पंजाब में 'AAP' हुई दो फाड़, कहीं टोहड़ा और मान जैसा न हो जाए हाल

punjabkesari.in Saturday, Aug 04, 2018 - 06:40 PM (IST)

चंडीगढ़: बठिंडा में सात विधायकों के साथ कन्वेंशन करके आम आदमी पार्टी (आप) के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को खुली चुनौती देने वाले पंजाब के पूर्व नेता विपक्ष सुखपाल खैहरा की राह अब आसान नहीं रह गई है। 2019 के संसदीय चुनाव सिर पर हैं, ऐसे में खैहरा किस तरह अपना राजनीति भविष्य संवारेंगे, यह भी तय नहीं है। लोकसभा चुनाव से पहले ‘पंजाब आप’ वर्सिस ‘दिल्ली आप’ जैसी स्थिति के आसार बनते दिख रहे हैं। 

इन पार्टियों में बने थे अलग-अलग ग्रुप
शिअद में भी अकाली दल बादल, अकाली दल मान और अकाली दल टोहड़ा के रूप अलग-अलग गुट बने थे, लेकिन आज टोहड़ा और मान ग्रुप का अस्तित्व लगभग समाप्त हो चुका है। इसी तरह कभी अकाली दल से शुरुआत करने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी अपना गुट खड़ा किया था, लेकिन बाद में उन्हें कांग्रेस में आना पड़ा। दूसरी ओर, केजरीवाल द्वारा वीरवार को आप विधायकों से मीटिंग के बावजूद बागी विधायकों पर कार्रवाई का कोई एलान नहीं किया गया, जिसे देखकर लगता है कि वह इन सात बागी विधायकों के बारे में भी वही रणनीति अपनाएंगे, जो उन्होंने दो बागी सांसदों डा. धर्मवीर गांधी व हरिंदर सिंह खालसा के खिलाफ बनाई थी। 

अब खैहरा का होगा विधानसभा में यही हाल 
दोनों सांसदों को पार्टी विरोधी गतिविधियों में भाग लेने के चलते निलंबित करके जांच बिठा दी गई, लेकिन तीन साल बीतने के बावजूद इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। यानी दोनों नेता सांसद रहते हुए भी संसद में बोलने को तरस जाते हैं, क्योंकि बोलने के लिए मिलने वाले समय को संसद में पार्टी लीडर करता है। लगभग यही हाल अब खैहरा और उनके साथियों का विधानसभा में होने वाला है। बजट या राज्यपाल के अभिभाषण समेत होने वाली तमाम बहस के लिए पार्टी को मिलने वाला समय विपक्ष का नेता तय करेगा। साफ है कि यह समय अब खैहरा समेत उन सात विधायकों को न देकर केजरीवाल ग्रुप के विधायकों को ही दिया जाएगा। ऐसा, विधायकों को विधानसभा की कमेटियों में एडजस्ट करने के मामले में भी होगा। महत्वपूर्ण कमेटियों में सुखपाल खैहरा के ग्रुप के विधायकों को जगह नहीं मिलेगी।

लोक इंसाफ पार्टी पहले ही केजरीवाल ग्रुप छोड़ चुकी है
लोक इंसाफ पार्टी पहले ही केजरीवाल ग्रुप का साथ छोड़ चुकी है। इन दोनों विधायकों को भी विधानसभा में बोलने के लिए समय नहीं मिलता, क्योंकि उनका व्यवहार सीधा टकराव वाला होता है, लेकिन इतना तय है कि अब सुखपाल खैहरा ग्रुप और लोक इंसाफ पार्टी ग्रुप के दोनों विधायक अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए लिए केजरीवाल ग्रुप के विधायकों पर भारी पडऩे की कोशिश करते रहेंगे।

Vaneet