कर्जे में डूबा पंजाब, मान सरकार को इतने करोड़ों का देना पड़ेगा ब्याज

punjabkesari.in Wednesday, Apr 20, 2022 - 01:13 PM (IST)

जालंधर (धवन): पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बीते दिन राज्य सिर चढ़े कर्जों की जांच करवाने का ऐलान किया था। सरकारी हलकों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों से इस कर्जे की रकम में लगातार विस्तार हो रहा है और अब यह कर्ज करीब 3 लाख करोड़ के आंकड़ों को छूने जा रहा है। समय-समय की सरकारों ने इस कर्जे को घटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए

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भगवंत मान सरकार का मानना है कि इस कर्जे पर सरकार को वार्षिक 19 हजार करोड़ से अधिक का ब्याज देना पड़ता है। राज्यों की वित्तीय हालत ऐसी है कि सरकार को 19,000 करोड़ रुपए से अधिक की ब्याज की रकम देने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पूर्व सरकारों की तरफ से पिछले कई वर्षों में लिए गए कर्जे और इसका प्रयोग की जांच करवाने के लिए कहा है। सरकार यह देखना चाहती है कि क्या कर्जे का पैसा असली मकसदों पर खर्चा गया है या नहीं। यह रकम विकास कामों पर खर्च की गई है या नहीं या इस रकम का दुरुपयोग हुई है? अगर सरकारी आंकड़ों पर नजर मारें तो पिछले 5 वर्षों में ही कर्जे की मात्रा में लगातार विस्तार हुआ है। 2007 से पंजाब सिर कर्जे की मात्रा बढ़नी शुरू हो गई थी। अकालियों के राज समय संगत दर्शनों में कर्जे के पैसे बांटे गए। राज्यों में अकाली दल का राज 10 वर्ष तक चला और उस दौरान कर्ज करीब 55000 करोड़ से ज्यादा कर 2.5 लाख करोड़ हो गया था।

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अगर सरकारी आंकड़ों पर नजर मारें तो 2016-17 में यह कर्ज 1.82,526 लाख करोड़ था। सरकार ने उस पर सिर्फ 11642 करोड़ रुपए का ब्याज अदा किया था। 2017-18 में कर्ज 1,95,152 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया था और सरकार ने 15,334 करोड़ रुपए ब्याज के तौर पर अदा किेए थे। इस तरह कर्जे की रकम और उस पर अदा किए जाने वाले ब्याज में विस्तार होता रहा। 2020-21 में कर्ज 2,52,880 लाख करोड़ था। उस पर राज्य सरकार ने 1,85,89 करोड़ रुपए ब्याज के तौर पर अदा किए। यह कर्ज 2021-22 में 282,000 करोड़ तक पहुंच गया। इस तरह इस पर मिलने वाला ब्याज भी बढ़ता रहा।

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अब अगर यह कर्ज 3 लाख करोड़ तक पहुंच गया है तो मौजूदा भगवंत मान सरकार को इस कर्जे पर लगभग 20 हजार करोड़ रुपए ब्याज के तौर पर खुद अदा करने पड़ेंगे। इस करके सरकारी आमदन का बहुत हिस्सा ब्याज देने के लिए इस्तेमाल करा जाता है। विकास कामों के लिए सरकार के पास बहुत कम रकम बची है और ऐसी स्थिति में सरकार को वित्तीय संस्थाओं, बैंकों आदि से विकास कामों के लिए कर्जे के रूप में अधिक रकम लेनी पड़ती है जिस कारण कर्जों की रकम राज बढ़ता जा रहा है। 

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News Editor

Urmila

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