सतलुज-ब्यास नदी पर तैयार अंतरिम रिपोर्ट में पंजाब सरकार निशाने पर

punjabkesari.in Monday, Nov 12, 2018 - 08:41 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी): बेशक पंजाब सरकार प्रदूषण नियंत्रण को लेकर ठोस उपाय करने का दावा करती है लेकिन सच्चाई इसके उलट है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) के आदेश को लेकर सरकारी विभाग बेहद लापरवाह हैं। इसका अंदाजा सतलुज-ब्यास नदी के प्रदूषण को लेकर एन.जी.टी. की मॉनीटरिंग कमेटी की अंतरिम रिपोर्ट से लगाया जा सकता है।

रिपोर्ट में कमेटी ने सरकारी विभागों की सुस्त कार्यप्रणाली का हवाला देकर सरकार पर निशाना साधा है। कहा गया है कि बेशक कमेटी ने निर्धारित तारीख 31 अक्तूबर से पहले रिपोर्ट तैयार कर दी लेकिन कई पहलुओं पर अभी भी जांच जारी है जिसे पूरा होने में 3 माह तक का अतिरिक्त समय लग सकता है। 29 अक्तूबर को रिपोर्ट सबमिट करते हुए कमेटी ने एन.जी.टी. से 3 माह के अतिरिक्त समय की मांग की है।

चौथी मीटिंग में विभागों ने पेश किए एक्शन प्लान
रिपोर्ट में कहा गया कि मॉनीटरिंग कमेटी ने 2 माह में 3 बैठकें कीं लेकिन संबंधित विभाग प्रदूषण नियंत्रण का ठोस एक्शन प्लान पेश नहीं कर पाए। अंतरिम रिपोर्ट से पहले दिल्ली में चौथी बैठक में ही एक्शन प्लान पेश किया गया। लिहाजा, कमेटी को प्लान स्टडी करने का समय ही नहीं मिल पाया। इसके लिए 2 और बैठकों की जरूरत होगी जिसके लिए कमेटी को अतिरिक्त समय चाहिए।

हैल्थ सर्वे के लिए स्वास्थ्य विभाग को चाहिए समय
रिपोर्ट में कहा गया है कि सतलुज-ब्यास नदी के आसपास बसे नगरों के रहने वाले लोग कई बीमारियों से ग्रसित हैं। खासतौर पर चर्मरोगियों की बहुतायत है जिसकी वजह नदी का प्रदूषण है। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग नदी के आसपास और कैचमैंट एरिया में हैल्थ सर्वे करेगा। विभाग ने 2 माह का वक्त मांगा है। सर्वे दौरान नदी से जुडऩे वाले बरसाती नालों के आसपास आबादी का भी सर्वे किया जाएगा।

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का एक्शन प्लान अधर में
चड्ढा शूगर मिल से नुक्सान के बाद ब्यास नदी को पुनर्जीवित करने का जिम्मा पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिया था, लेकिन अभी तक बोर्ड एक्शन प्लान तैयार नहीं कर पाया है। रिपोर्ट में कहा गया कि बोर्ड ने नदी के कायाकल्प को लेकर एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने सुझाव दिए हैं लेकिन बोर्ड अधिकारी अभी सुझावों का अध्ययन कर रहे हैं। इसलिए एक्शन प्लान तैयार करने में वक्त लग सकता है। कमेटी ने स्पष्ट किया कि मिल का मुआयना किया जाना है जिसके लिए संबंधित विभागों के अधिकारियों से बैठक प्रस्तावित है, ताकि मुआयने की तारीख निर्धारित की जा सके।

बारिश ने भी बढ़ाई मुसीबत

इस बार बारिश भी कमेटी के लिए सिरदर्द बनी रही। लगातार बारिश से सतलुज-ब्यास नदी का जलस्तर इतना बढ़ गया कि पानी के नमूने लेने के लिए 25 दिन तक इंतजार करना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया कि पहले सितम्बर में पानी के नमूने लिए जाने थे, लेकिन बारिश के कारण पानी की वास्तविक स्थिति तबदील हो गई। ऐसे में जलस्तर कम होने का इंतजार करना पड़ा और अक्तूबर में नमूने लिए जा सके जिसकी रिपोर्ट आने में एक माह का वक्त लग सकता है। औद्योगिक इकाइयों का औचक निरीक्षण भी किया जाना है। खासतौर पर पेपर, फर्टीलाइजर, कैमिकल, शूगर, डिस्टिलरी, इलैक्ट्रोप्लेटिंग और टेनरीज और डाइंग इंडस्ट्री का औचक निरीक्षण जरूरी है। 

2 मामले मॉनीटरिंग कमेटी के हवाले
एन.जी.टी. ने सतलुज-ब्यास नदी से जुड़े 2 अलग मामलों की जांच मॉनीटरिंग कमेटी को सौंपी है। ट्रिब्यूनल ने पहली बार सतलुज नदी और बुड्ढा नाला के प्रदूषण पर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए 24 जुलाई को कमेटी का गठन किया था। मई दौरान ब्यास नदी में चड्ढा शूगर मिल का सीरा घुल गया जिससे लाखों जलीय जीव-जंतु मारे गए। इस मामले पर याचिका पर 4 सितम्बर को ट्रिब्यूनल ने ब्यास नदी का मामला भी पहले से गठित कमेटी के हवाले कर दिया। निर्देश जारी कर ट्रिब्यूनल ने कहा कि 31 अक्तूबर तक कमेटी अंतरिम रिपोर्ट सबमिट करे। इसे लेकर कमेटी चार बैठकें कर चुकी है। पहली 10 अगस्त, दूसरी 6 सितम्बर, तीसरी 26 सितम्बर और चौथी बैठक 17 अक्तूबर को हुई जिनके आधार पर कमेटी ने अंतरिम रिपोर्ट ट्रिब्यूनल को सौंपी है।

swetha