पंजाब ग्रामीण विकास-पंचायत विभाग में गोलमाल

punjabkesari.in Saturday, Jan 19, 2019 - 08:48 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी): पंजाब ग्रामीण विकास-पंचायत विभाग में बड़ा गोलमाल सामने आया है। विभागीय स्तर पर लाखों के विकास कार्य चालू हुए लेकिन मुकम्मल नहीं हो पाए। 4,712 विकास कार्य ऐसे हैं, जिनमें 100 फीसदी से ज्यादा धनराशि खर्च की लेकिन अभी भी अधूरे हैं।  खास बात यह है कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद से पंजाब में अधूरे कार्यों के आंकड़ों में उछाल आया है। वर्ष 2016-17 में अधूरे कार्यों का आंकड़ा महज 2,105 था, जो अब 2018-19 में बढ़कर 48,684 हो गया है। एक साल दौरान अधूरे विकास कार्यों के आंकड़ों में दोगुना इजाफा हुआ है। कांग्रेस के सत्ता संभालने के बाद पहले वित्तीय वर्ष 31 मार्च, 2018 तक अधूरे कार्यों की संख्या 24,522 हो गई थी, जो अब 48,684 पर पहुंच गई है।

मंत्रालय ने लिया कड़ा संज्ञान

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अधूरे कार्यों पर कड़ा संज्ञान लिया है। मंत्रालय ने पंजाब सरकार को कहा कि अधूरे कार्यों की स्थिति में सुधार करे। श्रेणीबद्ध तरीके से विभाजित कर जिन कार्यों पर धनराशि खर्च की जा चुकी है, उन्हें प्राथमिकता पर मुकम्मल करें।  ग्राम पंचायत स्तर पर समीक्षा की जाए कि गत वर्ष से अधर में लटके कार्यों को अब तक मुकम्मल क्यों नहीं किया गया है। साथ ही, लंबित कार्यों के पीछे कारणों को चिन्हित किया जाए, ताकि जल्द निपटारा हो सके।

9,400 कार्यों में 75 फीसदी से ज्यादा धनराशि खर्च

9,400 कार्यों पर 75 फीसदी से ज्यादा धनराशि खर्च की जा चुकी है लेकिन अभी ये मुकम्मल नहीं हो पाए हैं। हाल ही में मंत्रालय स्तर पर निरीक्षण में तथ्य सामने आए कि कई कार्यों के लिए फंड आबंटित हुए लेकिन धरातल पर अमलीजामा नहीं पहनाया गया। 6,319 कार्य अभी भी कागजों तक ही सीमित हैं। इस कड़ी में 8,963 ऐसे कार्य हैं जिन पर महज 5 फीसदी धनराशि ही खर्च की गई है। 

स्पैशल सोशल ऑडिट में भी उठ चुके हैं सवाल

पंचायत स्तर पर कार्यों संबंधी स्पैशल सोशल ऑडिट दौरान भी सवाल उठ चुके हैं। जुलाई-अगस्त 2017 दौरान 10 ग्राम पंचायतों के स्तर पर ऑडिट में सामने आया कि पंचायत स्तर पर कई कार्य ऐसे चालू करवाए गए जिनकी जानकारी पंचायत सदस्यों तक को नहीं थी। मनरेगा के तहत बड़ी खरीदारियां बिना कोटेशन के पूरी कर ली गईं। इस कड़ी में, पंचायत स्तर पर कई कार्य ऐसे चालू करवा दिए गए जिनकी तकनीकी स्तर पर मंजूरी तक नहीं ली गई। अधिकतर धनराशि मिट्टी भरने के कार्यों पर ही खर्च कर दी गई, जो कार्य मुकम्मल भी हुए, उनमें मनरेगा नियमों का ध्यान नहीं रखा गया। जिन कार्यों को चालू किया गया, उनका ब्यौरा तक दर्शाया नहीं गया। मोगा की एक ग्राम पंचायत को 20 लाख रुपए एक गांव के तालाब की मुरम्मत के लिए आबंटित किए गए लेकिन पंचायत ने बिना मंजूरी तालाब पर पार्क बना दिया। ऑडिट में पाया कि अमूमन विकास कार्यों का रजिस्टर तक मैंटेन नहीं किया जा रहा है इसलिए कार्यों को कैसे मुकम्मल किया गया या कहां-कहां से खरीद-फरोख्त की गई, इसकी जानकारी ही नहीं मिल पाती है।


क्या कहना है पंचायत विभाग के अधिकारी का

पंजाब में 13 हजार से ज्यादा पंचायतें हैं, जिनके स्तर पर विकास कार्य करवाए जाते हैं। कई पंचायतों के स्तर पर विकास कार्यों में अड़चनें भी आती हैं। कहीं जांच-पड़ताल के कारण कार्य अधर में लटके हैं, तो कहीं कोर्ट ने स्टे लगाया है। फिर भी मुकम्मल करवाने के लगातार प्रयास  किए जा रहे हैं।   —जसकरण सिंह, निदेशक, ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग, पंजाब

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