प्रदूषण का 'जहर' नई पीढ़ी को कर रहा बीमार! तेजी से बढ़ रहे मरीज
punjabkesari.in Thursday, Nov 20, 2025 - 12:43 PM (IST)
बरनाला (विवेक सिंधवानी, रवि): समाजसेवियों ने प्रदूषण की गंभीर होती समस्या पर गहरी चिंता व्यक्त की है। समाजसेवी सतपाल मौड़ और सुरिंदर कुमार आड़ती भदौड़ ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि हवा, पानी और भोजन में जहरीले तत्वों की बढ़ती मात्रा के कारण आने वाली पीढ़ी गंभीर और जानलेवा बीमारियों का शिकार हो रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर समय रहते इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया, तो भविष्य में इसके बेहद भयानक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
युवाओं और बच्चों पर मंडरा रहा खतरा
समाजसेवियों ने अपने वक्तव्य में बताया कि जिस गति से हमारे पर्यावरण में ज़हरीले तत्व (टॉक्सिन्स) बढ़ रहे हैं, उसी अनुपात में बच्चों और युवाओं का स्वास्थ्य भी तेज़ी से बिगड़ रहा है। एक समय था जब हृदय और फेफड़ों से संबंधित बीमारियां मुख्यतः वृद्धों में देखी जाती थीं, लेकिन अब यही गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं बच्चों में भी देखने को मिल रही हैं, जो एक अत्यंत alarming संकेत है। बरनाला में हाल ही में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का खतरनाक स्तर पर पहुंचना इस बात का प्रमाण है कि शहर की हवा 'जहरीली' हो चुकी है, जिसका सबसे बुरा असर कमज़ोर इम्यूनिटी वाले बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ रहा है। अस्पतालों में श्वसन संबंधी समस्याओं और मानसिक तनाव के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
कृषि में रसायनों का अंधाधुंध इस्तेमाल-दोहरी मार
समस्या केवल हवा तक सीमित नहीं है। समाजसेवियों ने कृषि क्षेत्र में कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग पर भी चिंता जताई है। उनका कहना है कि इस अंधाधुंध इस्तेमाल ने मिट्टी की उर्वरता और पानी के स्रोतों दोनों को विषाक्त (टॉक्सिक) बना दिया है।
जब हम अपनी फसलों में अत्यधिक रसायन डालते हैं, तो यह जहर न केवल मिट्टी को मारता है, बल्कि बारिश या सिंचाई के पानी के साथ भूजल को भी दूषित करता है। अंततः, यही दूषित पानी और भोजन हमारे शरीर में प्रवेश करता है, जिससे हम बीमारियों के सागर में डूबते जा रहे हैं।
प्रकृति की रक्षा के लिए व्यक्तिगत प्रयास ही एकमात्र समाधान
समाजसेवी सतपाल मौड़ और सुरिंदर कुमार आड़ती भदौड़ ने लोगों से अपील की है कि वे अब सरकार या प्रशासन के भरोसे न रहकर, अपने व्यक्तिगत स्तर पर प्रकृति की रक्षा के लिए आगे आएं। उन्होंने प्रत्येक नागरिक के लिए एक 'संकल्प' लेने का आग्रह किया कि हर व्यक्ति एक पौधा लगाए और उसकी देखभाल सुनिश्चित करे। प्लास्टिक का इस्तेमाल पूरी तरह कम करें या बंद कर दें। प्लास्टिक न केवल ज़मीन को बंजर करता है, बल्कि जल निकायों को भी प्रदूषित करता है। गाड़ी चलाने की बजाय साइकिल चलाने या पैदल चलने की आदत डालें। इससे प्रदूषण कम होगा और व्यक्ति स्वयं भी स्वस्थ रहेगा।
जागने का समय आ गया है
अपने वक्तव्य के अंत में, समाजसेवियों ने कड़े शब्दों में चेतावनी दी कि अगर हम आज प्रकृति की रक्षा के प्रति गंभीर नहीं हुए, तो कल हमारी अगली पीढ़ी बीमारियों के सागर में डूब जाएगी। अब समय है जागने का, बचाने का, और एक स्वस्थ भविष्य बनाने का। उन्होंने उम्मीद जताई कि बरनाला का नागरिक समुदाय इस गंभीर चेतावनी को समझेगा और पर्यावरण को बचाने के लिए सक्रिय कदम उठाएगा। एक स्वस्थ समाज और स्वस्थ पीढ़ी केवल सामूहिक प्रयास से ही संभव है।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here

