इतिहास के झरोखे सेःपंजाब में 5 लोकसभा मैंबर बने मुख्यमंत्री!

punjabkesari.in Sunday, Mar 31, 2019 - 08:27 AM (IST)

लुधियाना: पंजाब की ऐतिहासिक सियासी झरोखों में कई ऐसा नेता भी अपनी अपनी पार्टी में जहां कई बार विधायक बने पर फिर एम.पी. भी चुने गए जिसके चलते उनको पंजाब के मुख्यमंत्री की कुर्सी भी नसीब हुई।

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यदि नजर दौड़ाई जाए तो सबसे पहले ज्ञानी जैल सिंह होशियारपुर से एम.पी. रहे और 1975 में पंजाब के मुख्यमंत्री के अलावा देश के राष्ट्रपति पद तक पहुंचे। इसी तरह दरबारा सिंह जालंधर से लोकसभा सदस्य बने और 1980 में बतौर पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। इसी कड़ी में सुरजीत सिंह बरनाला 1977 में संगरूर से सांसद बने और केंद्रीय मंत्री भी रहे। इसके बाद 1985 में मुख्यमंत्री पंजाब बने। 

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प्रकाश सिंह बादल भी 1977 में फरीदकोट से सांसद बने और केंद्रीय खेतीबाड़ी मंत्री भी रहे। पंजाब के 5 बार मुख्यमंत्री होने का मान भी हासिल किया। जबकि मौजूदा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह भी 1985 में पटियाला से एम.पी. रह चुके हैं और 2014 में अमृतसर से लोकसभा मैंबर बने और बतौर डिप्टी नेता भी सेवा कर चुके हैं। वह आजकल पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यभार संभाल रहे हैं।

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चाहे 1966 में राज्यों की बांट के समय से लेकर अब तक के इतिहास में प्रताप सिंह कैरों, जस्टिस गुरनाम सिंह 2 बार, लक्ष्मण सिंह गिल, शेरे पंजाब स्व. बेअंत सिंह, हरचरण सिंह बराड़ और बीबी राजेंद्र कौर भट्ठल मुख्यमंत्री रहे परंतु एम.पी. नहीं बन सके।

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इतिहास के सियासी झरोखे में से यदि कोई पंजाब से विजेता एम.पी. देश का प्रधानमंत्री बना तो वह इन्द्र कुमार गुजराल थे । वह जालंधर से एम.पी. बने थे। इसी तरह देश का सबसे बड़ा राष्ट्रपति पद किसी पंजाबी को नसीब हुआ तो वह थे ज्ञानी जैल सिंह जो होशियारपुर से एम.पी. बने थे।

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