गुरु नगरी के ‘पानी’ में घुला जहर

punjabkesari.in Monday, Apr 30, 2018 - 07:50 AM (IST)

अमृतसर (रमन): गुरु की नगरी अमृतसर। इस नगरी का नाम अमृत से ही अमृतसर पड़ा है, लेकिन इस नगरी के लोग आज जहरनुमा पानी पीने को मजबूर हैं। इस संबंध में न तो जिला प्रशासन कोई कार्रवाई कर रहा है और न ही निगम। वहीं सेहत विभाग पानी की टैस्टिंग कर लोगों को भयभीत करने में लगा हुआ है। सेहत विभाग की वैन द्वारा आज तक शहर में जहां पर भी टैस्टिंग की गई है चाहे वह पॉश एरिया हो या स्लम, सभी तरफ टी.डी.एस. की मात्रा काफी अधिक पाई गई है। इससे लोगों में दहशत है कि वह जहर पी रहे हैं और प्रशासन घोड़े बेच कर सो रहा है। पिछले दिन मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने भी बताया कि शहर में नीरी प्रोजैक्ट ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं।

भारी पड़ सकती है अनदेखी
अमृतसर का अमृत जैसा पानी दिन-प्रतिदिन जहर बनता जा रहा है। अगर सरकार एवं प्रशासन ने इसे गम्भीरता से न लिया तो आने वाले समय में इसके परिणाम भयानक देखने को मिल सकते हैं। पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पानी की वजह से ही शरीर से जहरीले पदार्थ बाहर निकलते हैं। पानी पीते समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि आप कैसा पानी पी रहे हैं। क्या पानी स्वच्छ और शुद्ध है। आर.ओ. या यू.वी. का पानी शुद्ध और पीने लायक माना जाता है परन्तु क्या ये नुक्सान भी पहुंचाता है। शहर में पानी के अंदर टी.डी.एस. बढऩे का एक मुख्य कारण यह भी है कि पीने के पानी में सीवरेज का पानी मिक्स होकर आता है जिससे टी.डी.एस. बढ़ती जा रही है।  

पानी में टी.डी.एस. और इसका क्या महत्व
पानी एक अच्छा विलायक है और उसमें गंदगी आसानी से घुल जाती है। शुद्ध पानी-बेस्वाद, बेरंग, और बिना गंध का होता है जिसे सार्वभौमिक विलायक कहा जाता है। घुलित ठोस पदार्थ या किसी भी खनिज, नमक, धातु, अनाज या पानी में विसर्जित आयनों का उल्लेख करता है। घुले हुए ठोस पदार्थ (टी.डी.एस.) में अकार्बनिक लवण और कुछ छोटी मात्रा में कार्बनिक पदार्थ पानी में विघटित होते हैं और विशेष रूप से भू-जल में, नाइट्रेट भी पानी में पाए जाते हैं। टी.डी.एस. एम.जी. प्रति इकाई मात्रा (मिलीग्राम/ लीटर) की इकाइयों में व्यक्त की जाती है या इसे प्रति मिलियन (पी.पी.एम.) भागों के रूप में भी संदर्भित किया जाता है। आम तौर पर टी.डी.एस. को प्राथमिक प्रदूषक नहीं माना जाता है। 

हवा में लटका प्रोजैक्ट
भू-जल स्तर में गिरावट की वजह से बने हुए जल संकट के हालातों से निपटने के लिए सरकार भी चुप्पी साधे हुए है। पिछली सरकार द्वारा नहरी पानी लोगों को पिलाने के बारे में गंभीरता से विचार किया गया है। नहरी योजना को अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी रुड़की के इंजीनियरों को सौंपी गई थी। शहरों के पास ही नहरों के पानी को पीने योग्य बनाए जाने को लेकर काफी बैठकें हुई थी। रुड़की के इंजीनियरों की टीम ने ही सभी शहरों में सर्वे करके अपनी रिपोर्ट सरकार को देनी थी और उसके बाद योजना को क्रियान्वित रूप देने की प्रक्रिया शुरू होनी थी, लेकिन प्रोजैक्ट हवा में लटक गया।

Anjna