केजरीवाल की पंजाब फेरी में दोआबा-माझा पूरी तरह इग्नोर

punjabkesari.in Wednesday, May 15, 2019 - 09:47 AM (IST)

जालंधर(बुलंद): आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय कन्वीनर अरविंद केजरीवाल की ओर से वैसे तो पंजाब इकाई को शुरू से ही इग्नोर किया जाता रहा है पर चुनावों के आखिरी दिनों में केजरीवाल को पंजाब की याद आती रहती है। पिछले विधानसभा चुनावों में भी चुनाव के  आखिरी दिनों मे केजरीवाल को पंजाब की याद आई थी।

इस बार भी पूरे देश के  चुनाव निपटाने के बाद आखिरी दिनों मे केजरीवाल ने पंजाब का रुख किया है, लेकिन पंजाब में भी केजरीवाल ने अपने दौरे को सिर्फमालवा क्षेत्र तक ही सीमित रखा है। केजरीवाल ने अपने पंजाब दौरे के दौरान मलवइयों को खुश करने की प्लाङ्क्षनग ही बनाई है। केजरीवाल के पंजाब रोड प्लान को देखें तो 13 मई को वह संगरूर व सुनाम हल्कों में रहे, 14 को भी संगरूर व बरनाला हल्कों में रहेंगे, 15 को बङ्क्षठडा लोकसभा हल्के में दिन बिताएंगे, 16 को फरीदकोट, कोटकपूरा व बाघापुराना में रहेंगे। 17 मई को पटियाला हल्के में दौरा करेंगे और वहां से वापस दिल्ली चले जाएंगे। ऐसे में पंजाब के दोआबा और मांझा हल्कों को केजरीवाल पूरी तरह इग्नोर करते दिखाई दे रहे हैं।

वैसे पार्टी ने दोआबा और मांझा के लिए जिम्मेदारी मनीष सिसौदिया को सौंपी है, लेकिन इस बात से दोआबा और माझा के आप पार्टी उम्मीदवार अच्छी तरह वाकिफ हैं कि वोटरों को जिस कदर केजरीवाल की छवि प्रभावित कर सकती थी वह असर सिसौदिया की छवि से नहीं पडऩे वाला है। दोआबा के एक सीनियर नेता का कहना है कि उन्होंने केजरीवाल को कई बार कहा कि अपने दौरे के दौरान एक दिन दोआबा और एक दिन माझा को जरूर दें, चाहे रोड शो ही निकालें। पर उन्होंने इस बात से इंकार कर दिया। जानकारों की मानें तो केजरीवाल मालवा क्षेत्र को अपना टार्गेट बनाकर चल रहे हैं। उन्हें लगता है कि बेअदबी कांड से खफा मलवई वोटर आप पार्टी का वोट बैंक बन सकते हैं।

दोआबा में केजरीवाल का न आना इस बात का संकेत भी माना जा रहा है कि दोआबा के हजारों एन.आर.आइका ने पिछले लोस व विस चुनावों में केजरीवाल को भारी आर्थिक योगदान दिया था पर उसके बाद जिस प्रकार से आप नेताओं ने एन.आर.आइज को दरकिनार किया, उससे दोआबा के लोग आप पार्टी से खफा हैं। इसलिए केजरीवाल ने दोआबा का रुख करना सही नहीं समझा, पर पार्टी के दोआबा और मालवा के उम्मीदवार केजरीवाल के इस फैसले से काफी निराश व नाराज दिखाई दे रहे हैं। अब देखना होगा कि क्या सिसौदिया का दोआबा और माझा का दौरा केजरीवाल का विकल्प साबित हो पाते हैं या नहीं।

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