पंजाब की चुनावी सभाओं में चढ़ेगा धार्मिक रंग

punjabkesari.in Wednesday, Mar 27, 2019 - 08:19 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी कुमार):धर्म और राजनीति, पंजाब में नई बात नहीं है। बेशक मतदान की तारीख दूर है लेकिन पंजाब में राजनीतिक दल अभी से हित साधने लगे हैं। खासतौर पर करतारपुर के गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब में खुले दर्शन दीदार से राजनीतिक दल अपनी चुनावी नैया पार लगाने का ख्वाब संजो रहे हैं।

हरसिमरत ने साधा कांग्रेस पर निशाना
शिरोमणि अकाली दल की सांसद व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कांग्रेस पर सीधा हमला भी शुरू कर दिया है। उन्होंने एक टी.वी. इंटरव्यू दौरान करतारपुर में पवित्र गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब के पाकिस्तान में होने के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार बताया है। उनके मुताबिक जिस समय बंटवारा हो रहा था उस समय नेहरू चाहते तो गुरुद्वारा साहिब को भारत की सीमा में रखने के लिए प्रयास किए जा सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं किया।  जाहिर है कि पंजाब में ज्यों-ज्यों सियासी पारा चढ़ेगा, त्यों-त्यों चुनावी रैलियों में धार्मिक आस्था और सिख समुदाय की भावनाओं से जुड़े मुद्दों को भी हवा दी जाएगी। 

चुनवों में गूंजेगा करतारपुर कॉरिडोर  
राजनीतिक विशेषज्ञ भी मानते हैं कि इस बार चुनाव में गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब की गूंज खूब सुनाई देगी। भाजपा और शिअद की कोशिश रहेगी कि चुनावी सभाओं में केंद्र सरकार की ओर से करतारपुर कॉरीडोर को लेकर की पहल का पूरा उल्लेख किया जाए। शिअद चुनावी मंचों से श्री गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती पर केंद्र की ओर से सुल्तानपुर लोधी को ऐतिहासिक शहर व रेलवे स्टेशन बनाने, स्मारक सिक्के और डाक टिकट जारी करने जैसे निणर्यों के उल्लेख से परहेज नहीं करेगी।

कांग्रेस भी नहीं चूकेगी मौका
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो करतारपुर कॉरीडोर को लेकर कांग्रेस भी कोई मौका नहीं चूकेगी। कांग्रेस चुनावी मंचों से यह बात कहने से परहेज नहीं करेगी कि  यह केंद्र सरकार की देन नहीं बल्कि कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के निजी हस्तक्षेप से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने  कॉरीडोर खोलने की पहल की है। विशेषज्ञों की मानें तो बेशक सिद्धू को लेकर पंजाब कांग्रेस के कई नेताओं में मनमुटाव है लेकिन चुनावी मंचों पर धार्मिक आस्था से जुड़े कॉरीडोर मामले में सभी कांग्रेसी नेता एकसुर में सिद्धू का ही जिक्र करेंगे।

बेअदबी की घटनाओं में संजीवनी
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो आमतौर पर चुनावों के दौरान शिअद के तरकश से पारंपरिक पंथक मुद्दों के तीर निकलते हैं लेकिन इस बार बेअदबी से जुड़ी घटनाओं ने उन्हें बैकफुट पर खड़ा किया हुआ है। ऐसे में कॉरीडोर ऐसा मुद्दा है, जो शिअद को सीधे धार्मिक आस्था से जोड़ेगा और संजीवनी साबित होगा। पारंपरिक पंथक मुद्दे दूसरी प्राथमिकता रहेंगे, क्योंकि 1984 दंगा मामले में सज्जन कुमार को सजा ने शिअद को मजबूत आधार प्रदान किया है। इसी कड़ी में चंडीगढ़ में अधिकारियों के 60:40 अनुपात को सुनिश्चित करवाने को भी शिअद बड़ी उपलब्धि के तौर पर गिनवाएगा। शिअद ने वर्ष 2014 के घोषणा-पत्र में इसका जिक्र किया था।

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