एक ठेकेदार को बचाने के लिए निगम पर पड़ा कांग्रेसी मंत्री का प्रैशर

punjabkesari.in Friday, Feb 21, 2020 - 10:38 AM (IST)

जालंधर(खुराना): नगर निगम में राजनीतिक प्रैशर कोई नई बात नहीं है परंतु इस प्रैशर के चलते यदि किसी ठेकेदार विरुद्ध चल रही जांच को ही ठप्प कर दिया जाए तो माना जा सकता है कि उस प्रैशर का लैवल क्या होगा?

गौरतलब है कि नगर निगम की सबसे महत्वपूर्ण एफ. एंड सी.सी. की एक बैठक 24 फरवरी को मेयर जगदीश राजा की अध्यक्षता में होने जा रही है, जिसमें मात्र 4 प्रस्ताव रखे गए हैं। 3 प्रस्ताव तो विकास कार्यों से संबंधित हैं परंतु चौथे प्रस्ताव में साफ लिखा गया है कि निगम के ठेकेदार ईशांत शर्मा (बजवाड़ा को-आप्रेटिव सोसायटी) के विरुद्ध चल रहे केस को फिलहाल ठप्प कर दिया जाए और पुलिस रिपोर्ट आने के बाद ही निगम अगली कार्रवाई करेगा।

जानकारी के अनुसार होशियारपुर की बजवाड़ा को-आप्रेटिव सोसायटी से संबंधित ठेकेदारों ने पिछले साल मई महीने में नगर निगम के लाखों रुपए के टैंडर लेने हेतु फर्जी दस्तावेज ई-टैंडरिंग प्रक्रिया में अपलोड कर दिए थे। इस सोसायटी की एनलिस्टमैंट संबंधी वैरीफिकेशन जब होशियारपुर से की गई तो वह फर्जी निकली। बाद में निगम ने वह टैंडर रद्द कर दिए। पिछले साल 12 जुलाई को निगम कमिश्नर ने आदेश जारी किए कि जिस फर्म ने गलत दस्तावेज पेश किए हैं, उसे ब्लैकलिस्ट किया जाए। इसके बाद निगम द्वारा संबंधित सोसायटी पर ब्लैकलिस्ट करने की कार्रवाई में देरी होती रही परंतु 26 सितम्बर 2019 को मेयर जगदीश राजा ने इस मामले की जांच डी.सी.एफ.ए. के हवाले कर दी।

उसके बाद एफ. एंड सी.सी. की बैठकों में इस ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने बारे प्रस्ताव जरूर आए परंतु कार्रवाई में टालमटोल होती रही। निगम में आम चर्चा है कि पंजाब के एक कांग्रेसी मंत्री ने निगम पर प्रैशर डाल कर इस जांच को और ब्लैकलिस्टिंग की कार्रवाई को रुकवा रखा है। इसी मंत्री के प्रैशर के चलते अब नगर निगम की एफ. एंड सी.सी. कमेटी सारा दारोमदार पुलिस की कार्रवाई पर छोड़ने का बहाना लगाकर जांच को ठप्प करने जा रही है।

निगम रिकार्ड के अनुसार संबंधित ठेकेदार ने अपने बचाव में निगम से कहा था कि उसने खुद टैंडर अपलोड नहीं किए थे परंतु किसी ने उसके डिजीटल हस्ताक्षर वाली डोंगल तथा अन्य दस्तावेज चुरा कर टैंडर अपलोड कर दिए थे। जब निगम ने इस अनोखी चोरी बारे एफ.आई.आर. की मांग की तो महीनों तक संबंधित ठेकेदार कोई एफ.आई.आर. नहीं दिखा सके परंतु निगम की कार्रवाई में देरी करने हेतु कुछ सप्ताह पहले ऐसी एफ.आई.आर. दर्ज करवाकर उसकी कापी निगम को सौंपी गई। 

अब प्रश्न उठता है कि अगर डिजीटल हस्ताक्षर चोरी हुए भी तो उसकी एफ.आई.आर. 6 महीने बाद क्यों दर्ज करवाई गई। यह प्रश्न भी उठता है कि कोई डोंगल चोरी क्यों करेगा। वह टैंडर क्यों भरेगा, क्या उसके पास बाकी दस्तावेज असली और एक दस्तावेज नकली होगा। यह सारे प्रश्न साफ इशारा करते हैं कि संबंधित ठेकेदार को बचाने का हरसम्भव प्रयास किया जा रहा है। पुलिस तो सालों-साल इस मामले में अपनी रिपोर्ट नहीं देगी इसलिए निगम द्वारा मामले को ठप्प करने से स्पष्ट है कि ठेकेदार पर कार्रवाई करने के मूड में निगम नहीं है। 

अब देखना है कि 24 फरवरी को होने जा रही एफ. एंड सी.सी. की बैठक में मेयर राजा, सीनियर डिप्टी मेयर सुरिन्द्र कौर, डिप्टी मेयर हरसिमरनजीत सिंह बंटी तथा कांग्रेसी पार्षद ज्ञान चंद व बंटी नीलकंठ मंत्री के प्रैशर में आकर इस प्रस्ताव को पास करते हैं या नहीं।


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Edited By

Sunita sarangal

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