टिकट आबंटन पर के.पी. और चौधरी परिवार हुए आमने-सामने

punjabkesari.in Saturday, Apr 06, 2019 - 09:31 AM (IST)

जालंधर (चोपड़ा): लोकसभा सीट जालंधर के लिे कांग्रेस के टिकट आबंटन पर व्याप्त रोष को लेकर दोआबा की दलित राजनीति में पैठ रखने वाले पूर्व सांसद, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रधान व कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य मोहिन्द्र सिंह के.पी. और सांसद संतोख चौधरी आमने-सामने हो गए हैं। के.पी. तो आलाकमान के फैसले से इतने नाराज हैं कि उन्होंने कांग्रेस द्वारा उनके राजनीतिक करियर का कत्ल करने तक का बयान देकर आजाद चुनाव लडऩे के संकेत दिए हैं।

वहीं चर्चा है कि अकाली दल ने भी उन पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं ताकि उन्हें अकाली दल ’वाइन करवाकर चुनाव लड़वाया जाए। यह भी चर्चा है शिअद प्रत्याशी चरणजीत अटवाल को किसी अन्य हलके उतारा जा सकता है। आज ‘पंजाब केसरी’ से विशेष बातचीत में के.पी. ने सांसद चौधरी परिवार पर भड़कते हुए कहा कि पार्टी ने शहीद परिवार को केवल 1 टिकट दी परंतु वह भी काट दी गई, जबकि चौधरी परिवार के पास 4-4 टिकटें हैं। स्व. चौधरी जगजीत सिंह को डिप्टी सी.एम. बनाया, संतोख चौधरी को मंत्री पद फिर सांसद टिकट मिला, उनके पुत्र विक्रमजीत चौधरी को फिल्लौर और भतीजे को करतारपुर से टिकट मिला। हमारे परिवार को जो हक मिले वह चौधरी परिवार की मेहरबानी से नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी की मेहरबानी से मिले हैं। उनका परिवार 70 सालों तक कांग्रेस को समर्पित रहा है। 1992 में पिता दर्शन सिंह के.पी. ने पार्टी को सेवाएं देते हुए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी शहादत दी। 27 वर्ष की उम्र में विधायक बनने के बाद उन्होंने अपनी सारी जवानी राजनीति व कांग्रेस को समर्पित किए रखी। आज कांग्रेस में टकसाली लीडरों को किनारे लगाने का रुझान बेहद खतरनाक है। 


सर्वे रिपोर्टों, सोशल मीडिया के आंकड़ों और चंडीगढ़ में डलवार्ई पर्चियों को किया गया नजरअंदाज 
के.पी. ने कहा कि 2014 में जालंधर से सीटिंग सांसद होने के बावजूद उन्हें होशियारपुर से चुनाव लड़ाया गया। तब मोदी की लहर थी और कांग्रेस 545 में से 500 सीटें हार गई थी। अब मेरा क्लेम केवल जालंधर से बनता है, पार्टी के समक्ष मेरा तर्क था कि मौजूदा सांसद की परफोर्मैंस सही नहीं लेकिन दुख की बात है कि कांग्रेस द्वारा करवाए सभी सर्वे की रिपोर्टों, सोशल मीडिया के आंकड़ों और चंडीगढ़ में विधायकों, जिला प्रधानों व पदाधिकारियों से डलवाई पर्चियों को नजरअंदाज करके संतोख चौधरी को टिकट दे दिया। पार्र्टी में प्रत्याशी फाइनल करने की एक प्रक्रिया है जिसके बाद हाईकमान टिकट पर अंतिम फैसला लेता है। अगर पार्टी ने सीटिंग एम.पी. को ही टिकट देनी थी तो वह भी होशियारपुर से हलका इंचार्ज थे। 2014 में सीटिंग होने के बावजूद उन्हें होशियारपुर से चुनाव लडऩे को कहा था। होशियारपुर का क्लेम भी पार्टी ने इग्रोर किया। पार्टी वहां से चुनाव का ऑफर कर सकती थी, चाहे वह वहां से चुनाव लड़ते या नहीं लड़ते। 


वजूद बचाने के लिए कुछ भी करेंगे
के.पी. ने कहा कि टिकट कटने से उनके परिवार व वर्करों में रोष व्याप्त है। वह हालातों की समीक्षा कर रहे हैं। समर्थकों व परिवार ने चाहा तो अपना वजूद बचाने को वह कुछ भी करेंगे। आलाकमान को सांसद चौधरी के टिकट पर पुनर्विचार करना चाहिए। अकाली दल ज्वाइन करने व चुनाव लड़वाने की स्थिति बनने पर पूछे सवाल पर के.पी. ने कहा कि उनका बैकग्राऊंड कांग्रेसी है और अकाली दल अपना कैंडीडेट अनाऊंस कर चुकी है और हो सकता है, उनके लिए भी कुछ कर पाना संभव न हो। वह 1-2 दिनों में अपने समर्थकों को एकत्रित करेंगे और जैसा वे कहेंगे वैसा ही वह करेंगे।  के.पी. ने कहा कि कांग्रेस में दलित भाईचारे को कोई इंसाफ नहीं मिल रहा और दलित नेता होने के कारण उन्हें इसका अफसोस है। परंतु पार्टी में सिस्टम ही ऐसा बन गया है कि अब पार्टी में दलित इग्रोर हो रहा है। ऐसे बहुत सवाल हैं परंतु समय आने पर इन सभी मुद्दों पर खुल कर बातें होंगी। उन्होंने कहा कि जालंधर उनका कर्मक्षेत्र है तो उन्हें जालंधर से राजनीति करनी है और कहीं बाहर नहीं जाना।  

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