पुलवामा हमला: 2 साल बीतने के बावजूद मदद के लिए भटक रहा शहीद का परिवार, नहीं पूरे हुए सरकारी वादें
punjabkesari.in Sunday, Feb 14, 2021 - 05:44 PM (IST)
तरनतारन (रमन): आज से 2 साल पहले 14 फरवरी को देश के लिए श्रीनगर के आवंतीपुरा में हमले में शहीद हुए सुखजिंदर सिंह के परिजनों में सरकारी ऐलानों के पूरे न होने के कारण काफी रोष पाया जा रहा है। गौर हो कि शहीद की पत्नी को 2 साल बीत जाने के बावजूद जहां सरकारी नौकरी नहीं दी गई, वहीं न तो सरकार द्वारा पिता के सिर चढ़ा ढाई लाख रुपए का कर्ज माफ किया गया और न ही स्टेडियम तैयार किया गया है।
गांव गंडीविंड निवासी गुरमेज सिंह का बेटा सुखजिंदर सिंह मेहनत के बल्ल पर 2003 दौरान सी.आर.पी.एफ. में सिपाही भर्ती हो गया। सुखजिंदर सिंह बहुत ही दलेर और खुश मिजाज मनुष्य था। आज से 2 साल पहले 14 फरवरी की मनहूस शाम को 7 बजे आए एक फोन कॉल ने सुखजिंदर के परिजनों को दिव्यांग बना दिया। जिसमें पुलवामा में सी.आर.पी.एफ. की एक बस पर हुए फिदायीन हमले दौरान सुखजिंदर के शहीद होने की सूचना मिली। इस दौरान रोष जाहिर करते हुए पिता ने कहा कि पंजाब सरकार की तरफ से उनको 12 लाख रुपए की राशि देते हुए कई और वायदे भी किए गए थे। जो आज तक पूरे नहीं हुए। जिस संबंधित कई बार सरकार को याद करवाया गया, परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने बताया कि 3 किले जमीन पर बैंक द्वारा ढाई लाख रुपए कर्ज लिया था। जिसको सरकार ने माफ तक नहीं किया।
शहीद के भाई गुरजंट सिंह जंटा ने गुस्सा जाहिर करते हुए बताया कि उस समय के सांसद रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा की तरफ से गांव में शहीद के नाम पर एक खेल स्टेडियम तैयार करने के लिए 20 लाख रुपए जारी किए गए थे। जिस संबंधित विधानसभा हलका पट्टी के विधायक हरमिंदर सिंह गिल ने स्टेडियम को मुकम्मल तैयार करने के लिए बकाया राशि देने का ऐलान किया था, परन्तु 2 साल बीत जाने के बावजूद गांव गंडीविंड में सिर्फ 30 प्रतिशत काम ही पूरा किया गया। इसी के साथ मौजूदा सरपंच अमरजीत सिंह, अंग्रेज सिंह मैंबर, सिकंदर सिंह ने मांग की कि इस स्टेडियम को जल्द तैयार करवाया जाए, जिससे युवा पीढ़ी शहीद सुखजिंदर की शहादत को याद करते हुए नशे की दलदल से दूर रह सकें।
इस मौके शहीद की पत्नी सरबजीत कौर ने बताया कि उसके पति को शहीद हुए 2 साल बीत गए हैं, परंतु उसे अभी तक नौकरी का नियुक्ति पत्र नहीं मिला। अब बेटा गुरजोत सिंह ढाई साल का हो गया है। जिसके भविष्य की उसे बहुत चिंता है। गुरजोत अपने पिता की तस्वीर देख कर अक्सर उन्हें याद करता है। सरबजीत कौर ने आगे बताया कि सरकार ने उसे पहला दर्जा चार (चपड़ासी) की नौकरी देने की पेशकश की। जिसके बाद सीनियर लैबोरेटरी सहायक की नौकरी देने का वायदा किया है। सरबजीत कौर ने कहा कि 2 साल पहले उसका पति देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर गया, शायद अब परिवार को सरकार क्या सुविधाएं और सम्मान दे रही है यह उसके पति को नहीं पता।
उधर डी.सी. कुलवंत सिंह ने बताया कि शहीद के परिवार को बनता पूरा सम्मान दिया जाएगा और शहीद की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि शहीद की पत्नी सरबजीत कौर को दी जाने वाली सरकारी नौकरी की कार्रवाई मुकम्मल हो चुकी है। जिसके अंतर्गत मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरफ से शहीद की पत्नी को नियुक्ति पत्र जल्द ही दिया जाएगा।