पंजाब के राज्यपाल व मुख्यमंत्री हुए आमने-सामने; अमरेंद्र ने कहा- मुझे तलब करें राज्यपाल

punjabkesari.in Sunday, Jan 03, 2021 - 09:40 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी): पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनौर और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह आमने-सामने आ गए हैं। पंजाब में बिगड़ती कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए राज्यपाल द्वारा प्रदेश के मुख्य सचिव व पुलिस निदेशक को तलब करने पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर राज्यपाल प्रदेश की कानून व्यवस्था पर कोई स्पष्टीकरण चाहते हैं तो मेरे अफसरों को नहीं बल्कि मुझे तलब करें। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अमन-कानून की व्यवस्था के पतन संबंधी भाजपा का झूठा प्रचार खेती कानूनों के मसले और किसानों के आंदोलन से ध्यान हटाने के हथकंडे से अधिक कुछ भी नहीं। मुख्यमंत्री ने भाजपा की तरफ से मोबाइल टावरों को नुकसान पहुंचाने की कुछ घटनाओं को अमन-कानून की समस्या बता कर किसानों के शांतमयी आंदोलन को कमजोर करने की शातिर और घटिया साजिश करार दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षतिग्रस्त हुए टावरों की मुरम्मत तो की जा सकती है और की भी जा रही है, परंतु दिल्ली की सरहदों, जहां किसानों द्वारा केंद्र की भाजपा सरकार के हठधर्मी रवैये के विरुद्ध अपना हक लेने के लिए लड़ाई लड़ी जा रही है, कड़ाके की ठंड में जान गंवा चुके किसान वापस नहीं आ सकते। उन्होंने इस बात पर हैरानी जाहिर की कि किसी भी भाजपा नेता ने प्रदर्शनकारी किसानों, जिनमें से कुछ ने खुदकुशी कर ली थी, पर चिंता जाहिर नहीं की। उन्होंने कहा कि खो चुकी जिंदगियां फिर इस जहान में वापस नहीं आ सकतीं। उन्होंने पंजाब भाजपा के नेताओं को अपनी घटिया टिप्पणियों के साथ शांतमयी आंदोलन पर राजनीति न करने के लिए कहा। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के माथे पर नक्सली, खालिस्तानी जैसे शब्दों का कलंक लगाने की बजाय भाजपा को भारत सरकार में अपनी केंद्रीय लीडरशिप पर अन्नदाताओं की आवाज श्रवण और काले खेती कानून रद्द करने के लिए दबाव डालना चाहिए क्योंकि ये कानून किसान भाइयों के जीवन और भविष्य के लिए खतरा बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों का अस्तित्व तक दाव पर लगा हुआ है और भाजपा नेता घटिया राजनीति करने पर उतरे हुए हैं और यहां तक कि उन्होंने राज्यपाल के संवैधानिक पद को भी इस बेतुके एजैंडे में खींच लिया।

राज्यपाल का झुक जाना दुर्भाग्यपूर्ण
मुख्यमंत्री ने भाजपा के हथकंडों के आगे राज्यपाल द्वारा झुक जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि अमन-कानून की व्यवस्था बारे भाजपा नेता की शिकायत पर राज्यपाल ने सिर्फ एक दिन में ही प्रतिक्रिया दे दी जो विधानसभा में भाजपा को छोड़ कर सभी राजनीतिक पार्टियों द्वारा पेश किए गए प्रांतीय संशोधन बिलों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजने में लगाई गई लंबी देरी के बिल्कुल उलट है। कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने भाजपा की पंजाब इकाई की तरफ से कांग्रेस द्वारा पंजाब में लोकतंत्र पर किए हमले के दोषों को शर्मनाक कार्रवाई बताया। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘एक पार्टी जिसने देश के प्रत्येक लोकतांत्रिक संस्थान को लगभग नष्ट कर दिया हो, उसे किसी और को अलोकतांत्रिक बताने का कोई हक नहीं।’’

जाखड़ ने की आलोचना, कहा- राज्य के मामलों में दखल दे रहे हैं राज्यपाल
जाखड़ ने राज्यपाल द्वारा प्रदेश मुख्य सचिव व पुलिस निदेशक को तलब करने के फैसले को गैर-जरूरी करार दिया था। उन्होंने कहा था कि राज्यपाल को याद रखना चाहिए कि पंजाब पश्चिम बंगाल या पुड्डुचेरी नहीं है। उन्होंने राज्यपाल के प्रदेश के मामलों में बिना किसी कारण दखल दिए जाने की आलोचना करते हुए कहा था कि कांग्रेस संवैधानिक पदों की स्वायत्तता की समर्थक रही है लेकिन राज्यपाल प्रदेश के अधिकार क्षेत्र में बिना वजह दखल दे रहे हैं, जो अस्वीकार्य है। 

पहले भी राज्यपाल व सरकार में ठनती रही है
यह पहला मौका नहीं है, जब राज्यपाल ने पंजाब सरकार से जवाब तलब किया है। इससे पहले होशियारपुर में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अश्विनी शर्मा पर हुए हमले के बाद राज्यपाल ने मुख्य सचिव से रिपोर्ट तलब की थी। हमले के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेताओं वाले एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंप कर पंजाब की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए थे।

जंगली जीवों के शिकार पर भी राज्यपाल हुए थे सख्त
पंजाब में नीलगाय और जंगली सुअरों के शिकार की मंजूरी देने पर भी राज्यपाल ने पंजाब सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। राज्यपाल ने कहा था कि पंजाब सरकार को फसलों की सुरक्षा के लिए नीलगाय और जंगली सुअरों के शिकार की मंजूरी देने की बजाय विकल्प तलाशने चाहिएं। 

अब यूं गर्माया पंजाब का सियासी माहौल
राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनौर ने पंजाब में 1600 से अधिक मोबाइल टावरों को नुकसान पहुंचाने पर गंभीर नोटिस लेते हुए पिछले दिनों मुख्य सचिव और पुलिस निदेशक को तलब किया था। पंजाब के राज्यपाल ने महसूस किया कि ऐसे नुकसानों को रोकने के लिए कानून लागू करने में एजैंसियां असफल रही हैं। पंजाब के राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार को ऐसी तोड़-फोड़ वाली कार्रवाइयों को रोकने और राज्य में संचार ढांचे की सुरक्षा के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिएं। 

Sunita sarangal