भारत में मशरूम उत्पादन में पंजाब दूसरे नंबर पर, पीएयू ने तैयार किए ऑर्गेनिक मशरूम बैग

punjabkesari.in Wednesday, Jan 22, 2020 - 09:20 PM (IST)

लुधियाना(सलूजा): मशरूम उत्पादन के मामले में आज से कुछ वर्ष पहले पंजाब पहले नंबर पर था। अब हरियाणा के बाद दूसरे नंबर पर आ गया है। पंजाब में प्रति वर्ष मशरूम का उत्पादन 18000 टन होता है। यह जानकारी सांझी करते हुए पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी के माइक्राबायोलॉजी विभाग के प्रभारी डा. गुरविंदर सिंह कोचर ने बताया कि मशरूम उत्पादन की प्रमोशन के लिए अब पीएयू ने खोज करने के बाद ऐसे ऑर्गेनिक मशरूम बैग तैयार किए हैं कि ताकि मशरूम के उत्पादन को लेकर आपको अधिक मेहनत न करनी पड़ी। कोई भी व्यकित केवल 50 रूपए की कीमत अदा करने के बाद यूनिवर्सिटी कैंपस से इसको अपने घर लेकर जा सकता है। तीन सप्ताह के अंदर इस बैग से तैयार होने वाली मशरूम का आप मजा ले सकते हैंं। 

मशरूम की किस्में
डा. कोचर ने बताया कि पंजाब में 5 किस्म की मशरूम की पैदावार की जाती है। जिनमें बटन मशरूम,ढीगरी मशरूम,शटाकी मशरूम (सर्दी मौसम वाली)
पराली वाली मशरूम और मिलकी (गर्मी मौसम वाली)

कैसे तैयार होता है यह मशरूम बैग
सितम्बर महीने के मध्य में तूड़ी व पराली के मिश्रण से कंपोस्ट तैयार की जाती है। इसको तैयार करने में 24 से 25 दिन लग जाते है। उन्होंने यह भी जानकारी दीं कि पीएयू से मशरूम के सुधरे हुए बीज मिलते है, इसको गेहू के बीज से लैब के माध्यम से तैयार किया जाता है। बीज तैयार होने के बाद कंपोस्ट को 2 सप्ताह के लिए मिक्स होने के लिए रख दिया जाता है। जिसके बाद इस कंपोस्ट को मशरूम के बैग में डाला जाता है। इसके बाद यह बैग तैयार हो जाता है। 

आपने क्या करना है
मशरूम बैग को जब आप घर लेकर जाए तो आपने इसको खुली व छांदार स्थान पर रखने के बाद केवल मशरूम माहिरों के मुताबिक इसमें पानी ही डालना है। उसमें अन्य कोई खाद या कोई कीटनाशक दवा का इस्तेमाल बिलकुल नहीं करना। कुछ ही दिनों के बाद आपको नतीजा मिलना शुरू हो जाएगा। 

एक बैग से 1.5 किलो मशरूम
ऑर्गेनिक मशरूम बैग का अंदाजन 5 किलो होता है। इससे लगभग 1.5 किलो मशरूम आपको तैयार मिलेगा। 

क्या है मशरूम खाने के फायदे
डा. कोचर ने बताया कि मशरूम एक ऐसा उत्पादन है जो प्रोटीन भरपूर है। लो कैलोरी व विटामिन से लैस है। यह मनुष्य सेहत के लिए बेहद लाभदायक है।

पीएयू में मशरूम रिसर्च सैंटर
मशरूम की खेती के प्रति किसानो में किस तरह दिलचस्पी बढा़ई जाए,इसको लेकर  पीएयू में मशरूम रिसर्च सैंटर स्थापित किया गया है,जहां पर खोज का काम जारी है। डा कोचर ने बताया कि कंपोस्ट तैयार करने में पराली का अधिक से अधिकत इस्तेमाल करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि पराली की समस्या से निजात मिल सके।

लो कोस्ट मशरूम प्रोडक्शन हट 
छोटे व मध्यम किसान भी मशरूम की पैदावार करने के लिए आगे आए। इसको लेकर पीएयू की तरफ से लो कोस्ट मशरूम प्रोडक्शन हट भी बनाई गई है। ताकि अधिक से अधिक किसान इस स्कीम का फायदा उठा सके।

मशरूम टीम में कौन कौन
मशरूम की खेती को बढ़ावा देने हेतु पीएयू के वैज्ञानिकों की टीम में माइक्राबायोलॉजी विभाग के प्रभारी डा. गुरविंदर सिंह कोचर के साथ डा. एच एस सोढी व डा. शिवानी शर्मा टैक्नीकल एक्सपर्ट के तौर पर काम कर रहे है। 

Vaneet