जमीं से आसमां तक सालभर व्यस्त रही पंजाब पुलिस

punjabkesari.in Tuesday, Dec 31, 2019 - 12:43 PM (IST)

जालंधरः पंजाब पुलिस के लिए इस दशक का आखिरी वर्ष यानी 2019 काफी मायनों में अहम रहा। पंजाब पुलिस को काफी उथल-पुथल के बाद अपना मुखिया भी मिला और पुलिस के 
ही कई उच्चाधिकारियों की आपसी खींचतान भी चर्चा में रही। जमीन पर गैंगस्टरों व आतंकियों से लोहा लेने के साथ-साथ पंजाब पुलिस ने पूरे देश की पुलिस व सुरक्षा एजैंसियों को आसमान में भी नजर रखने के लिए चेताया क्योंकि पंजाब पुलिस ने ही देश का पहला ‘ड्रोन आर्म्स ड्रॉप’ मामला उजागर किया। हालांकि पंजाब पुलिस ने कई मामलों में अहम उपलब्धियां भी हासिल कीं, लेकिन ऐसे वाक्यात भी सामने आए, जब आतंकियों तक से लोहा लेने वाली पंजाब पुलिस को मारपीट का सामना करना पड़ा। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि पंजाब पुलिस के लिए यह बीत रहा वर्ष कई तरह के खट्टे-मीठे अनुभवों से भरपूर रहा। 

गैंगस्टरों की होती रही गिरफ्तारियां    
राज्य में सत्ता परिवर्तन के साथ ही 2017 से नशा तस्करों और गैंगस्टरों के खिलाफ कार्रवाई में जुटी हुई पंजाब पुलिस वर्ष 2019 के दौरान भी काफी सफलताओं के झंडे गाड़ती रही। प्रमुख तौर पर इस वर्ष के दौरान राज्य पुलिस द्वारा सुखप्रीत सिंह बुड्ढा को अर्मेनियां से डिपोर्ट करवाकर गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की गई। मोस्ट वांटेड गैंगस्टरों में शुमार बुड्ढा कई मामलों में वांछित था और उसे पंजाब लाकर की गई पूछताछ के आधार पर 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें चंडीगढ़ पासपोर्ट कार्यलय में डिप्टी पासपोर्ट अधिकारी के पद पर तैनात रहा शख्स भी शामिल है, जिस पर गैंगस्टर को फर्जी नाम पर पासपोर्ट बनाकर देने का आरोप है, जिसकी मदद से वह विदेश भागा था। सुखप्रीत बुड्ढा के अलावा हिंदू नेता का अमृतसर में कत्ल करने वाले गैंगस्टर शुभम को भी गिरफ्तार किया गया। इनके अलावा जग्गू ग्रुप के ही बलजीत सिंह, जगरोशन सिंह, सम्मा पहलवान, लवजीत सिंह, सुखदेव सिंह,एकम सिंह जैसे करीबन 40 गैंगस्टरों को गिरफ्तार किया गया। 

पुलिस के साथ भी हुई मारपीट  
पंजाब पुलिस के जवानों के हौसलों को उस वक्त करारी चोट लगी थी, जब लोपोके के नजदीकी गांव चौगावां में तरनतारन के थाना कच्चा-पक्का की एक पुलिस टीम को छापामारी के दौरान आरोपियों द्वारा बंधक बना लिया गया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियोज में दिखाई पड़ा कि टीम की अगुवाई कर रहे सब इंस्पैक्टर बलदेव सिंह को बुरी तरह से घसीटा गया, जबकि उसकी टीम के चार अन्य साथी मूकदर्शक बनकर देखते रहे। सोशल मीडिया के जरिए हुई इस बदनामी पर मुख्यमंत्री को भी कमैंट करना पड़ा, जिसके बाद बलदेव सिंह की मदद न करने वाले चार पुलिस मुलाजिमों ए.एस.आई. सविंदर सिंह, हैड कांस्टेबल गुरविंदर सिंह, कास्टैबल निशान सिंह व होमगार्ड जवान दर्शन सिंह को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया गया।  वहीं, दूसरा बड़ा चॢचत मामला बठिंडा की पुलिस टीम पर हुए हमले व मारपीट का रहा। बङ्क्षठडा पुलिस की 7 सदस्यीय टीम को हरियाणा के सिरसा में पड़ते गांव देसू जोधा में की छापामारी करना उलटा पड़ गया। छापामारी के दौरान गांव के लोगों ने न सिर्फ पुलिस टीम के सदस्यों को पीटा, बल्कि उनके वाहन को भी जला दिया गया। पुलिस व ग्रामीणों की तरफ से गोलीबारी भी हुई। घटना में एक ग्रामीण की गोली लगने से मौत हुई, जबकि पंजाब पुलिस टीम के सभी 7 सदस्य बुरी तरह से घायल हुए।

खाकी वर्दी पर यह दाग अच्छे नहीं 
पंजाब पुलिस की खाकी वर्दी में कई काली भेड़ें भी मौजूद हैं, जिस कारण  खाकी अक्सर दागदार होती रही है। इस वर्ष का सबसे बड़ा धब्बा लगवाया जालंधर के पादरी एंथनी मैडेसरी केस में शामिल ए.एस.आई. जोगिंदर सिंह व ए.एस.आई. राजप्रीत सिंह ने। पादरी ने आरोप लगाया था कि उनके घर से ‘अघोषित पैसे’ की बरामदगी के नाम पर 16.65 करोड़ रुपए खन्ना पुलिस ने उठाए, जबकि खन्ना पुलिस ने बड़े जोर-शोर से ऐलान किया था कि पुलिस ने 9.66 करोड़ रुपए बरामद किए। इस वाहवाही लूटने के चक्कर में पुलिस की राष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी हुई क्योंकि फादर एंथनी ने दस्तावेजों के आधार पर साबित कर दिया कि उनके यहां से राशी 16.65 करोड़ ही उठाई गई थी। बाद में पंजाब पुलिस ने अपनी साख बचाने की कोशिश में जांच की और पता चला कि पंजाब पुलिस के ही वर्दीधारी बेईमान निकले। काफी मशक्कत के बाद पंजाब पुलिस की टीम ने केरल के कोच्चि से अपने ही दो ए.एस.आई. जोगिंदर सिंह व ए.एस.आई. राजप्रीत सिंह को गिरफ्तार करके करीबन 2.50 करोड़ रुपए रिकवर होने का दावा किया था। 

नशे के कारोबार व नशा कारोबारियों के साथ नजदीकियों वाले कई पुलिस मुलाजिमों का भी हुआ खुलासा

वहीं, नशे के कारोबार व नशा कारोबारियों के साथ नजदीकियों वाले कई पुलिस मुलाजिमों का भी खुलासा हुआ। ऐसे मुलाजिमों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पटियाला के एस.एस.पी. मनदीप सिंह सिद्धू काफी चर्चित रहे, जिन्होंने नशे या भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से एक ही दिन में 11 पुलिस मुलाजिमों को नौकरी से बाहर किया, जिनमें 6 तत्कालीन एस.एच.ओ. शामिल थे। इसके साथ ही पटियाला पुलिस में ही तैनात ए.एस.आई. पति-पत्नी रेनू बाला व सुरिंदर सिंह को भी नशा तस्करी के धंधे में शामिल होने व तस्करों की मदद करने के मामले में नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया गया। उधर, ऐसे ही कुछ अन्य मामलों में ए.एस.आई. जगजीत सिंह, ए.एस.आई. सरबजीत सिंह, हैड कांस्टेबल गुरप्रीत सिंह, गगनदीप सिंह, कांस्टेबल अमनदीप सिंह पर भी कानूनी शिकंजा कसा गया।  जबकि, 532 किलो हैरोइन की बरामदगी के मामले में संदिग्ध ए.एस.आई. अवतार सिंह द्वारा पुलिस गिरफ्त के दौरान एके 47 से गोली मारकर आत्महत्या करने का मामला कई संदेह खड़े कर गया। 

राज्य पुलिस प्रमुख पद के लिए चलीं शतरंज की चालें 
यूं तो पूर्व डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा को 30 सितम्बर 2018 को ही सेवामुक्त होना था, लेकिन उनकी सेवामुक्ति से पहले ही केंद्र सरकार ने उनके सेवाकाल में 3 माह की बढ़ौतरी कर दी और फिर सुप्रीम कोर्ट में डी.जी.पी. की नियुक्ति को लेकर एक केस में झटका लगने के बाद केंद्र ने इस बढ़ौतरी को 3 माह से बढ़ाकर 1 वर्ष कर दिया। इस बढ़ौतरी ने कई उन अधिकारियों पर विपरीत प्रभाव डाला, जो डी.जी.पी. पद पर बैठने की तैयारी कर रहे थे क्योंकि उनमें से कुछ 2019 के शुरूआती महीनों में ही सेवामुक्त हो जाने वाले थे। अंतत: सभी चीजें ‘सैटल’ हो जाने के बाद चंद दिनों बाद ही सुरेश अरोड़ा ने डी.जी.पी. के पद से इस्तीफा दे दिया और डी.जी.पी. के तौर पर दिनकर गुप्ता की तैनाती हो गई। 4 फरवरी को यू.पी.एस.सी. द्वारा 3 अधिकारियों का पैनल जिसमें दिनकर गुप्ता, एम.के. तिवारी व वी.के. भावरा का नाम शामिल था, भेजा गया और सी.एम. कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा 7 फरवरी को ही डी.जी.पी. के पद पर दिनकर गुप्ता की तैनाती कर दी गई। हालांकि यू.पी.एस.सी. द्वारा नाम पर विचार नहीं करने के कारण 1985 बैच के आई.पी.एस. मुहम्मद मुस्तफा और 1986 बैच के डी.जी.पी. सिद्धार्थ चटोपाध्याय केंद्रीय एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) में चले गए। 

ड्रोन द्वारा पाकिस्तान से हथियार पहुंचने के मामले ने चौंकाया
सितम्बर महीने के दौरान पंजाब पुलिस ने एक ऐसे मामले का खुलासा किया, जिससे देशभर की सुरक्षा एजैंसियां जमीन के बजाय आसमानी इलाके में काम पर लग गईं। पंजाब पुलिस ने खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के चार सदस्यों को आतंकी गतिविधियों के कारण गिरफ्तार किया। इनके पास से एके 47 राइफलें, हैंड ग्रेनेड, 4 चाइनीज पिस्तौलें, 5 सैटेलाइट फोन और वायरलैस सैट बरामद हुए। आतंक के आरोपियों के पास यह सारा सामान पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं द्वारा ड्रोन्स के जरिए भेजे जाने का सनसनीखेज तथ्य सामने आया। पंजाब पुलिस ने उनके द्वारा छिपाया गया एक ड्रोन बरामद भी किया और दूसरे ड्रोन के कुछ कलपुर्जे भी मिले। बेहद संवेदनशील व इस तरह का पहला मामला होने के कारण देशभर की सुरक्षा एजैंसियों ने इस मामले के लिए पंजाब पुलिस का रुख किया और अंतत: ड्रोन्स को लेकर केंद्र सरकार के स्तर पर पॉलिसी का निर्माण हो पाया। पंजाब के बॉर्डर पर हुई इन एक्टिविटीज के कारण जम्मू-कश्मीर में पड़ते पाकिस्तान बॉर्डर पर भी चौकसी बढ़ानी पड़ी। 

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