Air Strike के बाद दिलों में उपजी देश प्रेम की भावना,चुनाव में सिर चढ़कर बोलेगा ‘राष्ट्रवाद’ का नारा

punjabkesari.in Saturday, Mar 23, 2019 - 10:57 AM (IST)

चंडीगढ़(एच.सी. शर्मा): लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले पुलवामा आतंकी हमले और पाकिस्तान विरुद्ध एयर स्ट्राइक के बाद जनता के दिलों में उपजी देश प्रेम की भावना को लेकर मोदी सरकार के नए राष्ट्रवाद के नारे का असर जहां हर राज्य में चरम पर है, वहीं पंजाब भी अछूता नहीं है।

राष्ट्रवाद के मुद्दे पर वह भी फूंक-फूंक कर बयान दे रही है कांग्रेस

बेशक पंजाब में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन राष्ट्रवाद के मुद्दे पर वह भी फूंक-फूंक कर बयान दे रही है। पार्टी हाईकमान पाकिस्तान विरुद्ध ‘एयर स्ट्राइक’ पर बेशक एयर फोर्स की सराहना कर रही है। वहीं मोदी सरकार पर राजनीतिक फायदे के उपयोग का भी आरोप लगा रही है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह जहां एक ओर राज्य की राजनीति और वोट बैंक के लिए अहम करतारपुर साहिब कॉरीडोर को खोले जाने की प्रशंसा कर रहे हैं।  दूसरी तरफ पाकिस्तान की नीयत पर समय-समय पर सवाल उठाते रहे हैं। इसका अर्थ परोक्ष रूप से राष्ट्रवाद के साथ ही जोड़ा जा रहा है। हालांकि कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू कैप्टन की सोच विरुद्ध अपना स्टैंड बनाए हुए हैं। इसलिए जहां भाजपा-शिअद गठबंधन चुनाव प्रचार में राष्ट्रवाद को महत्ता देगा, वहीं कांग्रेस की राज्य इकाई भी अछूती नहीं रहेगी। पाकिस्तान के साथ सीमा लगने के कारण आन-बान और शान के लिए पंजाबियों की बहादुरी का बखान करेगी।

भाजपा की स्थिति
गुटबाजी में बंटी भाजपा की राज्य इकाई के पास मोदी सरकार की जनहितैषी नीतियों के अलावा कहने के लिए और कुछ नहीं है। हालांकि राज्य में बदली राजनीतिक परिस्थितियों के चलते राज्य इकाई को और मजबूत करने का मौका था, लेकिन दशकों से शिअद की पिछलग्गू बनी रही भाजपा की राज्य इकाई छोटे भाई के टैग से बाहर नहीं निकल पाई। इसके अलावा पार्टी जहां शिअद के हिस्से वाली 10 सीटों पर चुनाव नहीं लड़ती वहां के कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रखने के लिए भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। यही कारण है कि 16 मार्च को शिअद-भाजपा गठबंधन की ओर से कैप्टन सरकार विरुद्ध ‘विश्वासघात दिवस’ में भाजपा कार्यकर्ता उन विधानसभा चुनाव क्षेत्रों में अपना उत्साह नहीं दिखा पाए जो शिअद के हिस्से के लोकसभा क्षेत्रों का भाग हैं।

आम आदमी पार्टी पशोपेश में
बेशक चुनाव के दौरान अन्य मुद्दों के अलावा राष्ट्रवाद का मुद्दा भी अहम होने वाला है, लेकिन एकाएक पंजाब के राजनीतिक परिदृश्य में उभरी आम आदमी पार्टी इसको लेकर पशोपेश में है। अलग-अलग दलों के साथ गठबंधन की संभावनाएं तलाश रही आम आदमी पार्टी को बेशक अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है, लेकिन प्रचार के दौरान राष्ट्रवाद वाला स्टैंड आने वाले दिनों में ही साफ होगा।

अकालियों की मजबूरी
पंथक एजैंडे के चलते दशकों तक सत्ता सुख भोगने वाला शिरोमणि अकाली दल इस समय विभिन्न कारणों से रक्षात्मक ही नहीं बल्कि मुद्दाविहीन स्थिति में है। वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में करारी हार से दल अभी उभरा भी नहीं था कि बरगाड़ी और बहबलकलां कांड के चलते राजनीतिक हाशिए तक पहुंच गया। सत्तासीन होते हुए विभिन्न माफिया को संरक्षण देने के आरोप से घिरा शिअद इस स्थिति में भी नहीं है कि माफिया को संरक्षण देने के आरोप कैप्टन सरकार पर लगा सके। यही कारण है कि अब दल को खोई राजनीतिक जमीन वापस पाने के लिए मोदी मंत्र और राष्ट्रवाद का सहारा लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

जानकारों के अनुसार गत दिन शिअद प्रधान सुखबीर बादल के नेतृत्व में शिष्टमंडल की भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ बैठक हुई। एक तरह से अभी तक गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका निभा रहे शिअद ने लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा के सामने सरैंडर ही कर दिया था। शिअद ने भाजपा से मोदी मंत्र और चुनाव प्रचार को लेकर पार्टी की रणनीति को उनके साथ शेयर करने का आग्रह किया था। यही कारण है कि शिअद चुनाव में राज्य सरकार की वायदाखिलाफी के अलावा मोदी सरकार की जन हितैषी नीतियों का प्रचार करने के लिए मजबूर होगी।

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