निजी अस्पताल का नया कारनामा, मरीज को फिसलता देख कम प्लेटलेट्स की बनाई जाती थी रिपोर्ट

punjabkesari.in Friday, Jun 26, 2020 - 04:27 PM (IST)

अमृतसर(इन्द्रजीत): डायग्नोस्टिक लैब और निजी अस्पताल का गठबंधन न केवल मरीजों के टैस्टों में ही अदला-बदली करता था, वहीं अपना दबाव बढ़ाने के लिए कोविड-19 टैस्ट के साथ-साथ मरीज को और भी तरीके से दबाव डाला जाता था, जिसमें एक मामले में उन्होंने इंग्लैंड से आए हुए एन.आर.आई परिवार के एक सदस्य के प्लेटलेट कम होने का दबाव भी डाला था। यह घटना उस समय हुई जब यू.के. से भारत आने के उपरांत एन.आर.आई परिवार अमृतसर के एक फाइव स्टार होटल में ठहरा था। विजीलैंस विभाग द्वारा मैडिकल-एलाइंस के इस मामले की रिपोर्ट ऑलाकमान को भेजी गई थी।

ऐसा समझा जा रहा है कि विजीलैंस की यह रिपोर्ट कथित आरोपियोंं के विरुद्ध एफ.आई.आर. दर्ज करने में काफी कारगर साबित हुई थी। बीते दिन विजीलैंस विभाग ने निजी हॉस्पिटल और निजी लैब के विरुद्ध हत्या का प्रयास का केस दर्ज किया था जिसमें सभी आरोपी भूमिगत हैं। विजीलैंस विभाग द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक एन.आर. आई तनेजा परिवार ने होटल के कर्मचारियों से पूछताछ की थी कि वे निजी लैब से कोविद-19 परीक्षण करवाना चाहते हैं। होटल की तरफ से बुलाने पर तुली डायग्नोस्टिक के परिचारकों ने फाइव स्टार होटल से अपने नमूने एकत्र किए। टैस्ट के उपरांत तुली डायग्नोस्टिक सैंटर ने अशोक तनेजा और चंदन तनेजा को कोविड-19 के लिए सकारात्मक घोषित किया, जबकि उनकी मां मीना तनेजा को नकारात्मक घोषित किया गया। इसके बाद अशोक के बेटे मनोज तनेजा ने तुली डायग्नोस्टिक सैंटर के कोविड-19 टैस्ट रिपोर्ट की प्रामाणिकता पर संदेह व्यक्त किया था व उन्होंने इस संबंध में ई.एम.सी अस्पताल के डॉक्टर पंकज सोनी से बात की। डा. पंकज सोनी ने उन्हें बताया कि 7 दिनों के बाद ही पुन: परीक्षण संभव था, लेकिन फिर से परीक्षण के लिए बार-बार आग्रह करने पर उन्हें 5 दिनों के बाद पुन: परीक्षण कराने की पेशकश की गई और फिर से तुली डायग्नोस्टिक सैंटर में पुन: परीक्षण कराने के लिए कहा गया, लेकिन अशोक और मनोज तनेजा के भाई ने तुली डायग्नोस्टिक सैंटर में परीक्षण से इनकार कर दिया और बाद में भसीन लैब में उनके पिता और भाई का पुन: परीक्षण किया गया और परिणाम नकारात्मक आए।

उक्त मरीजों को सरकारी अस्पताल के भी इस दौर में से गुजरना पड़ा और फिर से रिपोर्ट नकारात्मक आई। मनोज तनेजा ने आरोप लगाया कि अस्पताल में उनके प्रवेश की तीसरी रात को डॉक्टर ने देखा कि मरीज फिसल रहे हैं तो उन्होंने रिपोर्ट दी कि उनके पिता अशोक तनेजा के प्लेटलेट काउंट 72,000 तक गिर गए हैं और इसके लिए एक नई दुविधा उनके सामने खड़ी कर दी, ताकि वह अधिक से अधिक देर अस्पताल में दाखिल रहे। प्लेटलेट कम होने की रिपोर्ट पर भी जब उन्होंने सवाल उठाया तो अगले दिन उसी डॉक्टर ने उन्हें बताया कि अशोक तनेजा के प्लेटलेट काउंट 2,72,000 है। लैब और सरकारी अस्पताल ने दोनों रोगियों को कोविद -19 के लिए नकारात्मक घोषित किया लेकिन इसके बावजूद ई.एम.सी. अस्पताल ने दोनों रोगियों को छुट्टी देने से इनकार कर दिया और कहा कि उन्हें केवल 11 वें दिन ही भेजा जाएगा। तनेजा परिवार ने बताया कि जब उन्होंने विरोध किया और उच्च-स्तरीय आवाज उठाई तभी दोनों मरीजों को उसी दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। हालांकि इस मामले को अधिक सार्वजानिक तो नहीं किया गया, लेकिन विजीलैंस विभाग ने इस मामले की पूरी रिपोर्ट पुलिस हाईकमान और पंजाब सरकार को भेजी थी और यह तर्क भी एफ.आई.आर. करवाने में काफी सार्थक सिद्ध हुआ था। इसके बाद ही प्रमुख समाज सेवक मनदीप सिंह मन्ना व शक्ति नगर के विक्की दत्ता ने कुछ मामलों को लेकर निजी लैब और अस्पताल पर आवाज उठाई और कई लोगों के स्वर इनके विरुद्ध उठने लगे और चलते-चलते यह मामला पंजाब सरकार के निर्देश पर विजीलैंस तक पहुंच गया।

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