पंजाब के शिक्षण संस्थान बने आतंकियों की शरण स्थली

punjabkesari.in Thursday, Oct 11, 2018 - 08:48 AM (IST)

जालंधर(रविंदर शर्मा): पंजाब के शिक्षण संस्थान धीरे-धीरे आतंकियों की शरण स्थली बनते जा रहे हैं। किसी भी शिक्षण संस्थान में एडमिशन लेना और वहां पर आतंकी मंसूबों को पालना बेहद आसान हो गया है। शिक्षण संस्थान भी बिना किसी वैरीफिकेशन धड़ाधड़ किसी को भी एडमिशन दे रहे हैं। एडमिशन के बाद न तो इन छात्रों की गतिविधियों पर कोई नजर रखी जाती है और न ही निगरानी की जाती है। यही कारण है कि किसी भी आतंकी संगठन के लिए शिक्षण संस्थान में रह कर संरक्षण लेना बेहद आसान बन गया है।

 पंजाब पिछले काफी समय से कश्मीरी आतंकी संगठनों के निशाने पर रहा है। लश्कर के अलावा हिजबुल मुजाहिद्दीन और जैश-ए-मोहम्मद के हमेशा पंजाब टार्गेट पर रहा है। सिख आतंकी संगठनों के पंजाब में फ्लाप होने के बाद पिछले समय में आई.एस.आई. ने पंजाब में आतंकवाद को दोबारा खड़ा करने के लिए कश्मीरी आतंकी संगठनों की ड्यूटी लगाई थी।  मगर अभी तक वे अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाए। इस पूरे खेल में जहां जालंधर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।  वहीं साथ ही साथ सी.टी. इंस्टीच्यूट प्रबंधन भी सवालों के घेरे में है जिसका जवाब आने वाले दिनों में देश की अलग-अलग एजैंसियों को देना इनके लिए महंगा पड़ सकता है। 

जैश-ए-मोहम्मद उठा रहा था एडमिशन व होस्टल का खर्चा 
पंजाब में शरण लेने के लिए कश्मीरी आतंकी संगठनों ने पहले शिक्षण संस्थानों के बारे लंबी एक्सरसाइज की। पिछले समय में पंजाब में धड़ाधड़ खुल रहे इंस्टीच्यूट व यूनिवर्सिटीज की सिक्योरिटी के बारे जब आतंकी संगठनों ने खंगाला तो उन्हें लगा कि शरण लेने के लिए यह आसान साधन है। इसके बाद जैश-ए-मोहम्मद व आई.एस.आई. ने अंसार गजवत-उल-हिंद नाम से नया सैल तैयार कर उनमें कश्मीरी युवाओं की भर्ती की। ट्रेनिंग देने के बाद इन युवाओं को पंजाब के अलग-अलग शिक्षण संस्थानों में एडमिशन दिलाई गई। यहां तक कि एडमिशन के अलावा होस्टल व अन्य खर्चा भी जैश-ए-मोहम्मद की तरफ से उठाया जा रहा था।

पकड़े गए आतंकी पाक की खुफिया एजैंसी के इशारे पर पंजाब में बड़ी वारदात करने आए थे : डी.जी.पी. अरोड़ा
 
डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा का कहना है कि पकड़े गए कश्मीरी आतंकी निश्चित तौर पर पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी के इशारे पर पंजाब में बड़ी वारदात करने की फिराक में आए थे। इनसे गहराई से पूछताछ की जा रही है और किसी भी टारगेट के बारे में बोलना अभी जल्दबाजी होगा। अगर समय रहते इनकी गिरफ्तारी न होती तो ये अपने मकसद में कामयाब हो सकते थे।  मगर जम्मू-कश्मीर पुलिस से मिले इनपुट के बाद पंजाब पुलिस की सक्रियता ने इस कश्मीरी मॉड्यूल का भंडाफोड़ कर दिया। डी.जी.पी. का कहना है कि पंजाब के सभी शिक्षण संस्थानों की अब पंजाब पुलिस पूरी तरह से निगरानी करेगी। समय-समय पर इन शिक्षण संस्थानों की चैकिंग भी की जा सकती है। वह कहते हैं कि किसी भी शिक्षण संस्थान में एडमिशन लेने के लिए दूसरे राज्यों से आए छात्रों को अब पुलिस वैरीफिकेशन करवानी होगी। आने वाले दिनों में शिक्षण संस्थानों को लेकर कुछ और गाइडलाइंस भी जारी की जा सकती हैं। 

पंजाब की खुफिया एजैंसियां हुईं फेल, जे. एंड के. पुलिस की सक्रियता से टला हादसा
आतंकी गतिविधियों को लेकर पंजाब की खुफिया एजैंसियां लगातार फेल साबित हो रही हैं। किसी भी आतंकी मॉड्यूल व आतंकी गतिविधियों के बारे में पंजाब की खुफिया एजैंसियों को कोई इनपुट नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि पंजाब में लगातार हो रही आतंकी वारदातों को रोकने में पंजाब पुलिस नाकाम साबित हो रही है। अंसार गजहावत-उल-हिंद मॉड्यूल के कश्मीरी आतंकी पिछले कई वर्षों से जालंधर में रह रहे थे मगर खुफिया एजैंसियों को इनकी कानों-कान खबर नहीं थी। ‘पंजाब केसरी’ ने पहले भी इस बात का खुलासा किया था कि मकसूदां थाने में हुए बम ब्लास्ट के बारे भी खुफिया एजैंसियों के पास कोई इनपुट नहीं था। जालंधर पुलिस भी पूरे मामले में पूरी तरह से फेल साबित हुई। जे. एंड के. पुलिस की सक्रियता व इनपुट से इन कश्मीरी आतंकियों का भंडाफोड़ हो गया, अन्यथा यह संगठन पंजाब में बड़ी वारदात में कामयाब हो सकता था। 

देशहित में पुलिस को पूरा सहयोग दिया: चरणजीत सिंह चन्नी
सी.टी. ग्रुप के चेयरमैन चरणजीत सिंह चन्नी का कहना है कि देशहित में उन्होंने पुलिस को पूरा सहयोग दिया। उनका कहना है कि रात तकरीबन 11 बजे पुलिस अधिकारियों ने उन्हें काल की और उनको होस्टल में रह रहे कुछ संदिग्ध युवकों के बारे में जानकारी दी। पुलिस ने उनसे इस बारे में सहयोग मांगा और कैम्पस में बुलाया। कैम्पस में पहुंचने पर पुलिस ने उन्हें रिसैप्शन पर रुकने और हरसंभव सहयोग देने को कहा। होस्टल के कमरा नं. 94 से उन्होंने बी.टैक. स्ट्रीम के 2 कश्मीरी छात्रों व उनके एक गैस्ट को हिरासत में लिया।  पुलिस ने उन्हें वैरीफिकेशन तक इंतजार करने को कहा। चन्नी ने कहा कि कैम्पस से पुलिस ने क्या रिकवर किया, इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है । यह पुलिस का सीक्रेट आप्रेशन था। वह कहते हैं कि प्राइवेसी के कारण वह हर विद्यार्थी और बाहर से आने वाले गैस्ट का बैग चैक नहीं करते हैं और न ही वह किसी को संदिग्ध की नजर से देख सकते हैं। 

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