फूलका का इस्तीफा हो सकता नामंजूर

punjabkesari.in Saturday, Oct 13, 2018 - 06:22 PM (IST)

जालन्धर (धवन) : आम आदमी पार्टी के विधायक एच.एस.फूलका द्वारा अपने विधायक पद से दिए गए इस्तीफे को मंजूर किए जाने के आसार कम ही दिखाई दिए जा रहे हैं। पता चला है कि पंजाब विधानसभा के स्पीकर राणा के.पी. सिंह द्वारा फूलका का इस्तीफा नामंजूर किया जा सकता है। फूलका ने कल विधायक पद से इस्तीफा अपनी ई-मेल से पंजाब विधानसभा के स्पीकर को भेजा था। बताया जाता है कि विधानसभा स्पीकर राणा के.पी. सिंह ने फूलका द्वारा भेजे गए इस्तीफे को लेकर जांच करने का निर्णय लिया है। 

राज्य विधानसभा की नियमावली में यह कहा गया है कि इस्तीफे की भाषा बिल्कुल सरल शब्दों में होनी चाहिए। इस्तीफा भेजते समय विधायक को इसके कारणों का उल्लेख नहीं करना चाहिए। इस्तीफे में केवल विधायक द्वारा यही लिखा जाना चाहिए कि वह अपने विधायक पद से इस्तीफा दे रहे हैं परन्तु फूलका द्वारा भेजा गया इस्तीफा नियम 51 के तहत ठीक नहीं बताया जा रहा है। फूलका ने अपने इस्तीफे में डेढ़ पन्ने का पत्र लिख दिया है। फूलका को इस्तीफा भेजते समय कारणों का उल्लेख नहीं करना चाहिए था। इसीलिए विधानसभा स्पीकर ने फूलका के इस्तीफे को लेकर जांच करने तथा कानूनी राय लेने का निर्णय लिया है।

इस्तीफा देने खुद नहीं गए फूलका 
इस्तीफे को लेकर दूसरी समस्या यह आ रही है कि फूलका स्वयं इस्तीफा देने के लिए विधानसभा स्पीकर के पास नहीं गए। फूलका ने ई-मेल से इस्तीफा तो भेज दिया परन्तु विधानसभा स्पीकर इस पर यह एतराज उठा सकते हैं कि वह व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित क्यों नहीं हुए। उनकी ई-मेल का कोई भी अन्य व्यक्ति दुरुपयोग भी कर सकता है। इस आधार पर भी स्पीकर द्वारा फूलका का इस्तीफा नामंजूर किया जा सकता है। संपर्क करने पर विधानसभा स्पीकर राणा के.पी. ने कहा कि वह जल्द ही फूलका के इस्तीफे को लेकर अपना फैसला सुना देंगे। उन्होंने कहा कि वह इस्तीफे देने से जुड़े नियमों का अध्ययन कर रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या इस्तीफे के साथ विधायक को अपने कारणों का उल्लेख करना होता है, उन्होंने कहा कि इस्तीफा तो केवल एक पंक्ति में लिखकर भेजा जाना चाहिए। 

फूलका के समय दाखा विधानसभा हलके का प्रतिनिधित्व करते हैं। फूलका के इस्तीफे के मंजूर होने या ना होने पर ही इस सीट का उपचुनाव निर्भर करता है। अगर उनका इस्तीफा मंजूर होता है तो नियमों के अनुसार चुनाव आयोग को 6 महीने के भीतर विधानसभा सीट का उपचुनाव करवाना अनिवार्य है। अगर विधानसभा स्पीकर राणा के.पी. इस्तीफे को नामंजूर करते हैं तो उस स्थिति में फूलका के अगले कदम का इंतजार करना होगा।

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