Gym में इस्तेमाल होने वाले Supplements को लेकर बड़ी खबर, पंजाब सरकार ने लिया कड़ा फैसला

punjabkesari.in Monday, Aug 18, 2025 - 10:06 AM (IST)

लुधियाना (सहगल): पिछले कुछ समय से जिम में युवाओं में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पंजाब सरकार ने तुरंत कदम उठाने का फैसला किया है। सरकार के नए फैसले के मुताबिक, अब पंजाब भर के जिम में इस्तेमाल होने वाले सप्लीमेंट्स की जांच की जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग इस बात की जांच करेगा कि जिममें युवाओं को दिए जाने वाले पाउडर, कैप्सूल या पेय पदार्थ स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हैं या नहीं। कई बार बाज़ार में घटिया या प्रतिबंधित सप्लीमेंट आ जाते हैं, जिनका शरीर पर तुरंत असर तो होता है, लेकिन लंबे समय में स्वास्थ्य के लिए ख़तरा बन सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट किया है कि यह सिर्फ़ सप्लीमेंट्स की जांच तक सीमित नहीं रहेगा। सरकार जिम ट्रेनर्स को सी.पी.आर. की बेहतर ट्रेनिंग भी देगी ताकि आपातकालीन स्थिति में किसी युवा की जान बचाई जा सके।

जिम वर्कआउट और खेल गतिविधियों के दौरान अचानक आने वाली स्वास्थ्य समस्याओं—विशेषकर दिल का दौरो की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए, पंजाब सरकार की ओर से एक विस्तृत एडवाइजरी जारी की गई है, ताकि लोग फिटनेस को सुरक्षित और संतुलित तरीके से अपनाएं। पिछले कुछ समय से जिम में युवाओं में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों पर राज्य सरकार ने संज्ञान लेते हुए इस मामले को गंभीरता से लेकर  पंजाब सरकार ने तुरंत कदम उठाने का फैसला किया है। सरकार के नए फैसले के मुताबिक, अब पंजाब भर के जिम में इस्तेमाल होने वाले पाउडर अथवा सप्लीमेंट्स की जांच की जाएगी।

7 अगस्त को लुधियाना में इसी मुद्दे पर एक अहम मीटिंग किए अध्यक्षता करते हुए राज्य के स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर बलबीर सिंह ने कहां कि स्वास्थ्य विभाग इस बात की जांच करेगा कि जिम में युवाओं को दिए जाने वाले पाउडर, कैप्सूल या पेय पदार्थ स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हैं या नहीं। कई बार बाज़ार में घटिया या प्रतिबंधित सप्लीमेंट आ जाते हैं, जिनका शरीर पर तुरंत असर तो होता है, लेकिन लंबे समय में स्वास्थ्य के लिए ख़तरा बन सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट किया है कि यह सिर्फ़ सप्लीमेंट्स की जांच तक सीमित नहीं रहेगा। सरकार जिम ट्रेनर्स को सी.पी.आर. की बेहतर ट्रेनिंग भी देगी ताकि आपातकालीन स्थिति में किसी युवा की जान बचाई जा सके। लोगों का कहना कि अगर डिब्बा बंद पाउडर और सप्लीमेंट्स की निरंतर जांच की जाए तो असलियत सामने लाई जा सकती है


विशेषज्ञ कह रहे हैं डिब्बा बंद पाउडर भी हो सकता है कसरत के दौरान होने वाली मौतों का कारण
उल्लेखनीय है कि डब्बा बंद पाउडर के प्रति ने रंग रूप पहलवानों के बढ़ते रुझान को देखते हुए बाजार में डिब्बा बंद पाउडर के विभिन्न ब्रांडस की बाढ़ आ गई है। इस धंधे में कमाई का साधन देखते हुए अब बोरियों में भरकर पाउडर मंगवाया जा रहा है और उसे डिब्बों में बंद करके महंगे दामों पर बेचा जा रहा है। परंतु स्वास्थ्य विभाग के फूड विंग इस और काम ही ध्यान दे रहा है बरसों पहले स्वास्थ्य विभाग द्वारा सिविल लाइन के क्षेत्र में काफी बड़ी मात्रा में ऐसा स्टॉक पकड़ा था परंतु बाद में उसका क्या बना यह आज तक पता नहीं चला।


मिलावटखोर को पकड़ भी लेते हैं तो छुपा लेते हैं उसका नाम
पिछले कुछ वर्षों से स्वास्थ्य विभाग के फूड विंग की कारगुजारी इस तरह हो गई है कि अगर वह किसी मिलावट खोर को पकड़ भी लेते हैं तो उसका नाम सार्वजनिक नहीं करते और जिन फूड बिजनेस ऑपरेटर के फूड सैंपल जांच में फेल हो जाते हैं या खाने योग्य नहीं पाए जाते अथवा जानलेवा सिद्ध होने वाले खाद्य पदार्थों को बनाने और बेचने वालों के नाम भी स्वास्थ्य विभाग इस तरह छुपा कर रखता है मानो कोई उनका बहुत खास यह काम करते हुए पकड़ा गया हो लोगों को कहना है कि स्वास्थ्य मंत्री को चाहिए कि वह ऐसे दिशा निर्देश भी दे कि आरोपी व दोषी मिलावटखोरों के नाम प्राथमिकता पर सार्वजनिक किए जाएं।


सिविल सर्जन ने जारी किए दिशा निर्देश कहां खेल सुरक्षा नियमों का करें पालन
सिविल सर्जन लुधियाना, डॉ. रमनीप कौर ने कहां है कि“हमारे युवाओं को फिटनेस को जीवनशैली के रूप में अपनाना चाहिए, लेकिन जिम्मेदारी के साथ। मेडिकल फिटनेस टेस्ट, सुरक्षित प्रशिक्षण और उचित पोषण व्यायाम जितने ही ज़रूरी हैं। जिम, खेल अकादमियों और फिटनेस सेंटर्स को यह एडवाइजरी प्रदर्शित करनी चाहिए और सदस्यों को जागरूक करना चाहिए। सुरक्षा और स्वास्थ्य हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।” उन्होंने सभी जिम जाने वालों, फिटनेस प्रेमियों और खिलाड़ियों से अपील की कि वह अनिवार्य मेडिकल स्क्रीनिंग में ईसीजी, ब्लड प्रेशर, शुगर और बीएमआई जैसे टेस्ट जिम या खेल की शुरुआत से पहले किए जाएं। जिन्हें हाईपरटेंशन, शुगर, दिल की बीमारी या अस्थमा है, वे अपने डॉक्टर से सलाह लें। उन्होंने कहा कि हर वर्कआउट की शुरुआत 10–15 मिनट की वॉर्म-अप से और अंत कूल-डाउन स्ट्रेच से होना चाहिए, प्रशिक्षण हमेशा प्रमाणित ट्रेनर की देखरेख में होना चाहिए ।


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Content Writer

Vatika

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