कैप्टन सरकार का यू-टर्न: 8886 टीचर्स को रैगुलर करने की मंजूरी अधर में लटकी

punjabkesari.in Friday, Aug 31, 2018 - 08:35 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी/ भुल्लर): पंजाब सरकार ने यू-टर्न लेते हुए सर्व शिक्षा अभियान व राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान तहत कार्य कर रहे 8886 टीचर्स को रैगुलर करने का मामला फिलहाल अधर में लटका दिया है। वीरवार को हुई पंजाब मंत्रिमंडल की बैठक में पहले मंत्रिमंडल ने टीचर्स को रैगुलर करने की घोषणा कर दी लेकिन बाद में इस फैसले को वापस ले लिया गया। कहा गया कि चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से सरकार ने  यह  फैसला  फिलहाल टाल दिया है।

पंजाब सरकार ने आढ़तियों पर मनी लेंड्रिंग एक्ट को लागू करने का इरादा भी छोड़ दिया है और बाकी मांगों के निपटारे के लिए 4 सदस्यीय कैबिनेट सब-कमेटी गठित कर दी है। उल्लेखनीय है कि चाहे सरकार द्वारा हाल ही में विधानसभा सत्र में यह एक्ट लाया जाना था, परंतु आढ़तियों के राज्य स्तरीय आंदोलन के मद्देनजर इस पर अमल रोक दिया गया है। विधानसभा में केंद्र सरकार से फंड लेने की योजना के तहत आढ़तियों पर सैस लगाने के संबंध में एक्ट पास किया गया है। कच्चा आढ़ती एसोसिएशन पंजाब के अध्यक्ष विजय कालड़ा का कहना है कि अगर 31 अगस्त की मीटिंग में उनकी मांगों का निपटारा न हुआ तो विधानसभा में पास हुए एक्ट के विरोध में पहली सितम्बर से मंडियों का कार्य ठप्प किया जाएगा। 

बेअदबी व गोलीकांड की जांच निर्णय पर गहनता से हुआ विचार
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि विधानसभा में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी व गोलीकांड मामले की जांच पंजाब पुलिस को सौंपने का जो निर्णय लिया गया है, उसके सभी कानूनी पहलुओं का गहनता से अध्ययन किया जाए। विधानसभा में पंजाब सरकार ने बेअदबी व गोलीकांड के मामले की जांच सी.बी.आई. से वापस लेने का निर्णय लिया था लेकिन इस निर्णय पर कुछ कानूनी विद्वानों ने सवाल उठाए थे। कानून के कुछ जानकारों का कहना था कि सरकार सी.बी.आई. से जांच वापस नहीं ले सकती है। 

इन्हें भी दी मंजूरी
मंत्रिमंडल ने पंजाब में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए सामाजिक सहयोग को भी हरी झंडी दी है। बैठक दौरान पंजाब के सरकारी स्कूलों में कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सी.एस.आर.) दान फंड के निवेश के लिए व्यापक दिशा-निर्देशों को मंजूरी दे दी है। इसी कड़ी में मंत्रिमंडल ने पंजाब कस्टम मिलिंग ऑफ पैडी पॉलिसी को भी मंजूरी प्रदान कर दी है। इससे किसानों से धान की बिना अड़चन खरीद व केंद्रीय भंडार में चावल की सप्लाई को यकीनी बनाया जा सकेगा। 
 

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