पंजाब सरकार ने कर्मचारियों के मोबाइल भत्ते पर चलाई कैंची, 45 करोड़ वार्षिक बचेंगे

punjabkesari.in Tuesday, Jul 28, 2020 - 09:28 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी): पंजाब सरकार ने कर्मचारियों के मोबाइल भत्ते पर कैंची चला दी है। ग्रुप-ए से ग्रुप-डी तक के कर्मचारियों के स्तर पर की गई कटौती के तहत भत्ते को आधा कर दिया गया है। यह आदेश 1 अगस्त से लागू होंगे। यह कटौती करीब 9 साल बाद की गई है। इससे सरकार करीब 45 करोड़ रुपए वार्षिक बचाने की कोशिश में है। 

ग्रुप-ए कर्मचारियों को मिलेगा आधा भत्ता
अब ग्रुप-ए के कर्मचारियों को अब 250 रुपए प्रति महीना भत्ता मिलेगा। इससे पहले इनको 2011 से 500 रुपए प्रति महीना भत्ता मिलता आ रहा है। 3 अक्तूबर, 2011 के आदेश में ग्रुप-ए के कर्मचारियों का 500 रुपए भत्ता फिक्स किया गया था। ग्रुप-बी के कर्मचारियों को 300 रुपए भत्ते का प्रावधान था, लेकिन अब इसमें कटौती करके 175 रुपए प्रति महीना कर दिया है। इसी कड़ी में ग्रुप-सी और ग्रुप-डी के कर्मचारियों को मिलने वाले 250 रुपए भत्ते में कटौती करके इसे 150 रुपए प्रति महीना कर दिया गया है।


मंत्रियों के भत्ते में कटौती नहीं, कर्मचारी करेंगे आंदोलन
कर्मचारियों के स्तर पर की गई भत्तों में कटौती पर बवाल मचाना शुरू हो गया है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार पहले मंत्रियों व विधायकों के मोबाइल भत्ते में कटौती करे। उनका कहना है कि जनप्रतिनिधियों को सरकार 15,000 रुपए भत्ता देती है, जबकि कर्मचारियों के मामूली भत्ते में कटौती कर रही है। कर्मचारी नेता सुखचैन खैहरा के मुताबिक यह सरकार की कर्मचारियों के साथ धक्केशाही है और इसके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा। कर्मचारियों का कहना है कि आॢथक तंगी के चलते सरकार अब कर्मचारियों के भत्तों पर कैंची चलाने को आमादा हो गई है। बदलते दौर में जहां भत्तों में इजाफा होना चाहिए, पंजाब सरकार उलटा भत्तों में कटौती की राह पर है। 

खजाने का बोझ हल्का करने की कोशिश
इस भत्ते से सरकार के खजाने पर करीब 100 करोड़ रुपए का सालाना बोझ पड़ता है। पंजाब में करीब 3.15 लाख कर्मचारी हैं, जिसमें ग्रुप-ए श्रेणी के 16 हजार कर्मचारियों के भत्ते पर सरकार को 9 करोड़ रुपए सालाना भत्ते के तौर पर खर्च उठाना पड़ता है। ग्रुप-बी के 28 हजार कर्मचारी पर 10 करोड़,, ग्रुप-सी के 2.26 लाख कर्मचारी पर 67 करोड़ और ग्रुप डी के 45 हजार कर्मचारियों पर 13करोड़ रुपए वार्षिक खर्च उठाना पड़ता था।  

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