कोरोनावायरसः पंजाब व चंडीगढ़ के चमगादड़ों की रिपोर्ट Negative

punjabkesari.in Thursday, Apr 16, 2020 - 02:49 PM (IST)

चंडीगढ़ (अर्चना सेठी): कोरोना वायरस के आतंक को रोकने के लिए चमगादड़ों पर नजर रखने की जरूरत है। देश में मैजूद चमगादड़ों को 2 प्रजातियों टेरोपस और रोजेट्स में अलग किस्म का कोरोना वायरस मिला है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह वायरस बेशक कोरोना फैमिली से संबंधित है परंतु दुनिया में फैले कोविड-19 वायरस से पूरी तरह मेल तो नहीं खाता। यह भी पता चला है कि चंडीगढ़ और पंजाब के चमगादड़ वायरस से सुरक्षित हैं।

जानकारी के अनुसार इंडियन कौसिल ऑफ मैडीकल रिसर्च (आई.सी.एम.आर.) ने विभिन्न राज्यों के चमगादड़ों  के सैंपल लिए थे। कोरोना वायरस से हो रही त्रासदी को देखते हुए शोधकर्ताओं ने चमगादड़ों से कोरोना वायरस के संबंध को देखने के लिए टैस्ट किए। रिसर्च में लिए गए 508 रैक्टल स्वैब में 27 चंडीगढ़ और 14 सैंपल पंजाब के पटियाला से संबंधित थे। 78 थ्रोट स्वैब में से 6 चंडीगढ़ और 2 पंजाब के चमगादड़ों के थे। चंडीगढ़ और पंजाब के चमगादड़ों का एक भी सैंपल पॉजीटिव नहीं आया जबकि 21 रैक्टल और 4 थ्रोट स्वैब की रिपोर्ट पॉजीटिव पाई गई है। अब चमगादड़ों पर बड़े स्तर पर रिसर्च की जरूरत है। उधर, भारत सरकार के एनिमल वैल्फेयर बोर्ड ने चमगादड़ों पर बड़े स्तर पर शोध करने वाले संस्थान को वित्तीय सहयोग देने का ऐलान भी कर दिया है। 

पंजाब के हर जिले में हैं चमगादड़
पंजाब के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन डॉ.कुलदीप कुमार का कहना है कि पंजाब के लगभग हर जिले में चमगादड़ मौजूद है। राज्य के ऐसे स्थान जहां बाग-बगीचे, जंगल है या वीरान खंडहर इत्यादी है वहां चमगादडड़ों की बड़ी तादाद है। चमगादड़ों की पंजाब में क्या संख्या होगी इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि कभी इनकी गणना नहीं की गई। 

करेंगे चमगादड़ों पर रिसर्च 
एनिमल वैल्फेयर बोर्ड के केंद्रीय सदस्य मोहन सिंह आहलूवालिया का कहना है कि चमगादड़ों में मौजूद वायरस की पहचान के लिए अगर कोई अनुसंधान संस्थान या पी.जी.आई. जैसे इंस्टीच्यूट बड़े स्तर पर रिसर्च करना चाहे तो बोर्ड द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। आहलूवालिया का कहना है कि देश में हर साल 2 से 3 किस्म के वायरस अटैक करते है, फ्लू, निमोनिया जैसे वायरस पहले भी आते रहे है. परंतु वायरस का आक्रामक होना खतरनाक है। चमगादड़ों का वायरस से गहरा नाता रहा है, ऐसे में गहन रिसर्च की जरूरत है। 

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