Private Hospital कभी भी बंद कर सकते हैं कोरोना संक्रमित रोगियों का इलाज, पढ़ें पूरी खबर

punjabkesari.in Monday, Sep 14, 2020 - 03:28 PM (IST)

जालंधर(रत्ता): प्राइवेट अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई पूरी न होने के कारण अस्पताल संचालक कभी भी कोरोना पॉजिटिव लेवल 2 एवं 3 वाले रोगियों को उपचार के लिए दाखिल करना बंद कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि जिले में जब कोरोना पॉजिटिव रोगियों की संख्या में एकदम से वृद्धि होनी शुरू हुई थी तो उस वक्त राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन ने सभी निजी अस्पताल वालों को निर्देश जारी कर दिए थे कि वह कोरोना पॉजिटिव रोगियों को दाखिल करके उनका उपचार करें अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और इसके लिए सरकार ने रेट भी फिक्स कर दिए थे।  

राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन के निर्देशों का पालन करते हुए निजी अस्पताल वालों ने तब कोरोना पॉजिटिव लेवल 2 एवं 3 वाले रोगियों को दाखिल करके उनका उपचार करना शुरू कर तो दिया लेकिन इसके साथ ही अस्पताल संचालकों की परेशानियों बढ़नी शुरू हो गई। गौरतलब है कि कोरोना पॉजिटिव लेवल 2 एवं 3 वाले अधिकांश रोगियों को ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ती है। जिसके फलस्वरूप निजी अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की खपत बढ़नी शुरू हो गई जबकि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनियों ने निजी अस्पतालों को ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाने की बजाय रेट बढ़ाने शुरू किए, जिससे अस्पताल वालों के खर्चे भी बढ़ने शुरू हो गए। एक तो सरकार द्वारा फिक्स किए गए रेट कम होना और दूसरा खर्चे बढ़ जाना तथा मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई जरूरत के मुताबिक पूरी न होना इस बात का संकेत है कि निजी अस्पताल वाले कभी भी कोविड वार्ड बंद कर सकते हैं।


ऑक्सीजन सिलेंडर उधार लेकर  इमरजेंसी में गुजारा कर रहे हैं कई अस्पताल
सूत्र बताते हैं कि कोरोना पॉजिटिव रोगियों का उपचार करने वाले कुछ प्राइवेट अस्पतालों के संचालक मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई की कमी के कारण एमरजेंसी में इधर उधर (दूसरे अस्पतालों) से ऑक्सीजन सिलेंडर उधार लेकर अपना गुजारा करते हैं और जब उन्हें कंपनी की तरफ से सप्लाई आती है तो वह उधार लिए सिलेंडर वापस कर देते हैं।

निजी अस्पतालों को 30 से 50 प्रतिशत महंगी मिल रही है मेडिकल ऑक्सीजन
सूत्रों के मुताबिक जब से कोरोना पॉजिटिव रोगियों की संख्या बढ़नी शुरू हुई है तब से मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनियों ने भी 30 से 50 प्रतिशत रेट बढ़ा दिए हैं। सूत्र बताते हैं कि पहले जो ऑक्सीजन सिलेंडर बिल पर लगभग 200 रुपए का आता था चाहे अब वह 300 रुपए के करीब हो गया है लेकिन कंपनी वाले सप्लाई की कमी का बहाना बनाकर निजी अस्पतालों को बिल पर पूरे सिलेंडर नहीं देते जबकि बिना बिल के वही सिलेंडर 400 रुपए के हिसाब से मिल जाता है। इस बात में कितनी सच्चाई है इसके लिए जिला प्रशासन को इसकी जांच अवश्य करवानी चाहिए।

सिविल अस्पताल में रोगी सिर्फ 83 और मैडीकल ऑक्सीजन सिलेंडर 850 !
एक तरफ जहां निजी अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी चल रही है लेकिन वही पता चला है कि सिविल अस्पताल में लगभग 850 (500 बड़े एवं 350 छोटे) ऑक्सीजन सिलेंडर पढ़े हुए हैं जबकि वहां पर कोरोना पॉजिटिव सिर्फ 83 रोगी उपचाराधीन हैं जिनमें से अधिकांश को ऑक्सीजन की आवश्यकता ही नहीं है। उधर स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक निजी अस्पतालों में कोरोना पॉजिटिव लेवल 2 व 3 वाले 200 से अधिक रोगी उपचार करवा रहे हैं। ऐसे में जिला प्रशासन को चाहिए कि सिविल अस्पताल से मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडर उठाकर उन निजी अस्पतालों को भिजवा दें जिनको जरूरत के मुताबिक सप्लाई पूरी नहीं आ रही। इसी के साथ प्रशासन को चाहिए कि वह ऑक्सीजन तैयार करने वाले यूनिटों को निर्देश दें कि वह निजी अस्पतालों में मांग के मुताबिक मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई करना सुनिश्चित करें।

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