पंजाब केसरी Investigation: सैन्य जहाजों का तेल ट्रकों में डालकर चला रहे ड्राइवर

punjabkesari.in Wednesday, Jan 02, 2019 - 08:34 AM (IST)

फिल्लौर(भाखड़ी): मिलिट्री के जहाजों में डाला जाने वाला ए.टी.एफ. (एवीएशन ट्रबाइन फ्यूल) टैंकर चालकों द्वारा चोरी कर ढाबों पर बेचा जा रहा है। ‘पंजाब केसरी’ ने इस गोरखधंधे की इन्वैस्टीगेशन की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। यह ए.टी.एफ. आम वाहनों में डाले जाने वाले पैट्रोल से बढिया क्वालिटी का होता है। ऑयल कम्पनियों की तरफ से पैट्रोल के ये टैंकर सीधा हलवारा एयरफोर्स भेजे जाते हैं। उन्हें वहां स्टोर किया जाता है। 

इसकी कीमत 63.50 रुपए लीटर है। इस तेल को जालंधर में स्थित तेल कम्पनी के कार्यालय से टैंकर का ड्राइवर सीधा गाड़ी लेकर उन ढाबों पर पहुंच जाता है, जहां उसकी सांठ-गांठ है। एक टैंकर के ड्राइवर ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि एक टैंकर में 29 हजार लीटर तेल भरा होता है। वह ढाबा मालिकों को 40 रुपए लीटर के हिसाब से चोरी तेल बेच देते हैं।  ढाबा मालिक 15 रुपए प्रति लीटर का मुनाफा रखकर ट्रक और बड़े औद्योगिक घरानों को बेच देते हैं जो फैक्टरियों में भट्ठी चलाने के काम आता है। 

50 हजार में बनती है टैंकर खोलने की चाबी

टैंकर के ड्राइवर ने बताया कि कम्पनी से टैंकर में पैट्रोल भर दिया जाता है तो इसमें एक लंबी रॉड डाल कर उसके आगे तेल चोरी को रोकने के लिए एक ताला लगा दिया जाता है जिसकी एक चाबी कम्पनी के अंदर और दूसरी चाबी हलवारा एयरफोर्स कार्यालय के पास होती है।  इस कीमती ताले की डुप्लीकेट चाबी बनाना हर किसी के बस की बात नहीं है। राजस्थान का एक विशेष कारीगर इस ताले को खोलने की डुप्लीकेट चाबी 50 हजार रुपए लेकर बनाता है। उसके द्वारा बनाई चाबी से टैंकर को खोल कर तेल निकालना संभव हो पाता है। 

जान हथेली पर रख कर होती है टैंकर से तेल की चोरी

टैंकर के ड्राइवर ने बताया कि इतने बड़े टैंकर जिसमें 29 हजार लीटर तेल भरा होता है उसमें तेल चोरी करना कोई आसान काम नहीं। पैट्रोल निकालते वक्त हर वक्त जान हथेली पर रखनी पड़ी है। क्योंकि जैसे ही गाड़ी से तेल चोरी करते वक्त ताले को खोला जाता है तो रॉड हटाते ही गाड़ी से तेल पूरी रफ्तार से बाहर निकलता है। इस दौरान अगर नजदीक में कोई व्यक्ति धूम्रपान करता हो या फिर ढाबे में लगे तंदूर की एक चिंगारी टैंकर की तरफ  आ गई तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है। 

रफ्तार बढ़ाने के लिए ड्राइवर डाल रहे ट्रकों में तेल

यह पैट्रोल ट्रक ड्राइवर ढाबों से सस्ते भाव में खरीद कर ट्रकों में डाल लेते हैं। इससे ट्रक के भार ढोहने की क्षमता और रफ्तार दोगुनी हो जाती है। वैसे ट्रकों की रफ्तार 80 किलोमीटर निर्धारित है।  ड्राइवर मैकेनिक से ट्रक का गवर्नर (पुर्जा) निकाल कर रफ्तार तेज करवा लेते हैं।  इस पैट्रोल को डालने के बाद चालक उसी ट्रक में 15 टन से ऊपर भार लोड कर 100 किलोमीटर की रफ्तार से भगाते हैं। जिससे हादसे का भय बना रहता है। 

चोरी रोकने का कोई पैमाना नहीं 

चालक ने बताया कि इन टैंकरों से रोजाना कितना तेल चोरी हो रहा है इसे रोकने का न तो कम्पनी और न ही पैट्रोल पम्प वालों के पास कोई पैमाना होता है। टैंकर चालक पैट्रोल पम्प पर टैंकर खाली करते हैं तो उसे लोहे की एक पत्ती पर बने पैमाने से माप लिया जाता है। उस पैमाने से केवल इतना ही पता चलता है कि टैंकर के अंदर तेल जा चुका है कितना गया और कितना रास्ते में चोरी हुआ इसका बिल्कुल पता नहीं चलता।

एयरफोर्स स्टेशन पर नहीं डिजीटल मीटर, चोरी का पता लगाना मुश्किल

इस संबंधी बात करने पर एयरफोर्स कार्यालय हलवारा के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हलवारा एयरफोर्स में जवान रोजाना जहाज उड़ा कर अभ्यास करते हैं। मौसम साफ होने पर हलवारा स्टेशन पर रोजाना इंडियन ऑयल कम्पनी के ए.टी.एफ . (एवीएशन ट्रबाइन फ्यूल) के 8 से 10 टैंकर आते हैं। मौसम खराब होने पर 2 से 4 टैंकर मंगवाए जाते हैं। ये टैंकर सूर्य छिपने से पहले मिलिट्री कैंप में दाखिल होते हैं। लेट होने वाले टैंकर रात्रि को बाहर रहते हैं जिन्हें अगले दिन प्रात: अंदर दाखिल करवाया जाता है। कम्पनी द्वारा टैंकरों में ए.टी.एफ. डिजीटल मीटर के माध्यम से भरा जाता है। तेल भरने के बाद कम्पनी टैंकर पर विशेष ताला लगाती है जिसकी दूसरी चाबी हलवारा कार्यालय में होती है। यहां केवल लोहे की रॉड से बने पैमाने से तेल का नापतोल होता है। टैंकर चालक पीछे 29 हजार लीटर तेल में से कहां कितना तेल चोरी कर बेचते हैं इसका उन्हें पता नहीं चलता। 

कम्पनी तेल चोरी होने की जांच करवाएगी 

इस संबंधी इंडियन ऑयल कम्पनी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हलवारा मिलिट्री एयरफोर्स के कार्यालय में ए.टी.एफ. पैट्रोल आवश्यकता अनुसार रोजाना जाता है। टैंकरों में पैट्रोल भरने के बाद उन्हें एक कम्पनी द्वारा बनाए विशेष ताले से बंद कर दिया जाता है। कम्पनी यह ताला बाजार में नहीं बेचती। इसके बावजूद मिलिट्री कैंप में जाने वाले टैंकर चालक तेल चोरी कर बेच रहे हैं। वह इसकी जांच करवाएंगे। इस ए.टी.एफ. तेल की कीमत आज की 63 रुपए 50 पैसे लीटर है। टैंकरों में तेल कम आने की शिकायतें उन्हें कई पैट्रोल पम्प मालिकों से भी मिली हैं।

चोरी रोकने के लिए शुरू होगा ए.टी.एम. सिस्टम 

अधिकारी ने बताया कि टैंकरों में से तेल चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए इंडियन ऑयल कम्पनी शीघ्र कदम उठाने जा रही है। पहले सभी टैंकरों में जी.पी.एस. सिस्टम लगाया जा रहा है जिससे पता चलेगा कि टैंकर रास्ते में कब और कहां रुका। दूसरा कम्पनी अब टैंकर को ताला लगाने वाले सिस्टम को बंद कर उसमें सैंसर से नियमित एक कोड फीड करेगी। वही कोड ए.टी.एम. में भरा होगा जिसे उसके साथ लगाने के बाद ही टैंकर का लॉक खुल सकेगा।

 

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