Exclusive: पुलिस फोर्स में महिलाओं की भागेदारी में पंजाब पिछड़ा

punjabkesari.in Tuesday, Apr 17, 2018 - 10:32 AM (IST)

जालंधर(अमित): देश में एक बार फिर रेप पीड़िताओं को इंसाफ के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है और हालात वही पुराने हैं। देश में पुलिस फोर्स में महिलाओं को 30 फीसदी भागेदारी देने का नियम है लेकिन जहां पंजाब अभी 5 फीसदी पर ही अटका हुआ है वहीं महाराष्ट्र 11 प्रतिशत क्रास कर गया है लेकिन महिला-पुरुष पुलिसकर्मियों के अनुपात के लिहाज से चंडीगढ़ पहले स्थान पर है। चंडीगढ़ में 14.16 प्रतिशत महिला पुलिसकर्मी हैं। देश में महिलाओं की पुलिस फोर्स में भागीदारी 7.28 फीसदी है जबकि पंजाब में सिर्फ पांच प्रतिशत है।पंजाब में 80 हजार 486 पुलिसकर्मी तैनात हैं, जिसमें 4233 महिला पुलिसकर्मी हैं। पंजाब के हालात यह हैं कि सूबे में एक ही महिला एस.एस.पी. की तैनाती हो रखी है और एक भी पुलिस कमिश्नर या डिप्टी पुलिस कमिश्नर महिला को तैनात नहीं किया गया है। सूबे में 399 पुलिस स्टेशनों में सिर्फ 6 में महिला एस.एच.ओ. की तैनाती है वह भी वही थाने हैं, जो महिलाओं के लिए बने हुए हैं। बात निकलकर यह भी सामने आ रही है कि जहां-जहां महिला पुलिस अधिकारियों की तैनाती हुई है, वहां पर सुधार अधिक देखने को मिला है और करप्शन की शिकायतों में जबरदस्त कमी आई है। 

क्यों कतराती हैं महिला पुलिस मुलाजिम?
पुलिस में कार्यरत महिलाओं को बेहद ही मुश्किल परिस्थितियों में काम करना पड़ता है। पुलिस में कार्यरत महिलाओं के बीच किए गए एक सर्वे में पाया गया कि उन्हें टॉयलेट जैसी मूलभूत सुविधा के अभाव, असुविधाजनक ड्यूटी तथा निजता न होने जैसे मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। ड्यूटी के दौरान महिला पुलिसकर्मी कई घंटों तक पानी नहीं पीती। वे ऐसा इसलिए करती हैं ताकि उन्हें बार-बार टॉयलेट न जाना पड़े। ‘पुलिस में महिलाओं पर 7वें राष्ट्रीय सम्मेलन में पेश इस सर्वे में खुलासा हुआ है कि महिलाओं को जो बुलेट प्रूफ जैकेट मुहैया कराया जाता है वह इतना कसा हुआ होता है कि उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये जैकेट पुरुषों के शरीर की जरूरत के अनुसार बनाए जाते हैं।


काफी बदलाव आ रहा है, हर थाने में एडीशनल एस.एच.ओ. की तैनाती : सुडरविजी
आई.पी.एस. अधिकारी सुडरविजी का कहना है कि पिछले कुछ सालों में पंजाब पुलिस में जबरदस्त बदलाव आ रहा है। पहले महिलाओं को पुलिस में नौकरी सिर्फ तरस के आधार पर मिलती थी। मतलब अगर किसी मुलाजिम की मौत हो जाती तो उसकी पत्नी को नौकरी दी जाती थी। उससे भी कार्यालय का कामकाज ही करवाया जाता था लेकिन अब तो महिलाओं की भर्ती का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है। यह भी सामने आ रहा है कि जिस-जिस केस में महिला को जिम्मेदारी दी गई, उसके काफी सकारात्मक रिजल्ट देखने को मिले। करप्शन के अलावा थाने में हंगामे की शिकायतें न के बराबर हो रही हैं। महिलाओं को अब संगीन केसों की जांच का जिम्मा भी दिया जा रहा है।

प्रदेश में एक भी महिला मुंशी नहीं
प्रदेश में 399 थानों में एक भी थाना ऐसा नहीं है, जहां पर महिला मुंशी को तैनात किया हो। महिलाएं अब जहां भारत-पाक बार्डर की सुरक्षा कर रही हैं वहीं पंजाब में उनको भी जिम्मेदारी देने से काफी कतराया जा रहा है।

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