आलुओं के भाव ले आए किसानों के चेहरों पर रौनक

punjabkesari.in Saturday, Mar 31, 2018 - 11:31 AM (IST)

नथाना(बज्जोआणिया): मालवा को भले कपास पट्टी के नाम से जाना जाता है लेकिन इस इलाके के सफल किसानों ने अब आलू की खेती में हाथ आजमाने शुरू कर दिए हैं। इस बार आलुओं का झाड़ कम निकलने से जहां किसानों में थोड़ी निराशा है वहीं आलू के भाव किसानों के चेहरों पर रौनक ले आए हैं। आलू के भाव बढऩे से रसोई में काम करने वाली गृहणियों के चेहरों पर चिंता स्पष्ट झलकने लगी है क्योंकि आलू का प्रयोग हर सब्जी में किया जाता है। 

किसान अवतार सिंह पूहली ने बताया कि इस बार पिछले समय के मुकाबले 25 प्रतिशत झाड़ कम निकल रहा है जिस कारण स्टोर में 65-70 प्रतिशत आलू लगने की संभावना है। उन्होंने झाड़ कम निकलने का कारण बताया कि यह सब मौसम की अचानक तबदीली के कारण है। उन्होंने आलू की मालवा में पैदावार पिछले वर्ष के अनुसार करीब 15 प्रतिशत कम बताई है। अगर किसान हिसाब लगाए कि एक एकड़ पर कितना खर्च आता है तो यह दो-अढ़ाई सौ तक पहुंच जाएगा। इस मौके व्यापारी 300 रुपए ही प्रति थैला खरीद रहा है जिस कारण किसान के पल्ले थोड़ा ही मुनाफा पड़ रहा है

 व्यापारी वर्ग के कम खरीद करने का कारण उन्होंने बताया कि 2016 में व्यापारियों को बड़े स्तर पर घाटा पड़ गया था जिसकी मार आज तक व्यापारी झेल रहे हैं। आलू की बेकदरी के मामले संबंधी उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष भले 25 प्रतिशत आलू नहर व सड़कों के किनारे फैंक दिया गया था लेकिन इस बार ऐसा होने की अधिक संभावना नहीं है। भाकियू के जिला अध्यक्ष सुरमुख सिंह सिद्धू का कहना है कि इस बार केंद्र सरकार को 200 रुपए प्रति थैला बोनस देना चाहिए क्योंकि कम झाड़ के कारण किसानों को आर्थिक समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है। इस संबंधी डा. सुखदेव सिंह बागवानी विभाग का कहना है कि आलू का झाड़ कम निकलने में मौसम ही मुख्य जिम्मेवार है, क्योंकि आलू के उगते समय गर्मी पडऩे से पौधों की प्रजनन प्रक्रिया कम हुई है। उन्होंने बताया कि जब आलू का आकार तैयार होना था उस समय भी गर्मी अधिक होने कारण आलू का सही साइज तैयार नहीं हो सका। 
 - सुरमुख सिंह सिद्धू

Vatika