पंजाब-हरियाणा पानी विवादः कैप्टन ने रद्द की बातचीत की संभावना

punjabkesari.in Tuesday, May 15, 2018 - 10:49 AM (IST)

जालंधर (धवन): पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने हरियाणा के मुख्यमंत्री एम.एल. खट्टर द्वारा पाकिस्तान को जा रहे नदियों के पानी को लेकर व्यक्त चिन्ता पर अपनी चिन्ता भी जाहिर की है तथा इस मामले में सतर्कता के साथ मूल्यांकन करने की सलाह दी है।


उन्होंने यमुना नदी के पानी की वेस्टेज को रोकने का भी आग्रह किया है। मुख्यमंत्री ने पंजाब तथा हरियाणा के बीच अलग इंटरएक्शन की जरूरत को पूरी तरह से रद्द करते हुए दूसरे प्रस्तावित रावी-ब्यास ङ्क्षलक को लेकर संभावनाओं का बी.बी.एम.बी. द्वारा पता लगाने की बात को भी पूरी तरह से रद्द कर दिया क्योंकि पहले ही राष्ट्रीय प्रोजैक्टों को लागू करने के लिए भारत सरकार की उच्चस्तरीय कमेटी इसका अध्ययन कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें नदियों के पानी के फालतू प्रवाह को रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाने चाहिएं। 


खट्टर ने मुख्यमंत्री को इस संबंध में पत्र नं. 81437 (सी.) दिनांक 7 मई 2018 लिखा था जिसमें पाकिस्तान को जा रहे रावी नदी के पानी का सही उपयोग करने की बात कही गई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में न केवल रावी नदी बल्कि 2 अन्य नदियों सतलुज व ब्यास के पानी का सदुपयोग करने के लिए सुरक्षात्मक कदम उठाए गए हैं।जुलाई, अगस्त तथा सितम्बर में यमुना नदी के मिले 75 प्रतिशत पानी में से 50 प्रतिशत बर्बाद हुआ था। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब को पहले भी भीषण पानी के संकट का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि कृषि क्षेत्र के लिए पानी की जरूरत 52 एम.ए.एफ. तक पहुंच गई है जिसमें से नदियों के पानी का अंश केवल 27 प्रतिशत है और किसान भूमिगत पानी पर निर्भर होकर रह गए हैं। जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा उज्ज नदी पर बांध बनाना प्रस्तावित है, इसलिए उज्ज नदी पर बांध बनने के बाद पानी की उपलब्धता को आधार बनाकर मूल्यांकन होना चाहिए। 3 मार्च 2017 को राष्ट्रीय प्रोजैक्टों को लागू करने वाली उच्च स्तरीय कमेटी की बैठक में भी फालतू पानी के प्रवाह को लेकर चर्चा हुई थी, टीम ने अभी तक किसी भी तकनीकी हल की सिफारिश नहीं की।  

Sonia Goswami