पुलिस क्लोज कर देगी प्रो. सुखप्रीत कौर अपहरण केस,एक साल से नहीं मिला कोई सुराग

punjabkesari.in Tuesday, Sep 11, 2018 - 03:37 PM (IST)

अमृतसर (संजीव): गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की असिस्टेंट प्रो. सुखप्रीत कौर के अपहरण कांड को आज एक वर्ष पूरा हो गया है। सुखप्रीत कौर जिंदा है या उसे मार दिया गया है, अब इसकी जांच पुलिस क्लोज कर देगी। पिछले कई महीनों से जिला पुलिस सुखप्रीत अपहरण कांड में एक साल बीतने का इंतजार कर रही थी, क्योंकि किसी भी अपहरण के मामले को कानूनी तौर पर एक वर्ष से पहले क्लोज नहीं किया जा सकता। यह समय अवधि आज पूरी हो गई। 

प्रो. सुखप्रीत अपहरण कांड में जिला पुलिस ने शुरू में तो कड़ी मेहनत दिखाई, मगर उसके बाद न तो इस मामले में किसी अधिकारी द्वारा जांच की गई और न ही मामले को सुलझाने का प्रयास किया गया। अनौपचारिक तौर पर तो इस फाइल को पुलिस पहले ही बंद कर चुकी है, बस अब इस पर कानूनी राय लेने के बाद इसे औपचारिक रूप दिया जाएगा। 

यह था मामला
गुरु नानक देव विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर सुखप्रीत कौर के 11 सितम्बर 2017 को संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हो जाने के मामले में थाना कैंटोनमेंट की पुलिस ने अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध केस दर्ज कर मामले की गहन जांच शुरू कर दी थी, जिसमें जतिन्द्र सिंह गैरी का नाम सामने आया था और प्रो. सुखप्रीत कौर को अपहरण कर ले जाने की सी.सी.टी.वी. फुटेज भी पुलिस के हाथ लगी थी। फुटेज में जतिन्द्र सिंह गैरी यूनिवर्सिटी के ठीक सामने यू.टी. मार्किट में प्रो. सुखप्रीत से मिलने के लिए आया था, जहां प्रो. सुखप्रीत एक रेस्टोरेंट के अंदर जाती हुई दिखाई दी और कुछ समय बाद जब वह बाहर निकली तो वह गैरी के साथ बातें करती हुई उसके पीछे-पीछे चल ही थी। दोनों एक कार में बैठे और शहर की ओर रवाना हो गए थे।

इसके बाद पुलिस ने अमृतसर के साथ-साथ बाहरी क्षेत्रों में जांच शुरू कर दी। मानावाला टोल प्लाजा से पुलिस को कुछ और सुराग हाथ लगे, जिसके बाद पुलिस को पता चला कि वह जालंधर से पहले रास्ते में एक होटल में रुके थे और फिर गैरी कार लेकर अगले दिन वहां से निकल गया था। प्रो. सुखप्रीत अपहरण कांड उस समय और भी गहरा गया, जब खरड़ के रहने वाले जतिन्द्र सिंह गैरी का शव अमरोहा शहर के एक गेस्ट हाउस के कमरे में पंखे से झूलता हुआ बरामद किया।

गैरी का शव मिलने के बाद पुलिस जांच एक बार फिर जीरो प्वाइंट पर पहुंच चुकी थी। अब पुलिस ने इस अपहरण कांड को फिर से कबीर पार्क मार्किट से शुरू किया। जब जालंधर रोपड़ के टोल प्लाजा को खंगाला गया तो प्रो. सुखप्रीत सी.सी.टी.वी. फुटेज में दिखाई नहीं दी। इस पर पुलिस फिर से उसी गेस्ट हाउस में पहुंची, जहां गैरी अमृतसर से सुखप्रीत को लेकर गया था। जिस रास्ते से गैरी अमृतसर से महाराष्ट्र पहुंचा था, पुलिस उन रास्तों को खंगालती गई, लेकिन कोई भी सुराग नहीं मिल पाया। जब अमृतसर पुलिस ने अमरोहा शहर के एक गेस्ट हाऊस से जतिन्द्र सिंह विर्क का पंखे से झूलता हुआ शव बरामद किया तो कमरे की दीवारों पर लिखा गया था कि ‘आई एम इनोसेंट’। पुलिस गैरी को लगातार फॉलो कर रही थी और गैरी पुलिस के आगे-आगे भाग रहा था।

यहां यह भी बताने योग्य है कि जिस कमरे से गैरी का शव बरामद किया गया, गैरी ने उस होटल में यह कह कर कमरा लिया था कि उसके साथी पीछे आ रहे हैं और वह आकर पैसे चुकाएंगे। सुबह गैरी ने एक कप चाय ली और उसके बाद कमर बंद कर लिया। शाम तक जब वह बाहर नहीं निकला तो होटल प्रबंधन ने कमरे में झांका तो गैरी का शव पंखे से झूलता पाया। तलाशी के दौरान गैरी की जेब से पुलिस ने मात्र 40 रुपए बरामद किए थे। इसके बाद पुलिस के हाथ प्रो. सुखप्रीत अपहरण कांड में फिर से खाली हो गए थे। अब प्रो. सुखप्रीत अपहरण कांड कुछ दिनों बाद एक पहेली बनकर रह जाएगा। पुलिस इस फाइल को क्लोज कर देगी और इस बात का खुलासा कभी भी नहीं हो सकेगा कि प्रो. सुखप्रीत कैसे गायब हुई और वह जिंदा है या उसे मार दिया गया।

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