जैवविविधता को लेकर पंजाब सरकार नहीं है गंभीर, एन.जी.टी. ने लगाया 10 लाख जुर्माना

punjabkesari.in Friday, Oct 30, 2020 - 10:44 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी कुमार): 16 साल तक पंजाब सरकार ने प्रदेश की जिस जैवविविधता को लेकर संजीदगी नहीं दिखाई, अब उस पर जुर्माना लगने के बाद सरकार को माफी की गुहार लगानी पड़ रही है। बात हो रही है, बायोलॉजिकल डायवर्सिटी यानी जैवविविधता से जुड़े मामले पर नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) के फैसले की। 

दरअसल, ट्रिब्यूनल ने अगस्त, 2019 पंजाब को जैवविविधता अधिनियम और जैवविविधता नियम, के उल्लंघन का दोषी पाते हुए फरवरी से प्रति महीना 10 लाख रुपए जुर्माना लगाया था। इसके साथ दिसम्बर में अगली सुनवाई तक कानून के अनुपालन संबंधी आदेश जारी किए थे। अब पंजाब बायोडायवर्सिटी बोर्ड ने ट्रिब्यूनल में एक हल्फनामा दायर कर आदेश के पालन की बात कहते हुए जुर्माना माफ करने की गुहार लगाई है।

हल्फनामे में मैंबर सैक्रेटरी ने बताया है कि बोर्ड ने कोविड-19 जैसी महामारी के बाद भी बायोडायवर्सिटी मैनेजमैंट कमेटी (बी.एम.सी.) और पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर्स (पी.बी.आर.) को 100 फीसदी मुकम्मल करने का लक्ष्य पूरा किया है। यह काफी बड़ी चुनौती थी, जिसे पहले भी पूरा किया जा सकता था लेकिन कोविड-19 के कारण समय लग गया। इन परिस्थितियों को देखते हुए ट्रिब्यूनल से आग्रह है कि जुर्माना माफ किया जाए। हल्फनामे पर ट्रिब्यूनल अब अगली सुनवाई पर फैसला सुनाएगा।

अचानक आई रफ्तार, 100 फीसदी लक्ष्य तक पहुंची सरकार
हल्फनामे में दावा किया गया है कि बोर्ड ने जुलाई 2020 तक 100 फीसदी कार्य मुकम्मल किया है। इसके तहत कुल 13,599 बायोडायवर्सिटी मैनेजमैंट कमेटी (बी.एम.सी.) और 13,599 ही पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर्स (पी.बी.आर.) मुकम्मल किए गए हैं। कुछ ही महीनों में मुकम्मल हुए आंकड़ों की यह रफ्तार इसलिए भी दिलचस्प है, क्योंकि जनवरी 2020 तक प्रदेशभर में महज 1495 पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर्स (पी.बी.आर.) ही मुकम्मल हो पाए थे। इस लिहाज से महज 5 महीनों में 100 फीसदी लक्ष्य प्राप्ति हुई। इसके उलट, अगस्त 2019 में जब ट्रिब्यूनल ने 10 लाख रुपए जुर्माने का आदेश सुनाया था, तो जनवरी 2020 यानी फैसले के 5 महीने बाद तक पंजाब बायोडायवर्सिटी बोर्ड ने पी.बी.आर. तैयार करने के मामले में करीब 15 फीसदी लक्ष्य तक की भी प्राप्ति नहीं की थी। 

वर्ष 2016 की याचिका, 2 साल की सुनवाई के बाद सख्त हुआ ट्रिब्यूनल
जैवविविधता कानून के उल्लंघन को लेकर 2016 में चंद्रभाल सिंह नाम के एक याची ने ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की थी। दो साल तक सुनवाई चलती रही लेकिन कई राज्य सरकारों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। इसी बात को लेकर ट्रिब्यूनल ने सख्त तेवर अख्तियार करते हुए प्रति महीना 10 लाख रुपए जुर्माने का फैसला सुनाया। ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा कि 16 साल तक एक कानून का पालन नहीं होना वाकई गंभीर मामला है।

पंजाब बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट, खतरे में कई प्रजातियां
जैवविविधता के मामले में पंजाब काफी समृद्ध है। खासतौर पर शिवालिक फुटहिल्स, संरक्षित वन्यक्षेत्र और बड़ी झीलें जैवविविधता को बखूबी बयां करती हैं। शिवालिक का ईको सिस्टम पूरे क्षेत्र के पर्यावरण को संतुलित रखता है। बेशक पंजाब में हरियाली का ग्राफ काफी कम है लेकिन यहां की नदियां, झीलें, तालाब सहित पहाड़ियों में कई तरह के पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं का बसेरा है।

पंजाब में बढ़ते शहरीकरण के कारण कई स्तर पर जैवविविधता को बरकरार रखने की चुनौतियां उभर रही हैं, जिसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। पंजाब बायोडायवर्सिटी बोर्ड ने खतरे में पड़ी कुछ प्रजातियों को चिह्नित करते हुए इस बाबत नोटिफिकेशन भी जारी की है। वन्यजीवों के स्तर पर गिद्ध, सारस, अजगर, कछुआ और डॉलफिन को खतरे की श्रेणी में रखा गया है। वहीं, करीब आधा दर्जन वनस्पतियों को भी खतरे वाली प्रजातियों की सूची में डाला गया है।

जैवविविधता के संरक्षण को ही ध्यान में रखते हुए वन एवं वन्यजीव विभाग के स्तर पर 2017 से लेकर अब तक प्रदेश में नए कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किए गए हैं, जिनमें रोपड़ वैटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व, रणजीत सागर और ब्यास रिवर कंजर्वेशन रिजर्व प्रमुख हैं। इस कड़ी में मोहाली के सिसवां गांव के आसपास सिसवां कम्युनिटी रिजर्व भी घोषित किया गया है। वहीं, करीब 13 वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरीज में कई तरह के जीव-जंतु पाए जाते हैं, जिन्हें संरक्षित किया जा रहा है।

Sunita sarangal