56 पन्नों में सिमटी ड्रग के खिलाफ पंजाब सरकार की लड़ाई

punjabkesari.in Wednesday, Oct 03, 2018 - 08:39 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी): करीब डेढ़ साल बाद कांग्रेस सरकार ने पंजाब में नशे के खिलाफ लड़ाई को लेकर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। 56 पन्नों में सिमटी इस रिपोर्ट को पंजाब सरकार द्वारा गठित स्पैशल ग्रुप ऑन ड्रग्स ने तैयार किया है। इस रिपोर्ट में नशे की बुराई से निपटने के लिए विस्तृत एक्शन प्लान का हवाला दिया गया है। कॉन्प्रिहैंसिव एक्शन अगेंस्ट ड्रग एब्यूज (काडा) नाम से तैयार यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित कैबिनेट सब-कमेटी को सौंप दी गई है। 

हालांकि इस रिपोर्ट में पिछले डेढ़ साल में ड्रग ओवरडोज से हुई मौतों का कोई ब्यौरा नहीं दिया गया है। रिपोर्ट में इस बात का भी कोई जिक्र नहीं है कि किस ड्रग की ओवरडोज के कारण मौतें हो रही हैं। पंजाब में नशा तस्करी का रैकेट कैसे ऑप्रेट हो रहा है या मौजूदा समय में इलाज के लिए आने वाले मरीज किस तरह के नशे से ग्रसित हैं, इसका ब्यौरा भी रिपोर्ट में नहीं है। रिपोर्ट का ज्यादातर हिस्सा सरकार द्वारा नशे के खिलाफ चलाए जा रहे मौजूदा अभियान और भविष्य में प्रस्तावित कार्यों पर केंद्रित है। 
3 धार वाली रणनीति
इस रिपोर्ट में नशे के खिलाफ लड़ाई के लिए 3 धार वाली रणनीति का हवाला दिया गया है। (ई.डी.पी.) यानी एन्फोर्समैंट, डी-एडिक्शन, प्रीवैंशन टू फाइट द मेनस ऑफ ड्रग्स की 3 धार वाली इस रणनीति में बताया गया है कि एन्फोर्समैंट के स्तर पर पंजाब में 2017 के दौरान एस.टी.एफ. का गठन किया गया जिसने अब तक प्रदेश में 1335 केस रजिस्टर्ड किए हैं और करीब 2065 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इसी कड़ी में करीब 5 लाख लोगों को ड्रग एब्यूज प्रीवैंशन ऑफिसर्स (डेपो) के तौर पर रजिस्टर्ड किया गया है। वहीं स्कूलों में बड़े प्रोग्राम का आगाज किया गया है। नशे की रोकथाम के लिए जिला स्तर पर डिस्ट्रिक्ट मिशन टीम, सब-डिवीजनल मिशन टीम, विलेज मिशन टीम और नशा निवारण कमेटियों का गठन किया गया है। ये सभी एस.टी.एफ. के सहयोग से कार्य कर रही हैं। इन सभी को चीफ सैक्रेटरी की अध्यक्षता में गठित स्पैशल ग्रुप ऑन ड्रग्स द्वारा मॉनीटर किया जा रहा है। 


सिंथैटिक ड्रग बेहद खतरनाक
रिपोर्ट में बताया गया है कि पंजाब में कई गंभीर नशे प्रचलन में हैं। इनमें सिंथैटिक ड्रग सबसे ’यादा खतरनाक है, जो जानलेवा साबित हो रही है। खासतौर पर मिलावटी सिंथैटिक ड्रग का ’यादा खतरा है। इस खतरे से निपटने के लिए पंजाब में फॉरैंसिक व कैमिकल की जांच-पड़ताल करने वाली लैबोरेटरी की जरूरत है ताकिनिर्धारित समयावधि में रिपोर्ट तैयार कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

ओवरडोज मामलों में पुलिस दर्ज करे एफ.आई.आर.
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि ओवरडोज से हो रही मौत के तमाम मामलों में पुलिस एफ.आई.आर. दर्ज करे। इसी कड़ी में जिन ओवरडोज के मामलों में मौत नहीं हुई है, उनमें भी आई.पी.सी. की धारा 328 व नार्काेटिक्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाए, ताकि ड्रग सप्लायर व ड्रग सोर्स का पता चल सके। वहीं नशे की पुख्ता जानकारी प्राप्त करने के लिए टोल फ्री नंबर के अलावा मोबाइल एप लांच किए जाएं ताकि जनता से जानकारी प्राप्त करने के अलावा नशे के शिकार मरीजों को इलाज की सुविधा मुहैया करवाई जा सके।

एनुअल कॉन्फीडैंशियल रिपोर्ट (ए.सी.आर.) में नया कॉलम
रिपोर्ट में अधिकारियों की एनुअल कॉन्फीडैंशियल रिपोर्ट (ए.सी.आर.) प्रोफॉर्मा में एक नया कॉलम जोडऩे का सुझाव दिया गया है। इस कॉलम में बताया जाएगा कि संबंधित अधिकारी ने नशे के खिलाफ अभियान में कितना योगदान दिया है। इसमें पुलिस हैडक्वार्टर में तैनात अधिकारियों से लेकर डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट, सिविल सर्जन, ए.डी.सी., एस.डी.एम. सहित थाने के एस.एच.ओ. तक की ए.सी.आर. शामिल होगी।

अमरीका की तर्ज पर जन स्कीम हो लांच
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि अमरीका में चल रहे ‘इफ यू सी समथिंग, से समथिंग’ अभियान और दिल्ली के ‘आइज एंड इयर स्कीम’ की तर्ज पर पंजाब में एक स्कीम लांच की जाए ताकि प्रदेश का सामान्य व्यक्ति अपना नाम गुप्त रखकर पुलिस को नशा तस्करों की जानकारी देने के लिए आगे आए।

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