अपने शौक के लिए बेजुबान परिंदों की जान के दुश्मन बने शहरवासी

punjabkesari.in Monday, Jan 11, 2021 - 02:40 PM (IST)

लुधियाना (खुराना): अपने शौक के लिए बेजुबान परिंदों की जान के दुश्मन बने बैठे हैं शहरवासी, पतंगबाजी के शौकीन शहरवासी प्रत्येक सीजन में पक्षियों के परों को काट कर उन्हें ना केवल जमीन पर रेंगने के लिए छोड़ देते हैं बल्कि कातिल डोर का शिकार होने वाले उक्त परिंदों के मासूम बच्चे भी अपनी मां के वापस न लौटने की सूरत में घोंसलों में भूखे प्यासे दम तोड़ देते हैं, जिसे महापाप कहा जा सकता है, क्योंकि शहरवासियों की छोटी सी लापरवाही के कारण एक साथ कई बेजुबान पक्षी काल का ग्रास बन मौत की आगोश में समा जाते हैं।

इस संबंध में पक्षी सेवा समिति के प्रमुख विपिन भाटिया ने बताया कि पतंगबाजी के सीजन लोहड़ी, मकर सक्रांति, बसंत पंचमी व 26 जनवरी के दिनों में विशेषकर पक्षियों के ऊपर चाईना डोर का कहर मौत बनकर बरपता है। नतीजन बादलों का सीना चीरकर हवा में कलाबाजियां लगाने वाला पक्षी डोर से कटने के कारण गंभीर रूप से घायल होकर फिर कभी आसमान में परवाज तक नहीं भर पाते हैं या फिर अपाहित पक्षी जख्मों की ताब ना झेलने के कारण मर जाते हैं। 

भाटिया ने बताया पतंगबाजी के शौकीन लोग प्रत्येक सीजन में करीब 500 से अधिक पक्षियों को मौत की नींद सुलाकर अपने बच्चों को यतीम बनाने का अपराध व पाप कमाते हैं जबकि हमारे धार्मिक ग्रंथों में पक्षियों की सेवा करना व उन्हें दाना पानी डालना महापुण्य कमाना माना जाता है। उन्होंने कहा पक्षियों की सेवा करने से केवल में जीवन में आने वाली मुसीबतों का नाश होता है बल्कि नवग्रह भी अच्छा फल प्रदान करते हैं।

पक्षियों का कत्ल कर पाप के भागीदार बन जाते हैं लोग
काबिलेगौर है कि डोर की तेजधार से मरने वाले उक्त पक्षियों का आंकड़ा वो आंकड़ा है जोकि संस्था के सामने आता है जबकि पेड़ से लटकने वाली डोर में फंसने व घायल अवस्था में सड़कों पर गिरने के बाद वाहनों के तले कुचले जाने व जानवरों का शिकार बनने वाले पक्षियों की संख्या करीब उससे 4 गुणा अधिक आंकी जा रही है। अर्थात शहरवासी अपनी छोटी सी इच्छा को पूरा करने के चक्कर में मात्र चंद दिनों में ही 4000 के करीब बेजुबान पक्षियों का कत्ल कर पाप के भागीदार बन जाते हैं।

पुलिस प्रशासन की सख्ती के बावजूद लोग मानने को तैयार नहीं
कातिल डोर पर पूर्ण तौर पर बैन लगाने के लिए हालांकि पुलिस प्रशासन पूरी सख्ती करने के दावे कर रहा है लेकिन बावजूद इसके डोर की बिक्री पूरे धड़ल्ले से हो रही है, क्योंकि लोग सुधरने को तैयार नहीं है, कि तालाबंदी के दिनों में भी शहरवासियों ने पतंगबाजी कर जहां बड़े पैमाने पर पक्षियों की जिंदगियों से खिलवाड़ किया वहीं कातिल डोर भी समय रहते स्टोर कर ली थी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Tania pathak

Recommended News

Related News