चेयरमैनी की राह देख रहे नेता रो रहे हैं खून के आंसू,कैप्टन ने किया अनदेखा

punjabkesari.in Thursday, Jan 03, 2019 - 11:35 AM (IST)

जालंधर(रविंदर): कांग्रेस को प्रदेश की सत्ता में आए तकरीबन 2 साल का समय होने जा रहा है। मगर जिन वर्करों व दूसरी कतार के नेताओं के कारण कांग्रेस सत्ता में आई उनकी एक न चली। सत्ता संभालते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह  इन्हें भूल गए। बस मौज रही तो चंद नेताओं व ब्यूरोक्रेट्स की।  पार्टी नेताओं की बजाय कैप्टन को आज भी ब्यूरोक्रेट्स पर ज्यादा भरोसा है। इसका खमियाजा आने वाले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है। 

वर्करों के लिए लंबा हो गया इंतजार
मार्च, 2019 में कांग्रेस को प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुए 2 साल का वक्त पूरा हो जाएगा। इससे पहले 10 साल तक कांग्रेस सत्ता से बाहर रही थी। जिस कारण अधिकांश बड़े नेता खुद घरों में दुबक गए थे।  मगर पार्टी को खड़ा रखा था वर्करों व दूसरी कतार के नेताओं ने। उन्होंने बार-बार सत्ताधारी अकाली-भाजपा सरकार के खिलाफ धरने लगाए थे और कांग्रेस का जनता के बीच माहौल बनाया था। उम्मीद थी कि खुद की सरकार आएगी तो उनके दिन भी फिरेंगे, मगर इंतजार काफी लंबा हो गया। 10 साल सत्ता से बाहर और 2 साल सत्ता के अंदर रहने यानी 12 साल का लंबा इंतजार अब पार्टी नेताओं व वर्करों का हौसला तोड़ रहा है। कई कांग्रेसी नेता अब भी उम्मीद में हैं और कहते हैं कि रूड़ी की भी सुनी जाती है तो उनकी क्यों नहीं। 

कैप्टन को ब्यूरोक्रेट्स पर ज्यादा भरोसा
विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने पार्टी नेताओं से वायदा किया था कि जिन लोगों को टिकट दी जा रही है। उन्हें बोर्ड व कार्पोरेशन की चेयरमैनियों पर एडजस्ट नहीं किया जाएगा। टिकट के दावेदार रहे नेता जिन्हें टिकट नहीं मिल सकी थी, उन्हें सबसे पहले इन चेयरमैनियों पर एडजस्ट किया जाएगा।  मगर पिछले 2 साल में ऐसा नहीं हो सका। कुछ चंडीगढ़ तो कुछ पटियाला के चक्कर लगाकर अब घरों में बैठ गए हैं। हालात ये बन गए हैं कि जिन नेताओं को चेयरमैनी देने का वायदा किया गया था उनकी पहचान भी सी.एम. आफिस में नहीं हो रही है। सी.एम. आफिस को सिर्फ ब्यूरोक्रेट्स पर विश्वास है क्योंकि पिछले 2 साल में अगर सरकारी विभागों पर किसी को एडजस्ट किया गया है तो रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स को। महज लाल सिंह, राजिंद्र कौर भट्ठल, अमरजीत सिंह समरा और रमन बहल ही चंद नेता हैं जिनकी अभी तक सरकार में सुनवाई हुई है।   जिन महत्वपूर्ण पदों पर पार्टी के नेता होने चाहिए थे उन पर आज रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स विराजमान हैं। 

नेताओं की टूटी उम्मीद,कईयों ने पद के लिए बेच दिया घर-बार
दूसरी कतार के नेताओं के राजनीतिक हाशिए पर जाने व किसी तरह की उम्मीद उस समय भी टूटती नजर आ रही है । अधिकांश बची हुई बोर्ड व कार्पोरेशन चेयरमैनियों पर कैप्टन सरकार ने विधायकों को एडजस्ट करने का मन बना लिया है। उम्मीद से ज्यादा विधायक पाने वाली कांग्रेस को अपने अंदर ही भीतरघात का डर सता रहा है। 70 विधायकों वाली सरकार के अधिकांश विधायक मंत्रालय न मिलने पर खफा हैं। इनमें से अधिकांश को चेयरमैनी देकर संतुष्ट करने का प्रयास किया जाएगा। कैप्टन सरकार का यह फैसला भी दूसरी कतार के नेताओं व वर्करों के दिलों पर छुरी चलाने का काम कर रहा है। पिछले कई साल से चेयरमैनी का इंतजार कर रहे इन नेताओं को अब खून के आंसू पीने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इस पद के लिए कईयों के तो घर-बार व जमीन तक बिक गई है। सपने टूट हो चुके हैं। अधिकांश पार्टी विधायक भी अब तो अपने सपोर्टर्स को खुश करने में नाकाम हो रहे हैं। इसका खमियाजा पार्टी को लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। सरकार से खफा कई नेता हवा का रुख देख रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद अधिकांश नेता पार्टी को अलविदा कह सकते हैं और पार्टी के भीतर ही बगावत उठ सकती है। 

बगावत के डर से नहीं हो रहा चेयरमैनियों का ऐलान
पार्टी के सीनियर नेता कहते हैं कि कैप्टन सरकार को खुद डर है कि चेयरमैनियों की घोषणा के साथ ही पार्टी में बगावत न हो जाए। वे कहते हैं कि सरकार बनने पर वर्करों व नेताओं की उम्मीदें बेहद ज्यादा थीं मगर कैप्टन के मुंह में छिपकली वाला काम हो गया है। अगर चेयरमैनी नहीं देते तो भी नाराजगी और अगर चेयरमैनी पर एक को एडजस्ट करते हैं तो चेयरमैनी न पाने वाले 10 नेताओं की नाराजगी। कैप्टन को डर है कि अगर लोकसभा चुनाव से पहले चेयरमैन पद पर विधायकों को बिठा दिया गया तो पार्टी के भीतर ही बगावत हो सकती है, इसलिए इन पदों को लगातार लटकाया जा रहा है। 

तीसरे मोर्चे व ‘आप’ की परफॉर्मैंस पर रहेगी नजर
कांग्रेस से नाराज चल रहे अधिकांश नेता अब लोकसभा चुनाव का इंतजार कर रहे हैं। पंजाब में बने तीसरे मोर्चे व आम आदमी पार्टी की लोकसभा चुनाव में कैसी परफॉर्मैंस रहती है इस पर इन नाराज नेताओं की नजर रहेगी। अगर ये दोनों पाॢटयां पंजाब में अपना कुछ असर दिखाएंगी तो अधिकांश नेता कांग्रेस के भीतर ही बगावत का बीज बोएंगे, क्योंकि बरगाड़ी कांड के बाद बैकफुट पर गए अकाली दल ने इन सभी नेताओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। 

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