2017 में पटियाला में पूरा साल रही राजनीति गर्म

punjabkesari.in Thursday, Dec 28, 2017 - 07:34 AM (IST)

पटियाला (बलजिन्द्र): वर्ष 2017 पटियाला के लिए राजनीतिक पक्ष से काफी ज्यादा गर्म रहा। पूरा साल पटियाला जिले में राजनीतिक गतिविधियां बहुत ज्यादा सक्रिय रहीं। इसी साल विधानसभा चुनाव और इसी साल नगर निगम चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस पार्टी का कब्जा रहा। साल 2017 को पटियाला हेतु इसलिए भी खास कहा जा सकता है कि इस साल पटियाला को 10 साल बाद फिर से मुख्यमंत्री मिला। 

विधानसभा चुनावों में भी जिले की 8 सीटों में से 7 पर कांग्रेस का कब्जा रहा और हाल ही में हुए नगर निगम चुनाव में भी कांग्रेस को 60 में से 59 सीटें मिलीं। अकाली दल के लिए यह साल कोई बढिय़ा नहीं कहा जा सकता। जहां 10 साल बाद अकाली-भाजपा गठजोड़ सत्ता से बाहर हुआ, वहीं पिछले साल एस.जी.पी.सी. का प्रधान प्रो. कृपाल सिंह बडूंगर को बना कर जो पटियालवियों को सम्मान दिया गया था, वह भी इस बार पटियाला से बाहर हो गया। अकाली दल के लिए राहत की किरण बनकर उभरे हलका सनौर के नौजवान विधायक हरिन्दरपाल सिंह चंदूमाजरा जो जिले के सबसे कम उम्र के विधायक बने और अकाली दल के खिलाफ चल रही आंधी में अपनी हिम्मत से जीत कर आए। उसके बाद भी लगातार विधानसभा में अपने हलके की आवाज बुलंद करते रहे। 

पहली बार सरकार की मुख्य 2 पॉजीशनें पटियाला के पास
साल 2017 पटियाला के लिए सत्ता पक्ष से काफी ज्यादा कारगर रहा। इतिहास में पहली बार हुआ कि सरकार में मुख्य 2 पोजीशनें पटियाला के पास हैं। पटियाला शहरी से विधायक बने कैप्टन अमरेंद्र सिंह को जहां मुख्यमंत्री बनाया गया वहीं पटियाला देहाती के विधायक ब्रह्म महिंद्रा को सरकार में दूसरी पोजीशन मिली, यानी मुख्यमंत्री भी पटियाला और उप-मुख्यमंत्री भी पटियाला का। पिछले कई सालों से पटियाला को पंजाब की सत्ता में भागीदारी नहीं मिली थी, परंतु इस साल फिर से पटियाला राजनीति का केंद्र बन गया। 

अकाली दल के लिए पूरे साल में हरिंद्रपाल चंदूमाजरा के जीतने की एक ही खबर रही सुखद
वर्ष 2017 अकाली दल के लिए कोई बहुत बढिय़ा नहीं रहा क्योंकि पहले विधानसभा चुनाव में 8 में से 7 सीटें अकाली दल हार गया और उसके बाद नगर निगम चुनाव में भी बिल्कुल सफाया रहा। एकमात्र सुखद खबर रही हलका सनौर से नौजवान विधायक हरिंद्रपाल सिंह चंदूमाजरा के जीतने की। इतना ही नहीं हरिन्द्रपाल चंदूमाजरा ने जीतने के बाद विधानसभा में न केवल हलका सनौर बल्कि समूचे पटियाला जिले के लोगों की आवाज को बुलंद करके रखा। हरिन्द्रपाल चंदूमाजरा के अलावा कोई भी खबर अकालियों के लिए अच्छी नहीं आई। 

आम आदमी पार्टी भी रही खाली हाथ
वर्ष 2017 के शुरू में आम आदमी पार्टी की पूरी लहर चली परन्तु साल खत्म होते ही आम आदमी पार्टी पटियाला जिले में राजनीतिक पक्ष से बिल्कुल खाली रही। पहले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का कोई विधायक नहीं जीता और उसके बाद नगर निगम चुनाव में जीत तो दूर की बात थी आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को सम्मानजनक वोटें भी हासिल नहीं हो सकीं और ज्यादातर उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई।

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