राज्य स्तरीय रिव्यू मीटिंग में निर्धारित 19 मानकों में कई पर खरी नहीं उतरी पंजाब सरकार
punjabkesari.in Friday, Apr 13, 2018 - 08:53 AM (IST)
चंडीगढ़ (अश्वनी): दिव्यांगों के मामले में पंजाब सरकार की कारगुजारी संतोषजनक नहीं है। उनके लिए सरकार को जो कुछ करना था वह नहीं किया। इसका खुलासा केंद्रीय सामाजिक न्याय व सशक्तिकरण मंत्रालय के अधीन दिव्यांगजन विभाग के चीफ कमिश्नर कमलेश कुमार पांडेय ने किया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि राइट फॉर पर्सन विद डिसेबिलिटी एक्ट के तहत राज्य सरकारों को दिव्यांगों की भलाई के लिए कार्य करने होते हैं जिनकी समीक्षा के संबंध में पंजाब आना हुआ।
इस दौरान 19 मानकों के आधार पर सरकारी कार्यप्रणाली की समीक्षा की लेकिन कई पर सरकार खरी नहीं उतर पाई। पंजाब में अब तक गर्भ में बच्चों की जांच डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवैंशन सैंटर (डी.ई.आई.सी.) नहीं है। पंजाब में 2011 जनगणना के मुताबिक 6.52 लाख दिव्यांग हैं जिनमें से केवल 3.82 लाख को ही डिसेबिलिटी सर्टीफिकेट मिला है। उन्हें पैंशन के मामले में भी पंजाब पड़ोसी राज्य हरियाणा से पीछे है। पंजाब में 750 रुपए पैंशन दी जाती है जबकि हरियाणा में इस समय 1800 रुपए दी जा रही है। दिव्यांगों को लघु उद्योग प्रशिक्षण के लिए भी राज्य में अभी बड़ी ठोस पहल नहीं हो पाई है। वहीं एक्ट के तहत दिव्यांगों को नौकरी में आरक्षण दिया जाता है लेकिन पंजाब में अभी भी 528 नौकरियों का बैकलॉग है।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में बातचीत में पंजाब के चीफ सैके्रटरी करण अवतार सिंह ने दिव्यांगों के सशक्तिकरण व योजनाओं को ठोस ढंग से अमल में लाने का भरोसा दिलवाया है। इसके तहत पंजाब सरकार दिव्यांगों के लिए यू.डी.आई.डी. नंबर जारी करेगी ताकि उन्हें स्कीमों का लाभ मिल सके। डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवैंशन सैंटर स्थापित करने को लेकर भी भरोसा दिया।