पंजाब में पेट्रोल पंप बंद होने की कगार पर, जानें वजह

punjabkesari.in Wednesday, Oct 20, 2021 - 02:35 PM (IST)

चंडीगढ़ : पंजाब में अन्य राज्यों के मुकाबले पेट्रोल-डीजल की ऊंची कीमतों का असर न सिर्फ उपभोक्ताओं पर पड़ा है, बल्कि बड़ी संख्या में पेट्रोल पंपों के लिए भी यह बाधक साबित हो रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कम बिक्री के कारण उन्हें अपना गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-सितंबर में पंजाब में पेट्रोल-डीजल की औसत मासिक बिक्री 90 के.एल. (किलोलीटर) प्रति पेट्रोल पंप थी, जबकि हरियाणा में यह 155 के.एल. तथा हिमाचल में 183 के.एल. थी।

स्थिरता के लिए औसतन एक पेट्रोल पंप 100 के.एल. प्रति माह तेल बेचा जाना चाहिए, जबकि पंजाब में 72 फीसदी (2492) पेट्रोल पंप  प्रति महीने 100 के.एल. से कम बिक रहे हैं।  पेट्रोल पंप एसोसिएशन पंजाब के प्रवक्ता गुरमीत मोंटी सहगल ने कहा कि 721 पेट्रोल पंपों की औसत बिक्री केवल  36 के.एल. से कम है। पेट्रोल पंप मालिकों ने कहा कि बिक्री में गिरावट का एक कारण यह भी था कि पंजाब सरकार  द्वारा  पेट्रोल-डीजल की बिक्री पर पूरे उत्तर भारत से सबसे अधिक वैट वसूल किया जा रहा है।

पंजाब पेट्रोल पर 35.25 प्रतिशत और डीजल पर 16.82 प्रतिशत वैट लगाता है। पंजाब की तुलना जम्मू-कश्मीर पड़ोसी राज्यों जैसे जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में पंजाब की तुलना में पेट्रोल और डीजल पर कम वैट है। इस वजह से सीमावर्ती जिलों में रहने वाले लोग उन जगहों से तेल खरीदना पसंद करते हैं जहां कीमतें कम होती हैं। पेट्रोल पंप मालिकों का कहना है कि बिक्री राज्यों में ट्रांसफर होने से मोहाली, रूपनगर, पठानकोट, होशियारपुर, संगरूर, पटियाला और फतेहगढ़ साहिब के सीमावर्ती जिलों के करीब 800 पेट्रोल पंप भारी नुकसान उठा रहे थे और बंद होने के कगार पर थे।

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Content Writer

Sunita sarangal