कोयले से नहीं पराली से भी चल सकता है बठिंडा थर्मल पावर प्लांट!

punjabkesari.in Monday, Aug 10, 2020 - 10:24 AM (IST)

जालंधर(सूरज ठाकुर): पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पी.पी.सी.बी.) ने बठिंडा थर्मल पावर प्लांट को कोयले की जगह पराली से चलाने को लेकर अपनी रिपोर्ट नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) को सौंप दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड को (पी.एस.पी.सी.एल.) को प्रस्ताव के तकनीकी और आर्थिक पहलुओं पर कमैंट करने को कहा है। इसके साथ ही धान की कटाई के समय उत्पन्न होने वाली पराली या पुआल के भंडारण व उसके ट्रांसपोर्टेशन को सुनिश्चित करना होगा ताकि साल भर के लिए थर्मल पावर प्लांट को चलाने के लिए पराली उपलब्ध हो सके। पी.एस.पी.सी.एल. को प्लांट को चलाने के लिए मौजूदा प्रदूषण नियंत्रण कानूनों के तहत सभी वैधानिक मंजूरियां भी प्राप्त करनी होंगी। एन.जी.टी. में यह रिपोर्ट तब सबमिट की गई है जब सरकार ने इस प्लांट को बंद करने की पूरी तैयारी कर ली है। यही नहीं प्लांट को गिराने के लिए टैंडर प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।


क्या है मामला
पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के सेवानिवृत्त इंजीनियर दर्शन सिंह ने एन.जी.टी. में बठिंडा के थर्मल प्लांट को चलाने के लिए कोयले की जगह पराली को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने का आवेदन किया था। अदालत में उस आवेदन को  2019 में दर्शन सिंह बनाम पंजाब और अन्य रा’य के रूप में परिवर्तित कर दिया था। इस मामले में 27 जनवरी 2020 को अदालत ने पी.पी.सी.बी. और पी.एस.पी.सी.एल. को इस मामले में अपनी राय देने को कहा था। दर्शन सिंह के आवेदन में दिए गए प्रस्तावों की जांच करने को कोर्ट ने एक कमेटी का गठन भी किया था। 


क्या है प्रस्ताव
आवेदनकत्र्ता ने अपने प्रस्ताव में कहा कि नए बायोमास संयंत्र की स्थापना की तुलना में थर्मल पावर प्लांट में परिवर्तन करना सस्ता पड़ेगा। ईंधन के रूप में कोयले की जगह पराली का इस्तेमाल करने से बिजली के उत्पादन की लागत भी कम आएगी। ऐसा करने से उपभोक्ताओं पर कम बोझ पड़ेगा। प्रस्ताव में यह भी जानकारी दी गई है कि विशेषज्ञों ने इस संयंत्र को विशेष पराली पर चलाने के लिए पंजाब राज्य विद्युत निगम को एक रिपोर्ट सौंपी है। मामले पर पी.एस.पी. सी.एल. ने 21 नवंबर 2018 को एक बैठक की थी। जिसमें उसने 120 मैगावाट थर्मल पावर प्लांट में से 60 मैगावाट को परिवर्तित करने के प्रस्ताव पर मंजूरी दे दी थी, नवंबर 2018 से यह प्रस्ताव रा’य सरकार के पास है जिस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है।


प्लांट की मेंटेनैंस का खर्च 110 करोड़
थर्मल प्लांट से लोगों का रोजगार जुड़ा होने के कारण इसे बंद करने का विरोध भी हो रहा है लेकिन वित्त मंत्री मनप्रीत बादल इसे बंद करने को लेकर तर्क दे रहे हैं कि इसकी मेंटेनैंस का खर्च ही एक साल में 110 करोड़ रुपए है, जिसको सरकार वहन नहीं कर सकती। सरकार को इस प्लांट से बिजली भी बहुत महंगी पड़ रही है। वित्त मंत्री की माने तो बङ्क्षठडा थर्मल की 1&20 एकड़ जमीन पर इंडस्ट्रियल पार्क बनाया जाना है। उनका मानना है कि कई उद्योग चीन से भारत में शिफ्ट हो रहे हैं और उन्हें भी यहां जगह दी जा सकती है। ऐसा करने से पंजाब में रोजगार भी बढ़ेगा।


पंजाब में हर साल होती है 2 करोड़ टन पराली
देश में पंजाब धान की खेती में अग्रणी राज्य माना जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में हर साल धान की कटाई के बाद 2 करोड़ टन पराली खेतों में रह जाती है। इसमें से 1.5 करोड़ टन पराली को आग लगा देते हैं। आग से उठने वाला धुआं अफगानिस्तान से आने वाली हवाओं के साथ दिल्ली और उससे सटे शहरों में पहुंचकर जानलेवा स्मॉग का रूप ले लेता है। जिससे घातक बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। हालांकि 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद पराली जलाने के मामलों में काफी कमी आई है। पराली की वजह से होने वाले प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक केंद्र सरकार ने पंजाब के लिए 2018 से 2020 तक 665 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है। किसानों को व्यक्तिगत रूप से 50 फीसदी और सहकारी समितियों को 80 फीसदी सबसिडी का प्रवाधान किया गया। पंजाब सरकार ने धान उगाने वाले प्रदेश के हजारों गांवों की निगरानी के लिए नोडल अफसर तैनात किए हैं।


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