पेट्रोल के दाम पहुंचे 80 रुपए से पार, पंजाब में हाहाकार

punjabkesari.in Monday, May 21, 2018 - 03:25 PM (IST)

अबोहर (भारद्वाज):  कर्नाटक विधानसभा चुनावों तक स्थिर रहे पेट्रोल व डीजल के दामों में चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद से ही लगातार तेजी का दौर शुरू हो गया है और अब हालत यह है कि सोमवार को पेट्रोल व डीजल के दामों ने पिछले 56 माह का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है। जिसके मद्देनजर ताजा बढ़ौत्तरी के बाद अब पंजाब में पेट्रोल के दाम 82 रूपए प्रति लीटर व डीजल के दाम 67.90 पैसे पहुंच गए हैं। जोकि केन्द्र की पूर्व यूपीए सरकार के कार्यकाल दौरान सितंबर 2013 माह में उच्चतम स्तर से भी ज्यादा है, जबकि खास बात यह है कि केन्द्र में डा. मनमोहन सिंह की सरकार के मुकाबले मोदी सरकार में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल के रेटों में भारी कमी है। जानकारों का कहना है कि अगर मनमोहन सरकार के कच्चे तेल के रेटों के हिसाब से पेट्रोल व डीजल बिके तो आज पेट्रोल 23 रूपए व डीजल 26 रूपए सस्ता मिलेगा। 

गौरतलब है कि इस वक्त अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल है। जोकि 2014 में यूपीए सरकार के समय की 106.85 डॉलर प्रति बैरल से 25 फीसदी कम है। जिसका सीधा मतलब यह है कि मनमोहन सरकार ने कच्चा तेल 106.85 डॉलर प्रति बैरल खरीद कर 71.41 रूपए प्रति लीटर पेट्रोल व डीजल 55.49 रूपए प्रति लीटर बेचा। इस हिसाब से अगर नरेन्द्र मोदी की सरकार अगर मनमोहन सरकार के हिसाब से पेट्रोल बेचती है तो उसकी कीमत 53.47 रूपए प्रति लीटर होती जिससे ग्राहक को 22.77 रूपए सस्ता पेट्रोल मिलता और इसी फार्मूले को अगर डीजल पर लागू कर दें तो मौजूदा समय में डीजल का भाव 41.54 रूपए प्रति लीटर होता जोकि लगभग 26 रूपए सस्ता होता। 

कर्नाटक चुनाव से पहले पेट्रोल-डीजल के भाव थे ये 
खैर अगर कर्नाटक चुनाव से पहले की बात करें तो 1 से 13 मई तक पेट्रोल का भाव 79.98 रूपए था जबकि डीजल का रेट 1 से 13 मई तक 66.3 रूपए था और खास बात यह है कि चुनाव के उन 13 दिनों में पेट्रोल व डीजल के भाव बिल्कुल स्थिर रहे और चुनाव खत्म होते ही इनमें एकाएक तेजी आ गई, जिसका कारण सरकार अंतर्राष्ट्रीय मार्किट में कच्चे तेल की कीमतों का बढऩा बताती है लेकिन प्रश्र यह उठता है कि 1 से 13 मई तक भी कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव आए परंतु बावजूद पेट्रोल व डीजल के रेट स्थिर रहे। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर सरकार का तेल की कीमतों के मामले में कोई दखल नहीं है तो कर्नाटक चुनाव के दौरान कैसे पेट्रोल व डीजल के भाव स्थिर रहे और अब पिछले 4-5 दिनों से यह लगातार बढ़ रहे हैं। 

जनता में मची हाहाकार 
फिलहाल पेट्रोल व डीजल के दामों में बढ़ौत्तरी से जहां आम जनता में हाहाकार मचा हुआ है, वहीं खासकर डीजल के दाम बढऩे से निश्चित तौर पर ट्रांसपोटेशन महंगी होगी, जिससे आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ेगी। वहीं किसानी का ज्यादातर काम भी डीजल से होता है। ऐसे में किसानों पर भी इसका असर साफ देखा जा रहा है और वे आम जनता की तरह सरकार के प्रति बुरी तरह से क्रोधित हैं। 


एक वर्ष में पेट्रोल व डीजल की कीमतों का फर्क 
केन्द्र सरकार किस तरह से पेट्रोल व डीजल पर लगातार एक्साइज ड्यूटी लगाकर आम जनता को बुरी मार मार रही है, इसका अंदाजा पिछले एक वर्ष में पेट्रोल व डीजल की कीमतों के फर्क से लगाया जा सकता है। रिकॉर्ड के मुताबिक पंजाब में 1 जून 2017 को जहां डीजल की कीमत 56.50 रूपए प्रति लीटर थी, वहीं पेट्रोल 72.40 रूपए पर प्रति लीटर के हिसाब से मिल रहा था। लेकिन अब लगभग 1 वर्ष के बाद जहां डीजल की कीमत 67.90 रूपए हो चुकी है, वहीं पेट्रोल के दाम 82 रूपए प्रति लीटर है। यानि कि डीजल के दामों में जहां एक वर्ष में लगभग 11.40 पैसे की बढौत्तरी हो चुकी है, वहीं पेट्रोल भी लगभग 14 रूपए और ज्यादा महंगा हुआ है। हालांकि कुछ-कुछ पैसों की बढौत्तरी के चलते आम जनता को इसका अहसास नहीं होता, लेकिन अब वह पूरे वर्ष का हिसाब-किताब देखती है तो उसके पांव तले जमीन खिसकने वाले हालात हो जाते हैं। 


जब पेट्रोल व डीजल की कीमतों में बढौत्तरी पर मोदी मनमोहन को कोसते थे
एक समय था जब मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री होते थे तब वे पेट्रोल व डीजल की कीमतों में बढौत्तरी के लिए सीधे-सीधे केन्द्र में बैठी मनमोहन सिंह की सरकार को इसका जिम्मेवार बताते थे। लेकिन आज जब नरेन्द्र मोदी स्वयं प्रधानमंत्री हैं और पेट्रोल व डीजल की कीमतों ने यूपीए सरकार के समय भी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं तो वे चुप्पी साध कर बैठे हैं। इसी चुप्पी को लेकर सोशल मीडिया पर नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2013 में पेट्रोल व डीजल की कीमतों को लेकर दिया गया बयान खूब वायरल हो रहा है, जिसमें वे इसके लिए सीधे-सीधे केन्द्र सरकार को जिम्मेवार ठहराते हुए उसकी नाकामी बताते हुए खूब तंज कस रहे हैं और अब लोग मोदी के इसी बयान को ही सोशल मीडिया पर वायरल कर उनसे सवाल पूछ रहे हैं। 

ज्ञात हो कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में तो एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पेट्रोल व डीजल की कम हुई कीमतों को अपने नसीब से ही जोड़ते हुए कहा था कि विपक्षी कहते हैं कि मोदी नसीब वाला है, इसलिए उसके कार्यकाल में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम कम हो रहे हैं। जिससे जनता को पेट्रोल व डीजल सस्ता मिल रहा है। ऐसे में जनता इस नसीब वाले के ही साथ रहे वो क्यों किसी बदनसीब को चुनती है। 


 

Vaneet