किसानों को राशि देने में बेबस पंजाब, हरियाणा ने रखे 301 करोड़ रुपए

punjabkesari.in Saturday, Oct 10, 2020 - 09:57 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी कुमार): पंजाब में पराली न जलाने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने की मुहिम को बड़ा झटका लगा है। पंजाब सरकार ने दो टूक शब्दों में स्पष्ट कर दिया है कि खजाने में पैसा नहीं है। इसलिए पराली न जलाने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि नहीं दी जा सकती है। उधर, हरियाणा ने किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए करीब 301 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा है।

पंजाब सरकार का यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब पराली जलाने की घटनाएं लगातार उछाल पर हैं। अमूमन जिलों में रोजाना खेतों में आगजनी की घटनाएं रिकॉर्ड की जा रही हैं। खासतौर पर माझा क्षेत्र में सबसे ज्यादा घटनाएं सामने आ रही हैं। 9 अक्तूबर को ही करीब 135 घटनाएं रिकॉर्ड हुईं, जिसमें अमृतसर, फरीदकोट, फाजिल्का और गुरदासपुर में करीब 54 जगह पराली जलाई गई है। इसके साथ 21 सितम्बर से 9 अक्तूबर तक कुल आगजनी की घटनाओं का आंकड़ा 1926 पहुंच गया है।

प्रोत्साहन राशि पर शिअद का सरकार पर निशाना
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने सरकार पर सीधा निशाना साधा है व मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह को वायदा याद दिलाते हुए कहा है सरकार पराली न जलाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 2500 रुपए मुआवजा दे। पंजाब सरकार ने घोषणा की थी कि पराली न जलाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 2500 रुपए मुआवजा दिया जाएगा। ऐसे में मुख्यमंत्री पराली प्रबंधन के लिए किसानों को तत्काल 2500 रुपए प्रति एकड़ जारी करें। उन्होंने सरकार से पिछले साल के मुआवजे के बकाया नहीं देने पर भी अंगुली उठाई है। उन्होंने कहा कि इस साल सरकार किसानों को अग्रिम रूप से धन जारी करे ताकि धान की पराली को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार प्रबंधित करने के लिए सुनिश्चित किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से शर्त रखी थी कि राज्य को केंद्र से राशि आने का इंतजार नहीं करना चाहिए। अपने दम पर जरूरी उपाय करने चाहिएं।

ई.पी.सी.ए. को भेजी रिपोर्ट में जताई बेबसी
पंजाब सरकार ने किसानों को धनराशि देने में बेबसी का पूरा ब्यौरा एन्वायरनमैंट पॉल्यूशन (प्रिवैंशन एंड कंट्रोल) अथॉरिटी (ई.पी.सी.ए.) को भेजी रिपोर्ट में दिया है। अथॉरिटी के चेयरमैन डाक्टर भूरे लाल को भेजी रिपोर्ट में पंजाब सरकार ने बताया है कि पंजाब सरकार ने आर्थिक किल्लत के कारण भारत सरकार से फंड्स मुहैया करवाने की गुहार लगाई थी लेकिन भारत सरकार ने फंड्स मुहैया नहीं करवाए। ऐसे में सरकार के पास इतनी धनराशि नहीं है कि पराली न जलाने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जा सके। पंजाब में 2019 के दौरान पराली न जलाने वाले किसानों व आगजनी की सूचना देने वालों को प्रोत्साहन राशि दी गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में 2019 के दौरान करीब 31231 किसानों को 28.51 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि आबंटित की गई थी।

37.42 फीसदी धान अधीनखेतों में लगी आग
पंजाब सरकार के मुताबिक 2019 के दौरान प्रदेश के कुल धान अधीन क्षेत्र के करीब 37.42 फीसदी हिस्से में आगजनी की घटनाएं रिकॉर्ड की गई थीं। इस आगजनी के कारण करीब 9.8 मिलियन टन पराली को आग लगाई गई थी। सरकार का दावा था कि पिछले सालों की तुलना 2019 में बड़े पैमाने पर किसानों को जागरूक किया गया, जिसकी वजह से बड़े स्तर पर किसानों ने भविष्य में फसल अवशेषों को आग न लगाने का प्रण लिया था। इस जागरूकता मुहिम पर करीब 9.92 करोड़ रुपए खर्च किए। इस बार भी पंजाब सरकार ने इन्फॉर्मेशन एजूकेशन एंड कम्युनिकेशन (आई.ई.सी.) के लिए 10 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान रखा है। बावजूद इसके खेतों में आगजनी की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। 

आनन-फानन में छोटे व मझौले किसानों से शुल्क वसूली माफ
आगजनी की घटनाओं के बीच पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अब आनन-फानन में छोटे व मझौले किसानों से कृषि उपकरणों के प्रयोग पर शुल्क वसूली माफ करने का आदेश जारी किया है। 5 अक्तूबर से पहले तक सरकार किसानों से कस्टम हायरिंग सैंटर्स के जरिए फसल अवशेषों के बंदोबस्त की मशीनों पर शुल्क वसूलती थी लेकिन 5 अक्तूबर को जारी आदेश में सरकार ने छोटे व मझौले किसानों को शुल्क वसूली से बाहर कर दिया है। नए आदेश में बताया गया है कि सरकार ने सबसिडी पर कस्टम हायरिंग सैंटर्स में फसल अवशेषों के बंदोबस्त की मशीनें मुहैया करवाई हैं। छोटे व मझौले किसानों से अब मशीनों के इस्तेमाल पर हायरिंग चार्ज नहीं वसूला जाएगा। इस समय करीब 7378 कस्टम हायरिंग सैंटर ऑप्रेट हो रहे हैं, जिनमें सबसिडी के जरिए करीब 33357 मशीनें उपलब्ध हैं। सरकार ने दावा किया है कि 2020 में करीब 5000 नए कस्टम हायरिंग सैंटर खोले जाएंगे।

कोविड-19 के मरीजों पर प्रदूषण का संकट
पंजाब में बढ़ती आगजनी की घटनाओं के कारण सबसे ज्यादा खतरा कोविड-19 के मरीजों पर मंडरा रहा है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के मुताबिक अगर हवा में पी.एम. 2.5 की मात्रा बढ़ती है तो कोविड-19 की मृत्यु दर में 20 फीसदी इजाफा हो सकता है। पराली जलाने के कारण पी.एम. 2.5 की बढ़ौतरी का खतरा सबसे ’यादा रहता है।

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