किताबों की कमी से जूझ रहे हैं प्राइमरी स्कूल के विद्यार्थी

punjabkesari.in Thursday, May 03, 2018 - 08:03 AM (IST)

कपूरथला/सुल्तानपुर लोधी (मल्ली/धीर): सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर ऊंचा उठाने के लिए समय की सरकार व शिक्षा सचिव पंजाब बड़े-बड़े ड्रीम प्रोजैक्ट शुरू करने की डींगें हांकते न थकते हों लेकिन त्रासदी यह है कि विद्ययक सैशन 2018-19 शुरू हुए एक महीने से अधिक समय हो गया है इसके बावजूद आज तक प्राइमरी स्कूलों में पढ़ते कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों को पूरे विषयों (विशेषकर मुख्य विषयों) की किताबें नहीं मिली हैं। किताबों की कमी से जूझ रहे प्राइमरी स्कूलों के विद्यार्थी, अध्यापक व माता-पिता बच्चों की पढ़ाई के हो रहे नुक्सान से चिंतित हैं।

दूसरी तरफ प्राइमरी स्कूलों के विद्याॢथयों को मुख्य विषयों की किताबें समय पर मुहैया करवाने के स्थान पर समय की प्रदेश सरकार, शिक्षा विभाग की अध्यक्षता कर रहे शिक्षा सचिव व पंजाब भर के प्राइमरी अध्यापक गैर-विद्ययक कार्यों, पढ़ो पंजाब-पढ़ाओ पंजाब प्रोजैक्ट व नई तबादला नीति को लेकर आपस में उलझ पड़े हैं व स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। 

किन विषयों की किताबें नहीं मिलीं
विद्यक सैशन 2018-19 दौरान पंजाब सरकार द्वारा प्राइमरी स्कूलों में पढ़ते विद्याॢथयों को जारी की मुफ्त किताबों में कक्षा 1 की पंजाबी पाठ्य पुस्तक तथा कक्षा 2 की कोई भी पुस्तक जारी नहीं हुई। इसी तरह तीसरी, चौथी व 5वीं श्रेणी का गणित जो अहम विषय माने जाते हैं, स्कूलों में ही नहीं पहुंचे जबकि प्राइमरी स्कूलों में 1 अप्रैल से क्लासें शुरू हैं। 

किताबों से वंचित स्कूलों के विद्यार्थी प्राइवेट स्कूलों के विद्याॢथयों का कैसे करेंगे मुकाबला : शिक्षा विशेषज्ञ 
अध्यापक व माता-पिता इस बात से खफा व ङ्क्षचतित हैं कि सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी जिनको मुख्य विषयों की माह बीतने पर भी किताबें नहीं मिलीं वे प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों का पढ़ाई पक्ष से मुकाबला कैसे करेंगे क्योंकि मोटी फीसें वसूलने वाले प्राइवेट स्कूल प्रबंधक तो नई क्लास शुरू करने के लिए दाखिला फीस लेने के साथ ही माता-पिता को किताबों के सैट सौंप देते हैं। अध्यापकों ने चिंता प्रकट की कि बड़े-बड़े अखबारी बयान देने वाली मौजूदा समय की सरकार के शासन दौरान पहली से 5वीं श्रेणी के विद्यार्थी गत वर्ष अहम विषयों की किताबों की प्रतीक्षा करते रहे, विद्ययक सैशन 2017-18 तो सम्पन्न हो गया लेकिन सरकार उक्त विद्याॢथयों को किताबें पहुंचाने में असमर्थ रही व बच्चों को पुरानी किताबों के साथ ही काम चलाना पड़ा।

गौरतलब है कि इस बार सरकार के दिशा-निर्देशों पर शिक्षा विभाग द्वारा विषयों के सिलेबस में तबदीली की गई है व नई किताबों के बोर्ड के पास न पहुंचने के कारण प्राइमरी स्कूलों के विद्यार्थी पुरानी किताबों से भी नहीं पढ़ सकते। 

Anjna