पुलवामा हमले के बाद आज भी हाथ मिला रहे हैं BSF व पाकिस्तान के जवान

punjabkesari.in Saturday, Feb 23, 2019 - 01:10 PM (IST)

अमृतसर (नीरज): केन्द्र की मोदी सरकार ने पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान से आयातित वस्तुओं पर 200 प्रतिशत ड्यूटी लगाकर अप्रत्यक्ष रूप से आई.सी.पी. अटारी बॉर्डर पर भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाला अरबों रुपयों का ट्रेड तो बंद कर दिया है लेकिन इसी आई.सी.पी. अटारी बॉर्डर की बगल में बनी जे.सी.पी. (ज्वाइंट चैक पोस्ट) अटारी बॉर्डर पर बी.एस.एफ. व पाकिस्तान रेंजर्स के बीच होने वाली परेड जारी है।

हालांकि इस परेड में बी.एस.एफ. की तरफ से झंडा उतारने की रस्म को पूरा किया जाता है और यह परंपरा भी है लेकिन जिस प्रकार से इस झंडा उतारने की रस्म को पाकिस्तान रेंजर्स के समय के अनुसार एक जैसा किया जाता है और झंडा उतारने से पहले बी.एस.एफ. के जवान पाकिस्तान रेंजर्स के जवानों के साथ हाथ भी मिलाते हैं उससे आम जनता के साथ-साथ बुद्धिजीवी वर्ग काफी नाराज नजर आ रहा है। पुलवामा में सी.आर.पी.एफ. के जवानों पर किए गए कायराना हमले से गुस्साए लोग इस बात से काफी नाराज नजर आ रहे हैं कि केन्द्र सरकार ने पाकिस्तान के साथ दोहरी नीति क्यों अपना रखी है यदि आई.सी.पी. का ट्रेड बंद कर दिया गया है तो जे.सी.पी. की परेड को भी बंद किया जाना चाहिए। हिन्दुस्तान के दुश्मनों के साथ कैसा व्यापार और कैसी परेड इस सोच के साथ काम करना चाहिए।  


जैश-ए-मोहम्मद व अल कायदा के निशाने पर है रिट्रीट सैरेमनी परेड
बी.एस.एफ. व पाकिस्तान रेंजर्स के बीच होने वाली परेड जैश-ए-मोहम्मद व अल कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों के निशाने पर है। कई बार रिट्रीट सैरेमनी स्थल पर हमला करने की धमकियां सुरक्षा एजैंसियों को मिल चुकी हैं और पाकिस्तानी इलाके में तो पाकिस्तान के रिट्रीट सैरेमनी एंट्री प्वाइंट पर फिदायीन हमला भी हो चुका है जिसमें पाकिस्तान के 62 लोग मारे गए थे। गनीमत यह रही कि जिस समय फिदायीन हमला हुआ उस समय भारतीय टूरिस्ट गैलरी में परेड देखने आए लोग जा चुके थे। 

कड़े विरोध के बावजूद समझौता एक्सप्रैस व दोस्ती बस भी जारी
पुलवामा हमले के बाद पूरा देश इस बात का विरोध कर रहा है कि पाकिस्तान के साथ व्यापारिक समझौता खत्म किए जाने के बाद अटारी वाघा बार्डर के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रैस व दोस्ती बस को भी बंद किया जाए। दिल्ली-लाहौर के बीच चलने वाली बस को तो कई बार काले झंडे दिखाए जा चुके हैं और कुछ धार्मिक संगठनों ने रोकने का प्रयास भी किया है लेकिन इसके बावजूद न तो समझौता एक्सप्रैस बंद की जा रही है और न ही दोस्ती बस को बंद किया जा रहा है। इसकी तुलना जम्मू-कश्मीर में चलने वाली दोस्ती बस को बंद किया जा चुका है। 

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