पावर कॉम प्राइवेट हाथों में देगा 66 के.वी., छोटे सब-स्टेशनों का रख-रखाव

punjabkesari.in Monday, Jun 11, 2018 - 10:30 AM (IST)

जालंधर  (पुनीत): स्टाफ की कमी से जूझ रहे पावर कॉम को अपना कामकाज चलाने में खासी परेशानियां पेश आ रही हैं, कर्मचारियों की शॉर्टेज के चलते विभाग को उपभोक्ताओं के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है जिससे निपटने के लिए विभाग द्वारा ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस क्रम में विभाग सब-स्टेशनों का रख-रखाव ठेके पर देने की तैयारी कर ली है जिसके चलते जल्द ही 66 के.वी. व उससे नीचे के सब-स्टेशनों में आऊटसोॄसग हो जाएगी। विभाग द्वारा इसकी शुरूआत सैंट्रल जोन लुधियाना के खन्ना ग्रिड से की गई है जहां पर सब-स्टेशन का रख-रखाव ठेके पर दिया गया है। 
विभाग द्वारा प्रति वर्ष 35 नए बिजलीघर बनाए जा रहे हैं लेकिन उस हिसाब से स्टाफ की भर्ती नहीं हो पा रही और समय-समय पर कर्मचारी रिटायर्ड हो रहे हैं। कम्पलैंट निपटाने के लिए भी विभाग द्वारा कम्पलैंट हैंडङ्क्षलग बाइक ठेके पर ली जा रही है जिस पर प्रति वर्ष लाखों रुपए का खर्च आएगा। 


2.50 करोड़ के सब-स्टेशन पर प्रति वर्ष 60 लाख रुपए खर्च
पावर निगम के पास 750 के करीब सब-स्टेशन है। पावर निगम द्वारा 2.50 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए 66 के.वी. सब-स्टेशन के रख-रखाव में अनुमान के मुताबिक प्रति वर्ष 60 लाख रुपए खर्च करता है।
 अभी तय नहीं हुआ है कि सब-स्टेशन किस दाम में ठेके पर दिए जाएंगे। पंजाब सरकार ने बिजली बोर्ड के विघटन के बाद उसे 2 कम्पनियों में विभाजित किया था जिसमें एक कम्पनी पावर कॉम जबकि दूसरी ट्रांसको बनाई गई थी। 


रिटायर्ड कर्मचारियों को भर्ती कर रहा ट्रांसको
66 के.वी. से ऊपर के सभी सब-स्टेशन जहां ट्रांसको द्वारा संचालित किए जाते हैं वहीं पावर कॉम  द्वारा 66 के.वी. व उससे छोटे सब-स्टेशन आप्रेट किए जाते हैं।  पावर कॉम जहां ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दे रहा है, वहीं इसके विपरीत ट्रांसको द्वारा नई भर्ती की जा रही है और रिटायर होने वाले कर्मचारियों को दोबारा से भर्ती किया जा रहा है, इसके लिए ट्रांसको जहां एस.डी.ओ. रैंक के अधिकारियों को 25,000 रुपए दे रहा है वहीं जे.ई. को 15,000 रुपए के वेतन पर रखा जा रहा है। 

 

विभाग को उठाना पड़ सकता है नुक्सा

पावर कॉम से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि विभाग द्वारा 2.50 करोड़ के खर्च से बनाए गए सब-स्टेशनों को यदि ठेके पर दिया जाता है तो उसका नुक्सान विभाग को उठाना पड़ सकता है। इसका मुख्य कारण यह है कि ठेकेदार को जुर्माना रखने के जो नियम बनाए जा रहे हैं, के मुतााबिक 10 प्रतिशत से अधिक जुर्माना नहीं हो सकता। करोड़ों खर्च करके सब-स्टेशन जब ठेके पर दिए जाएंगे तो उसका पूरा इंफ्रास्ट्रैक्चर ठेकेदार इस्तेमाल करेगा और यदि अनुभवी स्टाफ के स्थान पर ठेकेदार ने काम चलाऊ स्टाफ रखा तो विभाग को इसका नुक्सान उठाना पड़ सकता है। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कर्मचारियों मेें रोष देखने को मिल रहा है, ठेके पर सब स्टेशन देेने का आने वाले समय में विरोध होना स्वाभाविक है। 

Sonia Goswami