है कि होली के त्योहार में लोग अकसर केमिकल युक्त रंगों का प्रयोग करते हैं, जिसका हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है लेकिन यूनिवर्सिटी के इस प्रयत्न से फूलों-पत्तों से बने इको फ्रेंडली रंग बाजारों में भी मिलने लगे हैं। यहां तक कि इको फ्रेंडली रंग बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है जिससे रंगों के त्योहार होली में केमिकल युक्त रंगों से भंग न पड़े।

Edited By

Sunita sarangal