पंजाब पुलिस  नशे की आदी, कई संस्थाओं के स्टूडेंट्स को भी लगी है लत: नशा पीड़ित

punjabkesari.in Wednesday, Aug 08, 2018 - 07:08 PM (IST)

गुरदासपुर(विनोद): जिला गुरदासपुर में नशों से पीड़ित नौजवान अब इस बात को लेकर दुखी हैं कि उनके द्वारा पुलिस सहित अन्य विभागों को जानकारी देने के बावजूद नशों का अवैध धन्धा जिला गुरदासपुर में दिन प्रतिदिन फैलता ही जा रहा है और नशों का कारोबार करने वालों के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। इन नौजवानों ने आरोप लगाया है कि कई बार जिन नशों के कारोबार करने वालों के विरुद्ध वह अपनी आवाज बुलंद करते हैं, वही आरोपी उन्हें तथा उनके परिवार के सदस्यों को धमकियां देकर परेशान करते हैं। नशों के कारण पंजाब भर में त्राहि त्राहि मची हुई है पंरतु प्रशासन की लापरवाही के कारण यह समस्या दिन प्रतिदिन विस्फोट का रूप धारण करती जा रही है। नशों का शिकार केवल नौजवान वर्ग ही नहीं है बल्कि पुलिस कर्मचारी, सैनिक, लड़कियां, गायक तथा खिलाड़ी भी हो चुके हैं तथा इनकी तादाद बहुत अधिक है।

रैडक्रास नशा मुक्ति गुरदासपुर में नशों की लत से मुक्ति पाने के लिए दाखिल होकर इलाज करवाने वाले एक नौजवान ने बताया कि वह अब तक लगभग 50 लाख रुपए नशों की पूर्ति में बर्बाद कर चुका है तथा अब नशों से तौबा करने के लिए इस सैंटर में दाखिल हुआ है। काहनुवान हल्के के एक गांव से संंबंधित इस नौजवान ने नशों की तस्करी संबंधी जो परतें खोली हैं वह एक चिंता का विषय है। उसने बताया कि बड़े कालेजों तथा यूनवर्सिटी में कुछ नौजवान पहले तो फ्री नशे का सामान यह कहकर देते हैं कि हैरोईन आदि नशा करने से मुंह से बदबू नहीं आती। पहले तो दो तीन बार हैरोईन सेवन करने के लिए फ्री देते हैं और उसके बाद जब यह लत लग जाती है तो मोटी राशि देने पर ही हैरोईन देते हैं। उक्त नौजवान के अनुसार अमृतसर तथा जालन्धर के कई प्रसिद्ध टैक्रीकल शिक्षा संस्थाओं में नशों का सामान जरूरत अनुसार मिल जाता है।

उक्त नौजवान के अनुसार इस समय नशों का सेवन केवल युवा वर्ग ही नहीं बल्कि सैनिक,पुलिस कर्मचारी,लड़कियां,गायक तथा खिलाड़ी भी बहुत अधिक मात्रा में करते हैं। कुछ पुलिस कर्मचारी तो नशों का सेवन करने के साथ नशों का सामान बेचने का काम भी करते हैं। उक्त नौजवान ने उन पुलिस कर्मचारियों के नाम भी बताए जो नशों को बेचने का अवैध धन्धा करते हैं। उक्त नौजवान ने बताया कि वह तो मोबाइल पर ही आर्डर देकर हैरोईन घर में सप्लाई लेता था तथा अमृतसर व जालन्धर से तस्कर यह सप्लाई देते थे। नशों की पूॢत के चक्कर में वह अपना लगभग 50-60 लाख रुपए बर्बाद कर चुका है। उसने बताया कि कुछ इलाकों में तो नौजवान स्कूटर व मोटर साइकिलों पर भी गांवों में आकर नशा देने वाला सामान बेचते हैं। जबकि गांवों में प्लास्टिक का सामान सहित अन्य फेरी लगाने वालों से भी यह नशा पूर्ति का सामान आसानी से मिल जाता है।

हिमाचल के छन्नी बेली से लाता था हैरोइन : इस नौजवान ने बताया कि पहले मै हिमाचल प्रदेश के कस्बा छन्नी बेली से हैरोईन खरीद कर लाता था। वहां पर भाभी नाम की महिला नशों की किंग मानी जाती है। दूसरा वहां पर लगभग सभी घर नशों का धन्धा करते थे। पुलिस की सख्ती के चलते यह नशों की मंडी गांव भदरोआ में शिफ्ट हो गई थी, परंतु कारोबार करने वाले लोग छन्नी बेली के ही थे। गांव मंड के पास पंहुचने पर मोबाइल पर बात करने पर ठिकाना बताया जाता है तथा फिर वहां से हैरोईन सप्लाई की जाती है। नौजवान के अनुसार इस ईलाके में बहुत अधिक पुलिस कर्मचारी भी हैरोईन खरीदने के लिए आते हैं जो पंजाब से संबंधित है। पंरतु उन्हें कोई रोकने वाला नहीं है। उसने स्वीकार किया कि काहनुवान इलाके में हर गांव में नशा पूर्ति का सामान आसानी से आज भी मिल जाता है। 

नशेड़ी की पूरी हिस्ट्री की जाती है तैयार: प्रोजैक्ट डायरैक्टर इस संबंधी रैड क्रास नशा मुक्ति सैंटर के प्रोजैक्ट डायरैक्टर रमेश महाजन से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति इस सैंटर में अपना इलाज करवाने के लिए आता है तो उसकी सारी हिस्ट्री तैयार की जाती है। देखने में आया है कि नौजवान वर्ग देखा देखी में नशों की तरफ आकर्षित हो रहा है। नौजवानों से प्राप्त जानकारी संबंधी हम पुलिस अधिकारियों को सारी जानकारी हम लिखकर भेजते थे कि कौन से इलाके में कौन कौन व्यक्ति नशों का अवैध धन्धा करता है। रमेश महाजन के अनुसार सैंटर में कुछ अन्य नौजवान भी ईलाज करवा रहे हैं जो अब तक 25 से 40 लाख रुपए तक नशों में बर्बाद कर चुके हैं। 

 

Des raj